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संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन: संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम है जो विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को जल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने, ज्ञान साझा करने तथा जल सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले कार्यों हेतु प्रतिबद्ध करने के लिए एक साथ लाता है। संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- भारत से जुड़े एवं भारत को प्रभावित करने वाले विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम; जीएस पेपर 3- जलवायु परिवर्तन एवं संबंधित मुद्दे) के लिए भी महत्वपूर्ण है।
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 चर्चा में क्यों है?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 का आयोजन 46 वर्षों के उपरांत किया गया। विगत संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 1977 में आयोजित किया गया था। इसकी ‘सतत विकास के लिए जल 2018-2028’ रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र ने कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया, यह देखते हुए कि हम जल के लिए 2030 सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स/एसडीजी) – “सभी के लिए जल तथा स्वच्छता की उपलब्धता एवं सतत प्रबंधन सुनिश्चित करें” को पूरा करने के लिए ट्रैक पर नहीं हैं।
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन की पृष्ठभूमि
जल क्षेत्र में विखंडन सामान्य है क्योंकि जल से जुड़ी समस्याएं आम तौर पर स्थानीय होती हैं। किसी विशिष्ट झील में जल प्रदूषण अथवा किसी क्षेत्र विशेष में निरंतर आने वाली बाढ़ जैसे मुद्दों से निपटने के लिए स्थानीय समाधान की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरुप, स्थानीय समस्याओं को दूर करने के लिए विश्व को लामबंद करने में एक बुनियादी चुनौती है।
- 1977 में आयोजित अभूतपूर्व संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन ने पहली वैश्विक ‘कार्य योजना’ बनाकर इस मुद्दे को संबोधित किया।
- इस योजना ने सभी लोगों के विकास के चरण, सामाजिक या आर्थिक स्थिति पर विचार किए बिना, उनकी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु पर्याप्त गुणवत्ता वाले सुरक्षित पेयजल तक पहुंच के अधिकार को मान्यता प्रदान की।
- इस घोषणा ने कुछ दशकों के ठोस वैश्विक प्रयासों एवं सुरक्षित पेयजल तक पहुंच के बिना आबादी को कम करने के लिए वित्त उपलब्ध कराया।
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन, ताजिकिस्तान एवं नीदरलैंड द्वारा सह-मेजबानी में आयोजित, वैश्विक जल मुद्दों को संबोधित करने में एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि यह एक पीढ़ी में इस तरह का पहला सम्मेलन है।
- अधिदेश: सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर कार्रवाई करने एवं सफल समाधानों को लागू करने के लिए सदस्य देशों, संयुक्त राष्ट्र तंत्र तथा हितधारकों को अभिनियोजित करना है।
- सम्मेलन कार्रवाई के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्यक्रम का उपयोग करके जल कार्रवाई एजेंडा के लिए स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं को प्रोत्साहित करना चाहता है।
- आयोजन की तिथि एवं स्थल: 22-24 मार्च 2023, न्यूयॉर्क, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय
- संयुक्त राष्ट्र जल 2023 थीम: कार्रवाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय दशक के उद्देश्यों के कार्यान्वयन की मध्यावधि व्यापक समीक्षा, “सतत विकास के लिए जल”, 2018-2028
- प्रमुख उद्देश्य: सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में निहित लक्ष्यों सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत जल संबंधी लक्ष्यों तथा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समर्थन।
- सम्मेलन की अध्यक्षता: ताजिकिस्तान और नीदरलैंड की सरकारें।
- सम्मेलन के महासचिव: लिऊ जेनमिन, संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के अवर महासचिव
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन के सिद्धांत
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन एवं इसकी तैयारी प्रक्रिया निम्नलिखित तीन सिद्धांतों के आधार पर आयोजित की गई थी:
- समावेशी: संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में भागीदारी, सहयोगात्मक एवं समावेशी दृष्टिकोण: व्यक्तिगत, अनौपचारिक एवं संस्थागत सभी स्तरों पर क्षमता को सुदृढ़ करने में सहायता करेगा। सम्मेलन दोनों के संदर्भ में समावेशी था-
- सम्मेलन की प्रक्रिया (ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज समावेश सुनिश्चित करना) तथा
- परिणाम (किसी को पीछे नहीं छोड़ना)।
- कार्रवाई उन्मुख: सम्मेलन का उद्देश्य धरातल पर ठोस कार्यों एवं योजनाओं के माध्यम से ठोस परिणाम प्राप्त करना है।
- पार-क्षेत्रीय (क्रॉस-सेक्टोरल): जल संसाधनों के प्रबंधन एवं उपयोग की रीति में सुधार के लिए सम्मेलन को अन्य सभी क्षेत्रों को गतिशील बनाना चाहिए।
- इन क्षेत्रों को सम्मेलन में अपनी योजनाओं तथा कार्यों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
भारत में संबंधित जल मुद्दे
ऐसी आबादी को सेवाएं प्रदान करना जो वर्तमान में अल्पसेवित हैं, आम तौर पर एक विवादास्पद मुद्दा नहीं है तथा मुख्य चुनौती इसके लिए आवश्यक धन जुटाना है। भारत में इस चुनौती से निपटने के लिए स्वच्छ भारत मिशन एवं जल जीवन मिशन जैसी पहलें पूर्व से ही उपस्थित हैं। हालांकि, जल तथा स्वच्छता तक पहुंच में सुधार इन संसाधनों तक निरंतर पहुंच की गारंटी नहीं देता है।
