प्रासंगिकता
- जीएस 2: संघ और राज्यों के कार्य एवं उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे तथा चुनौतियां, स्थानीय स्तरों तक शक्तियों एवं वित्त का हस्तांतरण तथा उसमें अंतर्निहित चुनौतियां।
प्रसंग
- लोकसभा ने लगभग छह घंटे तक चर्चा करने के उपरांत संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया है।
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मुख्य बिंदु
- विधेयक सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) की अपनी सूची तैयार करने के लिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की शक्ति को प्रत्यावर्तित करने हेतु “102वें संविधान संशोधन विधेयक में कुछ प्रावधानों” को स्पष्ट करने का प्रयास करता है।
- तीन सप्ताह से अधिक निरंतर विरोध के पश्चात, इसे एकता के दुर्लभ प्रदर्शन में विपक्ष का समर्थन प्राप्त हुआ।
- इसे बिना किसी नकारात्मक मत के सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
- यह अनुच्छेद 342 ए (खंड 1 तथा 2) में संशोधन करता है एवं एक नया खंड – 342 ए (3) समाविष्ट करेगा जो राज्यों को अपनी राज्य सूची के अनुरक्षण हेतु विशेष रूप से अधिकृत करता है।
- यह अनुच्छेद 366 (26 सी) एवं 338 बी (9) में भी संशोधन करेगा, जो राज्यों को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संदर्भित किए बिना सीधे एसईबीसी को सूचित करने में सक्षम करेगा।
- यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति मात्र केंद्र सरकार के सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची को अधिसूचित कर सकते हैं।
- इस प्रकार, संशोधन विधेयक सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (नीचे दिए गए) को दरकिनार कर देता है और राज्य सरकारों की ओबीसी की राज्य सूची को अनुरक्षित रखने रखने की शक्तियों को पुनर्स्थापित करता है।
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विधेयक की आवश्यकता
- सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण के अपने निर्णय में 102वें संविधान संशोधन अधिनियम को बरकरार रखा।
- न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि राष्ट्रपति एनसीबीसी की संस्तुतियों के आधार पर उन समुदायों का निर्धारण करेंगे जिन्हें राज्य ओबीसी सूची में समाविष्ट किया जाएगा।
102वां संविधान संशोधन अधिनियम
- इसने एनसीबीसी (राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- इसने राष्ट्रपति को किसी भी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के लिए एसईबीसी सूची को अधिसूचित करने का अधिकार प्रदान किया।