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महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप
महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप: प्रसंग
- हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय ने जमीनी स्तर पर कौशल विकास को परिवर्तित करने हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति (फैलोशिप) (एमजीएनएफ) के द्वितीय चरण का आरंभ किया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप: मुख्य बिंदु
- एमजीएनएफ चरण- II: इसे 25 अक्टूबर को 661 एमजीएनएफ के साथ प्रारंभ किया गया था, जिन्हें देश के सभी जिलों में परिनियोजित किया जाएगा।
- प्रथम चरण के विपरीत, जो एक प्रायोगिक कार्यक्रम था, द्वितीय चरण संपूर्ण भारत में प्रारंभ किया गया है।
- कुल 9 आईआईएम (आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम-जम्मू, आईआईएम कोझिकोड, आईआईएम लखनऊ, आईआईएम नागपुर, आईआईएम रांची, आईआईएम-उदयपुर एवं आईआईएम विशाखापत्तनम) को लेकर 8 अन्य आईआईएम सम्मिलित हो गए हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप के बारे में
- एमजीएनएफ जमीनी स्तर पर कौशल विकास को परिवर्धित करने में योगदान करने के लिए युवा, ऊर्जावान व्यक्तियों के लिए अवसर सृजित करने हेतु दो वर्ष की दीर्घकालिक फैलोशिप है।
- दो वर्ष की फेलोशिप, जिला स्तर पर गहन क्षेत्र अंतर्वेशन के साथ आईआईएम जैसे शैक्षणिक साझेदारों द्वारा कक्षा सत्रों को संयोजित करने का प्रयास करती है।
- इसका उद्देश्य विश्वसनीय योजनाएं निर्मित करना एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, आर्थिक उत्पादन बढ़ाने तथा आजीविका को बढ़ावा देने में बाधाओं का अभिनिर्धारण करना है।
- संकल्प (SANKALP) के तहत एमजीएनएफ कार्यक्रम को जिला स्तर पर पेशेवरों का एक संवर्ग प्रदान करने हेतु अभिकल्पित किया गया था जो न केवल सामान्य रूप से शासन एवं सार्वजनिक नीति के बारे में ज्ञान रखते हैं, बल्कि व्यावसायिक शिक्षा का भी ज्ञान रखते हैं।
- एमजीएनएफ 21-30 वर्ष के आयु वर्ग में युवा महिलाओं एवं पुरुषों के लिए एक अवसर है, जिनके पास कौशल विकास कार्यक्रम वितरण में सुधार के लिए जिला प्रशासन को उत्प्रेरक सहायता प्रदान करने हेतु पूर्व से ही कुछ निर्दिष्ट स्तर की शैक्षणिक या व्यावसायिक विशेषज्ञता है।
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संकल्प के बारे में
- मिशन के संचालन एवं देश में कौशल प्रशिक्षण वितरण तंत्र को सुदृढ़ करने हेतु, कौशल प्राप्ति एवं आजीविका संवर्धन के लिए ज्ञान जागरूकता (संकल्प), एक विश्व बैंक ऋण सहायता कार्यक्रम, जनवरी 2018 में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा प्रारंभ किया गया था।
- संकल्प देश में कुशल कार्यबल की आपूर्ति एवं मांग के मध्य असंतुलन को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए जिला कौशल समितियों (डीएससी) के साथ संबद्ध होता है, जिससे युवाओं को कार्य करने एवं आय प्राप्त के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं।