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यूएसए-इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से संबद्ध एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल- संदर्भ
- हाल ही में, भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका ने रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) के दायरे में वायु- प्रक्षेपित किए गए मानव रहित आकाशीय वाहन (एएलयूएवी) के लिए एक परियोजना समझौते (पीए) पर हस्ताक्षर किए थे।
- परियोजना समझौते (पीए) पर रक्षा मंत्रालय (एमओडी) तथा अमेरिकी रक्षा विभाग (डीओडी) के मध्य हस्ताक्षर किए गए थे।
- एएलयूएवी के लिए पीए, एमओडी और यूएसए के डीओडी के मध्य अनुसंधान, विकास, परीक्षण तथा मूल्यांकन समझौता ज्ञापन के अंतर्गत आता है, जिस पर प्रथम बार जनवरी 2006 में हस्ताक्षर किए गए थे तथा जनवरी 2015 में इसका नवीनीकरण किया गया था।

यूएसए-इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव (डीटीटीआई)- प्रमुख बिंदु
- रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल की उत्पत्ति: डीटीटीआई की घोषणा 2012 में सैन्य प्रणालियों के सह-उत्पादन तथा सह-विकास हेतु एक महत्वाकांक्षी पहल के रूप में की गई थी।
- रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल के बारे में: यह कोई संधि अथवा विधान नहीं है। यह मूल रूप से सभी संभव तरीकों से नौकरशाही प्रक्रियाओं एवं विधिक आवश्यकताओं को कम करके रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास को सुविधाजनक बनाने हेतु एक रक्षा रणनीति है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए एक लचीला तंत्र है कि दोनों देशों के वरिष्ठ नेता रक्षा के क्षेत्र में अवसरों को सशक्त करने हेतु अनवरत संलग्न हैं।
- रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल का मुख्य उद्देश्य: सहयोगी प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने हेतु संधारित नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करना एवं भारतीय तथा अमेरिकी सैन्य बलों हिंदू भविष्य की प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन एवं सह-विकास के अवसर सृजित करना।
- अब तक हुई प्रगति: डीटीटीआई के अंतर्गत, संबंधित अनुक्षेत्र (डोमेन) में परस्पर सहमत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने हेतु थल, नौसेना, वायु एवं विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है।
रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल की क्षमता (डीटीटीआई)
- इसमें अमेरिका तथा भारत को द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को रूपांतरित करने में सहायक होने की क्षमता है।
- रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल के अंतर्गत सहयोगात्मक दृष्टिकोण (मात्र एक क्रेता-विक्रेता संबंध के स्थान पर) भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को सशक्त कर सकता है।
- उन्नत प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने से रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग एवं सहभागिता का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
- रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल के अंतर्गत सहयोग में भारत एवं अमेरिका के मध्य व्यापारिक संबंधों का विस्तार करने की क्षमता है।


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