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विदेशी निवेश नियम- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
विदेशी निवेश नियम(ओवरसीज इन्वेस्टमेंट रूल्स) चर्चा में क्यों है?
- वित्त मंत्रालय ने विदेशी निवेश एवं भारत के बाहर अचल संपत्ति के अधिग्रहण तथा हस्तांतरण विनियम, 2015 के लिए वर्तमान नियमों को समाविष्ट करते हुए विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी निवेश नियम), 2022 के लिए नियम जारी किए हैं।
विदेशी निवेश नियम समाचारों में
- स्वेच्छाचारी बकायेदार (विलफुल डिफॉल्टर्स) पर नजर रखते हुए, नए नियम कहते हैं कि -किसी भी भारतीय निवासी को कोई भी विदेशी वित्तीय प्रतिबद्धता करने से पूर्व अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा:
- जिसके पास एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में प्रतीत होने वाला खाता है अथवा
- किसी बैंक द्वारा विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत किया गया है अथवा
- भारत में किसी वित्तीय सेवा नियामक या जांच एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है।
विदेशी निवेश मानदंडों में परिवर्तन
- भारत में कोई भी निवासी विदेशी इकाई या विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओवरसीज डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट/ODI) में इक्विटी पूंजी अधिग्रहित कर रहा है, उसे प्रत्येक विदेशी इकाई के लिए प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर तक वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट (एनुअल परफॉर्मेंस रिपोर्ट/APR) प्रस्तुत करनी होगी।
- ऐसी किसी रिपोर्टिंग की आवश्यकता नहीं होगी जहां भारत में निवासी व्यक्ति विदेशी संस्था में नियंत्रण के बिना इक्विटी पूंजी का 10% से कम धारण कर रहा हो।
- इक्विटी पूंजी या विदेशी संस्था के अलावा कोई अन्य वित्तीय प्रतिबद्धता परिसमापन के अधीन नहीं है।
निवेश की सीमा
- कोई भी निवासी व्यक्ति भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम/एलआरएस) के तहत समग्र सीमा के अधीन इक्विटी पूंजी या विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (ओवरसीज पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट/ओपीआई) में निवेश के माध्यम से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओवरसीज डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट/ओडीआई) कर सकता है।
- वर्तमान में, उदारीकृत प्रेषण योजना एक व्यक्ति द्वारा एक वर्ष में 2,50,000 डॉलर के बाहरी निवेश की अनुमति प्रदान करता है।
- ये मानदंड घरेलू निगमों के लिए विदेशों में निवेश करना सुगम बनाते हैं।
निषेध
- कोई भी भारतीय निवासी, जिसे स्वेच्छाचारी बकायेदार (विलफुल डिफॉल्टर) के रूप में वर्गीकृत किया गया है या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन/सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट/ईडी) या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (सीरियस फ्रॉड्स इन्वेस्टिगेशन ऑफिस/एसएफआईओ) द्वारा जांच की जा रही है, को अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट/एनओसी) प्राप्त करना होगा।
- किसी भी विदेशी “वित्तीय प्रतिबद्धता” या विदेशी संपत्तियों का विनिवेश करने से पूर्व उसके बैंक, नियामक निकाय अथवा जांच एजेंसी से एनओसी प्राप्त की जा सकती है।
- नियम यह भी प्रावधान करते हैं कि यदि ऋणदाता, संबंधित नियामक संस्था या जांच एजेंसी आवेदन प्राप्त करने के 60 दिनों के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो यह माना जा सकता है कि उन्हें प्रस्तावित लेनदेन पर कोई आपत्ति नहीं है।
- इसके अतिरिक्त, नए नियम भारतीय निवासियों को उन विदेशी संस्थाओं में निवेश करने से भी निवारित करते हैं जो स्थावर संपदा (रियल एस्टेट) गतिविधि, किसी भी रूप में जुआ एवं भारतीय रुपये से जुड़े वित्तीय उत्पादों से संबंधित कार्यों हेतु भारतीय रिजर्व बैंक की विशिष्ट स्वीकृति के बिना हैं।




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