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”तवांग में भारत-चीन का आमना-सामना” की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
तवांग में भारत-चीन का आमना-सामना: तवांग में भारत-चीन का आमना-सामना जीएस 2: अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं जीएस 3: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आंतरिक सुरक्षा को कवर करता है।
तवांग में भारत-चीन का आमना-सामना यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2023 के लिए भी महत्वपूर्ण है: अतः, वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल), भारत तथा चीन के मध्य विवादित क्षेत्रों, भारत एवं चीन के बीच प्रमुख युद्धों, हालिया गतिरोध तथा आमना-सामना, कूटनीतिक जुड़ाव इत्यादि के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को जानना महत्वपूर्ण है।
चर्चा में क्यों है?
- अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सेना एवं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के मध्य झड़प 9 दिसंबर, 2022 को हुई थी।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार करने के एक बड़े चीनी गश्ती दल के प्रयास के बाद एलएसी के साथ यह हालिया संघर्ष प्रारंभ हो गया था।
भारत-चीन फेस ऑफ की पृष्ठभूमि
- तवांग सेक्टर में नवीनतम भारत-चीन का आमना-सामना जून, 2020 की घटना के पश्चात पहली ऐसी घटना है, जब गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।
- यह घटना उत्तराखंड की पहाड़ियों में औली में भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑपरेशन युद्धभ्यास पर चीन द्वारा आपत्ति व्यक्त करने के कुछ दिनों पश्चात घटित हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह 1993 एवं 1996 के सीमा समझौतों का उल्लंघन है।
तवांग में भारत-चीन आमने-सामने कहाँ, क्या और कब?
- तवांग में विवादित यांगत्से क्षेत्र में भारत-चीन के आमने-सामने होने की की घटना घटित हुई।
- एलएसी का यह हिस्सा दोनों पक्षों के बीच “सहमत विवादित क्षेत्रों” में से एक है।
- यह घटना तब घटित हुई जब “भारतीय सैनिक नियमित पूर्व-निर्धारित गश्त प्रारूप का अनुसरण कर रहे थे”।
- झड़प 9 दिसंबर को प्रातः करीब 3 बजे हुई।
- भारतीय एवं चीनी सैनिक नाले के दोनों ओर तैनात हैं, किंतु प्रातः 3 बजे लगभग 300 चीनी सैनिक भारतीय सीमा में आ गए।
- हालांकि, भारतीय सैनिकों ने “दृढ़ एवं साहसी तरीके” से पीएलए के प्रयासों का मुकाबला किया।
- चीनी सैनिकों ने कथित तौर पर गश्त क्षेत्र पर एक विवाद प्रारंभ किया, जिस पर भारतीय सैनिकों ने आपत्ति व्यक्त की थी।
- उल्लंघन के बारे में कोई चेतावनी के संकेत नहीं थे एवं संतरी पर हमला होने की आवाज सुनकर, करीब 70 से 80 भारतीय सैनिक रात के अंधेरे में घुसपैठियों को पीछे धकेलने के लिए तेजी से जुट गए।
- सूत्रों के मुताबिक, कुछ घंटों तक लाठी-डंडों से हाथापाई हुई।
- इसी बात पर विवाद प्रारंभ हो गया, जो कई घंटों तक चला।
तवांग सेक्टर में भारत-चीन का आमना-सामना के दौरान किस तरह का नुकसान एवं क्षति हुई?
- 09 दिसंबर, 2022 को तवांग में भारत-चीन के आमने सामने आने की घटना के दौरान, दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें आईं, झड़प के दौरान दोनों पक्षों के अधिकारियों को मामूली चोटें आईं।
- हालांकि, झड़प में घायल हुए सैनिकों की संख्या स्पष्ट नहीं है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आमने सामने आने की घटना के पश्चात (पोस्ट फेस ऑफ) की स्थिति क्या है?
- फेस ऑफ की घटना के पश्चात दोनों पक्षों ने शीघ्र उस क्षेत्र को खाली कर दिया।
- अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में, क्षेत्र में हमारे भारतीय कमांडर ने शांति एवं व्यवस्था पुनर्स्थापित करने के लिए संरचित तंत्र के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की।
हाल ही में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन का आमना सामना (फेस ऑफ एलएसी) के साथ चीनी अतिक्रमण के एक बदले हुए पैटर्न को किस प्रकार प्रदर्शित करता है?
- पीएलए के गश्ती दल के पैटर्न में बदलाव आया है, अब अपना दावा जताने के लिए बड़े आकार के गश्ती दल आ रहे हैं।
- पूर्वी लद्दाख में 2020 के गतिरोध से पूर्व, चीनी ठिकाने काफी हद तक एलएसी से अत्यधिक दूरी पर स्थित हैं।
- पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश उल्लंघन पश्चिमी क्षेत्र में हैं जबकि पूर्वी एवं मध्य क्षेत्रों में अपराधों की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
एलएसी किस प्रकार विभाजित है?
- एलएसी पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड), सिक्किम एवं पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश) क्षेत्रों में विभाजित है।
- पूर्वी लद्दाख में, भारत एवं चीन दो वर्ष से अधिक समय से अपरिभाषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कई स्थानों पर निकटता में तैनात हैं।
- जबकि राजनयिक एवं सैन्य स्तरों पर विभिन्न दौर की बातचीत ने कुछ बिंदुओं पर गतिरोध को कम कर दिया है, क्षेत्रों को नो-पेट्रोलिंग जोन में परिवर्तित कर दिया है, वहीं कुछ अन्य हैं जहां सैन्य वृद्धि (बिल्ड-अप) जारी है।
तवांग में विवाद के क्षेत्र कौन से हैं?
- तवांग में तीन परस्पर स्वीकृत विवादित क्षेत्र हैं।
- तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कुछ क्षेत्रों में, अलग-अलग धारणा के क्षेत्र हैं, जहां दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। 2006 से यह चलन है।
- 1999 के बाद से यांग्त्से में इस तरह का आमना-सामना वर्ष में दो बार – सर्दियों से पूर्व तथा सर्दियों के पश्चात होता है।
- वहां रिज पर भारत का दबदबा है एवं चीन इसे घुसपैठ मानता है, इसलिए आक्रामकता दिखाने का प्रयत्न करता है।
तवांग सेक्टर एवं भारत-चीन फेस ऑफ
- यह प्रथम अवसर नहीं है कि अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हुआ है।
- चूंकि सीमा अपरिभाषित है, अतः इस क्षेत्र में गश्त करते समय भारतीय एवं चीनी सैनिकों का प्रायः आमना-सामना होता है।
- अक्टूबर 2021 में, इसी तरह की एक घटना हुई थी जब एक बड़े गश्ती दल के कुछ चीनी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा कुछ घंटों के लिए हिरासत में लिया गया था क्योंकि वे यांग्त्से के पास मामूली रूप से आमने-सामने आए थे।
तवांग सेक्टर में हम कितने मजबूत हैं?
- विकास कुछ वर्षों में, भारतीय सेना ने तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ मारक क्षमता एवं बुनियादी ढांचे को काफी उन्नत किया है तथा शेष अरुणाचल प्रदेश (रेस्ट ऑफ अरुणाचल प्रदेश/आरएएलपी) में इसी तरह का प्रयास किया जा रहा है।
- इसमें विशेष रूप से ऊपरी दिबांग घाटी क्षेत्र में सड़क अवसंरचना, पुल, सुरंग, आवास तथा अन्य भंडारण सुविधाएं, विमानन सुविधाएं एवं संचार कथा निगरानी का उन्नयन शामिल है।



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