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लेखांकन में संगति सिद्धांत

लेखांकन में संगति सिद्धांत

  • परिभाषा: संगति सिद्धांत बताता है कि एक बार जब आप अपने व्यवसाय में उपयोग करने हेतु एक लेखांकन पद्धति अथवा सिद्धांत के संबंध में निर्णय लेते हैं, तो आपको अपनी पूरी लेखा अवधि में इस पद्धति या सिद्धांत के साथ बने रहने एवं उसका अनुसरण (पालन) करने की आवश्यकता होती है।
  • संगति सिद्धांत की आवश्यकता: संगति सिद्धांत, अथवा संगति अवधारणा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संव्यवहार (लेन-देन) या घटनाओं को, एक लेखा वर्ष से अगले वर्ष तक समान रूप से अभिलिखित किया जाता है।
    • दूसरे शब्दों में, व्यवसायों को एक वर्ष में एक निश्चित लेखा पद्धति का उपयोग नहीं करना चाहिए,एवं अगले वर्ष एक   भिन्न लेखा पद्धति का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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क्या लेखांकन विधियों को बदलने की अनुमति है?

  • व्यवसायों को सदैव के लिए एक ही लेखांकन पद्धति से जुड़े रहने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें अपनी पद्धति में परिवर्तन करने की अनुमति है, किंतु इस परिवर्तन का लेखा जोखा रखना होगा।
  • ऐसे मामलों में जहां किसी व्यवसाय को अपने व्यवसाय में उपयोग की जाने वाली लेखांकन पद्धति या सिद्धांतों को एक वैध कारण से बदलने की आवश्यकता हो सकती है, तो इस परिवर्तन के प्रभावों को कंपनी के वित्तीय विवरणों में स्पष्ट रूप से प्रकट करने की आवश्यकता है।

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लेखांकन में संगति सिद्धांत का महत्व

  • संगति के सिद्धांत के प्रति आबद्ध रहना निम्नलिखित महत्वपूर्ण महत्व रखता है-
  • तुलनात्मक वित्तीय सूचनाएं: संगति पद्धति के उपयोग से बैंकरों, प्रबंधकों, लेनदारों एवं अन्य हितधारकों के लिए विभिन्न वित्तीय वर्षों में व्यवसाय के प्रदर्शन की तुलना करना आसान हो जाता है।
  • प्रक्रिया से परिचित होना: लेखाकार एवं प्रबंधक लेखांकन पद्धति से परिचित हो जाएंगे, तथा सुसंगत रहकर, आपको इस पद्धति हेतु मात्र प्रारंभिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। इससे लागत और समय दोनों के मामले में दक्षता आएगी।
  • लेखा परीक्षकों हेतु: संगति सिद्धांत का पालन करते हुए, लेखापरीक्षक किसी भी ऐसे परिवर्तन के कारणों की मांग करेंगे जो किसी व्यवसाय के वित्तीय विवरणों की व्याख्या को प्रभावित कर सकते हैं।
    • लेखा परीक्षक बाहरी व्यक्ति होते हैं जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है कि किसी कंपनी द्वारा प्रदान किया गया लेखा डेटा उस कंपनी की गतिविधियों से मेल खाता हो।

लेखांकन सिद्धांत- उपचय लेखांकन बनाम नकद लेखांकन

लेखांकन में संगति सिद्धांत का उदाहरण

  • मान लेते हैं कि एक अमेरिकी निगम अपनी वस्तु-सूची (इन्वेंट्री) का मूल्यांकन करने एवं विक्रय की गई वस्तुओं की लागत का निर्धारण करने हेतु फीफो लागत प्रवाह धारणा का उपयोग करता है।
  • इसकी सामग्री की बढ़ती लागत के कारण,  इसने निष्कर्ष निकाला है कि लिफो कंपनी के वास्तविक लाभ का बेहतर संकेत देगा।
  • फीफो से लिफो में परिवर्तन के वर्ष में (और वर्षों में जब तुलना प्रस्तुत की जाती है), कंपनी को संगति में अवकाश का प्रकटीकरण करना चाहिए।

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