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प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास-अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, मुद्दे।
पृष्ठभूमि
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर को नवीनीकृत करने एवं आगामी 20 वर्षों तक भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को जारी रखने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा 1813 का चार्टर अधिनियम अथवा ईस्ट इंडिया कंपनी अधिनियम 1813 पारित किया गया था।
- इससे पूर्व, 1793 के चार्टर अधिनियम ने भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार में 20 वर्षों के लिए वृद्धि कर दी थी जो 1813 में समाप्त हुआ था।
- फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय नीति: यूरोपीय महाद्वीप में ब्रिटिश व्यापारियों के लिए विकल्प कम हो गए। इससे ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त करने एवं अन्य ब्रिटिश व्यापारियों के लिए भारतीय बाजार खोलने की मांग में वृद्धि हुई।
- यूरोप में महाद्वीपीय व्यवस्था ने फ्रांस से संबद्ध अथवा उस पर निर्भर यूरोपीय देशों में ब्रिटिश वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दी।
- एडम स्मिथ के मुक्त व्यापार नीति सिद्धांत की बढ़ती लोकप्रियता: इस नीति के समर्थकों का मानना था कि भारत के साथ व्यापार में ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त करने से ब्रिटिश वाणिज्य एवं उद्योग का विकास होगा।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा विरोध: इस आधार पर कि भारत में कंपनी के राजनीतिक एवं आर्थिक कार्यों को पृथक नहीं किया जा सकता है।
1813 के चार्टर अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- 1813 के चार्टर अधिनियम ने भारत में ब्रिटिश आधिपत्यों पर ब्रिटिश संप्रभुता को पुनः स्थापित किया।
- चाय, अफीम एवं चीन के साथ व्यापार को छोड़कर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार की समाप्ति: इस प्रकार, चाय को छोड़कर सभी वस्तुओं के लिए भारत के साथ व्यापार को सभी ब्रिटिश कंपनियों के लिए खोल दिया गया था। यह 1833 तक चला जब अगले चार्टर ने कंपनी के व्यापारिक कार्यों को समाप्त कर दिया।
- ईसाई मिशनरियों को अनुमति: 1813 के चार्टर अधिनियम ने उन व्यक्तियों को अनुमति दी जो नैतिक एवं धार्मिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए भारत जाने के इच्छुक थे।
- मिशनरी अधिनियम के प्रावधानों में कलकत्ता में अपने मुख्यालय के साथ ब्रिटिश भारत के लिए एक बिशप की नियुक्ति प्राप्त करने में सफल रहे।
- 1813 के चार्टर अधिनियम ने कंपनी के क्षेत्रीय राजस्व एवं वाणिज्यिक लाभ को नियंत्रित किया। कंपनी को अपने क्षेत्रीय एवं वाणिज्यिक खातों को पृथक रखने के लिए कहा गया था।
- कंपनी का लाभांश 5% निर्धारित किया गया था।
- शिक्षा में निवेश का प्रावधान: चार्टर अधिनियम ने कंपनी के लिए एक लाख रुपये अलग करके भारतीयों की शिक्षा में एक व्यापक भूमिका अदा करने का उपबंध किया।