- भूजल के अत्यधिक दोहन अथवा जल स्रोतों के दूषित होने जैसे मुद्दों के कारण अतीत में अनेक पेयजल परियोजनाएं विफल हो गई हैं, जिससे समुदायों को एक बार पुनः जल तक पहुंच से बाहर होना पड़ा है।
- विशेष रूप से पंजाब जैसे अत्यधिक सिंचित क्षेत्रों में, कृषि उपयोग के लिए भूजल के अत्यधिक पंपिंग को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल/CAG) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 एवं 2017 के बीच भारत में भूजल निष्कर्षण 58% से बढ़कर 63% हो गया।
- जलवायु परिवर्तन ने वर्षा के अनियमित प्रतिरूप के कारण स्थिति को और बदतर कर दिया है जिससे पुनर्भरण क्षमता कम हो गई है।
- शेष एसडीजी लक्ष्य सतत कृषि, उद्योग एवं प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को प्राप्त करने पर केंद्रित हैं, जिन्हें पूरा करना अधिक कठिन है क्योंकि उनमें कठिन राजनीतिक निर्णय निर्माण तथा अन्य बातों के साथ लोकतंत्र को मजबूत करना शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 में भारत
सम्मेलन के दौरान, भारत ने दो महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं कीं: जल क्षेत्र में 240 बिलियन डॉलर का निवेश करना एवं भूजल स्तर को पुनर्स्थापित करने के उपाय करना।
- भारत ने जल जीवन मिशन के माध्यम से ग्रामीण पेयजल सेवाओं में वृद्धि करने हेतु 50 बिलियन डॉलर का वचन दिया।
- अत्यधिक भूजल दोहन का सर्वाधिक व्यवहार्य समाधान पम्पिंग की मात्रा को कम करना है, किंतु इसके लिए नीतिगत परिवर्तनों की आवश्यकता होगी जिसके लिए कई एजेंसियों एवं मंत्रालयों के मध्य सहयोग की आवश्यकता होगी।
- परिणामस्वरुप, जल की समस्या अब मात्र जल तक पहुंच सुनिश्चित करने के बारे में नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन के परिणाम
सम्मेलन का मुख्य परिणाम अंतर्राष्ट्रीय जल कार्रवाई एजेंडा का निर्माण था, जिसके लिए व्यवसायों, सरकारों, बहुपक्षीय संस्थानों एवं गैर-सरकारी संगठनों ने जल सुरक्षा मुद्दों को हल करने के उद्देश्य से 670 से अधिक प्रतिबद्धताएं कीं।
- 164 से अधिक सरकारों एवं 75 बहुपक्षीय संगठनों ने अपना समर्थन देने का वचन दिया।
- हालांकि प्रतिबद्धताएं स्वैच्छिक हैं तथा विधिक रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, किंतु उनसे जल से संबंधित विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक राजनीतिक इच्छाशक्ति को प्रेरित करने की संभावना है।
आगे की राह
प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, अपशिष्ट जल उपचारण में प्रगति के अतिरिक्त, जल प्रबंधन के उद्देश्य से इनक्यूबेशन प्लेटफॉर्म के लिए कई प्रस्ताव थे। पहले से ही अनेक ज्ञान-साझाकरण समाधान उपलब्ध हैं तथा हमें क्रॉस-लर्निंग में गति लाने पर ध्यान देना चाहिए।
- इस संबंध में एक प्रमुख उपकरण W12+ ब्लूप्रिंट है, जो यूनेस्को द्वारा स्थापित एक मंच है, जिसमें शहर के प्रोफाइल तथा कार्यक्रमों, प्रौद्योगिकियों एवं सामान्य जल सुरक्षा चुनौतियों को संबोधित करने वाली नीतियों के मामले के अध्ययन शामिल हैं।
- ‘मेकिंग राइट्स रियल’ पहल का उद्देश्य उपेक्षित समुदायों एवं महिलाओं को यह समझने में सहायता करना है कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग कैसे करें।
- इसी तरह, ‘महिलाओं के लिए जल कोष’ महिलाओं को अधिक प्रभावी एवं स्थायी जल, स्वच्छता तथा आरोग्य के परिणाम प्राप्त करने हेतु तंत्र प्रदान करता है।
- हालांकि, क्या ये प्रतिबद्धताएं COP प्रक्रिया के माध्यम से विधिक रुप से बाध्यकारी होंगी, यह देखा जाना शेष है।
संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन क्या है?
उत्तर. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम है जो विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को जल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने, ज्ञान साझा करने एवं जल सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले कार्यों के लिए प्रतिबद्ध करने के लिए एक साथ लाता है।
प्र. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन कितनी बार आयोजित किया जाता है?
उत्तर. 1977 में अंतिम सम्मेलन के उपरांत 2023 में 46 वर्षों में पहली बार संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन आयोजित किया गया था।
प्र. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में कौन भाग लेता है?
उत्तर. सम्मेलन में सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र के कारकों, शिक्षाविदों एवं जल से संबंधित मुद्दों में रुचि रखने वाले अन्य हितधारकों ने भाग लिया है।
प्र. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर. सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य हितधारकों को जल से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने एवं सतत तथा न्यायसंगत जल प्रबंधन व्यवहार को प्रोत्साहित करने हेतु कार्रवाई करने के लिए अभिनियोजित करना है।
प्र. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में चर्चा किए गए कुछ प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
उत्तर. सम्मेलन में चर्चा किए गए कुछ प्रमुख मुद्दों में जल का अभाव, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुंच तथा जल से संबंधित चुनौतियों को दूर करने में पार-क्षेत्रीय (क्रॉस-सेक्टोरल) सहयोग का महत्व शामिल है।


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