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बिरसा मुंडा- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक का आधुनिक भारतीय इतिहास– महत्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, मुद्दे।

समाचारों में बिरसा मुंडा
- हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने प्रो. आलोक चक्रवाल, कुलपति, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर द्वारा लिखित पुस्तक “बिरसा मुंडा-जनजातीय नायक” का विमोचन किया।
- “बिरसा मुंडा-जनजातीय नायक“ पुस्तक भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष तथा स्वतंत्रता आंदोलन में वनवासियों के योगदान को सामने लाने का एक व्यापक प्रयास है।
बिरसा मुंडा के बारे में प्रमुख तथ्य
- श्री बिरसा मुंडा के बारे में: उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को छोटा नागपुर पठार क्षेत्र में एक मुंडा जनजाति में हुआ था।
- ब्रिटिश शासन के विरुद्ध: बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध देश के लिए वीरता से लड़ाई लड़ी एवं ‘उलगुलान’ (क्रांति) का आह्वान करते हुए ब्रिटिश दमन के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया।
- बीरसैत संप्रदाय: बिरसा ने जनजातियों को ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने के मिशनरियों के प्रयासों को जानने के बाद ‘बीरसैत’ की विचारधारा प्रारंभ की।
- उन्होंने मुंडाओं से आग्रह किया कि वे शराब पीना छोड़ दें, अपने गांव को साफ रखें एवं जादू टोना तथा तंत्र मंत्र में विश्वास करना बंद करें।
- बिरसा मुंडा ने मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया: बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में रांची के दक्षिण में मुंडा विद्रोह की शुरुआत की।
- इसे ‘उलगुलान’ अथवा ‘महान कोलाहल’ के नाम से भी जाना जाता था।
- उद्देश्य: अंग्रेजों को खदेड़कर मुंडा राज की स्थापना करना।
- मुंडा विद्रोह ने मुंडाओं के दुख के निम्नलिखित कारणों की पहचान की-
- हिंदू जमींदारों तथा साहूकारों ने मुंडा जनजातियों की भूमि छीन ली।
- जनजातीय क्षेत्रों में धर्मांतरण गतिविधियां मिशनरियों द्वारा संचालित की जाती हैं।
- शोषणकारी भूमि कराधान प्रणाली तथा ब्रिटिश सरकार की नीतियां।
बिरसा मुंडा के बारे में अधिक जानकारी – जनजातीय गौरव दिवस मनाना
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने को स्वीकृति प्रदान की है।
- यह तारीख श्री बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें संपूर्ण देश के आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- जनजातीय गौरव दिवस आने वाली पीढ़ियों को देश के लिए उनके बलिदानों के बारे में जानने में सहायता करेगा।
- यह दिवस प्रत्येक वर्ष मनाया जाएगा एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण तथा वीरता, आतिथ्य एवं राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने हेतु आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करेगा।



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