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स्वच्छ भारत का ओडीएफ दावा: स्वच्छ भारत मिशन (SBM) के तहत सरकार द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओपन डिफेकेशन फ्री/ODF) प्रमाण पत्र उन गांवों को दिया जाता है, जिन्होंने गाँव में खुले में शौच की प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया है। सर्वेक्षण ने स्वच्छ भारत के 100% ओडीएफ के दावे को खारिज कर दिया, यह द हिंदू संपादकीय है एवं यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- देश में स्वच्छता एवं स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने के लिए सरकार की विभिन्न नीतियां तथा कार्यक्रम) के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वच्छ भारत का ओडीएफ दावा चर्चा में क्यों है?
हाल ही में जारी एक सरकारी सर्वेक्षण ने 2019 में केंद्र सरकार के इस दावे पर प्रश्न खड़ा किया है कि सभी भारतीय गांव खुले में शौच से मुक्त (ओपन डिफेकेशन फ्री/ओडीएफ) हैं। हालांकि, घोषणा से ठीक पहले या बाद में जारी किए गए चार सरकारी सर्वेक्षणों/रिपोर्टों, जिनमें नवीनतम मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (एमआईएस) शामिल हैं, ने न केवल अधिकांश राज्यों की ओडीएफ स्थिति पर विवाद किया है, बल्कि उनमें से कई में खराब स्वच्छता के स्तर को भी प्रदर्शित किया है।
ओडीएफ स्थिति पर विभिन्न सर्वेक्षण
तीन पुराने सर्वेक्षणों ने सरकार द्वारा सुझाई गई 100% ओडीएफ स्थिति पर संशय प्रकट किया है। वे अक्टूबर 2018 से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस/NSO) सर्वेक्षण, 2019-20 का राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण (नेशनल एनुअल रूरल सैनिटेशन सर्वे/NARSS) एवं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे/NFHS-5) 2019-21 थे। अतः विभिन्न सर्वेक्षणों एवं अध्ययनों ने विरोधाभासी परिणामों की सूचना दी है जो प्रदर्शित करते हैं कि ओडीएफ स्थिति वास्तव में हासिल नहीं की जा सकती है।
स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण (SBMG) सर्वेक्षण
स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण (एसबीएमजी) पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु के गांवों को अक्टूबर 2018 तक 100% ओडीएफ घोषित किया गया था।
- स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण के डेटा ने दावा किया कि मार्च 2019 तक 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, 99% से अधिक ग्रामीण परिवारों में व्यक्तिगत घरेलू शौचालय थे, जबकि छह माह पश्चात दर्ज किए गए NARSS डेटा से पता चलता है कि 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, 90% से कम ग्रामीण परिवार उनके अपने शौचालयों तक पहुंच थी।
- एसबीएमजी के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2019 तक गुजरात के 99.4% ग्रामीण परिवारों के पास उनके व्यक्तिगत शौचालय थे।
एनएफएचएस डेटा एवं एनएसओ सर्वेक्षण
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु में क्रमश: केवल 71% एवं 62.8% ग्रामीण परिवारों के पास एक ही महीने में किसी न किसी रूप में शौचालय (स्वयं, साझा, सार्वजनिक) तक पहुंच थी।
- हालांकि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 की दूसरी छमाही में, गुजरात में ग्रामीण परिवारों में केवल 63.3% आबादी ने व्यक्तिगत शौचालयों का उपयोग किया।
एकाधिक संकेतक सर्वेक्षण (मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे/एमआईएस) (नवीनतम)
मार्च 2022 में जारी एमआईएस के अनुसार, जनवरी 2020 एवं अगस्त 2021 के बीच, 21.3% ग्रामीण परिवारों में, अधिकांश ने कहा कि उनके पास किसी भी प्रकार के शौचालय (स्वयं, साझा, सार्वजनिक) तक पहुंच नहीं है।
- ओडीएफ दावे को खारिज करने वाला एमआईएस सर्वेक्षण विगत पांच वर्षों में चौथा है।
- एमआईएस सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण परिवारों के अधिकांश सदस्यों ने किसी प्रकार के शौचालय तक पहुंच की सूचना दी। उदाहरण के लिए, केरल में, 100% ने कहा कि शौचालय तक उनकी पहुँच थी, जबकि उत्तर प्रदेश में केवल 74.2% के पास ऐसी पहुँच थी।
समयपूर्व 100% ओडीएफ प्रमाणपत्रों से संबंधित चिंताएं
जबकि स्वच्छ भारत ग्रामीण चरण -1 का लक्ष्य अभी हासिल नहीं किया गया था, सरकार ने चरण -2 का अनावरण किया।
- दूसरे चरण में विद्यालयों/आंगनवाड़ियों में शौचालय कवरेज का विस्तार किया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि सभी गांवों में ठोस/तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली होनी चाहिए।
- इन मानदंडों को पूरा करने वाले गांवों को ओडीएफ-प्लस गांवों का नाम दिया गया।
- लक्ष्यों की क्लबिंग के कारण, शौचालय पहुंच (चरण-1 का लक्ष्य) वाले ग्रामीण परिवारों की हिस्सेदारी को अब अलग से ट्रैक नहीं किया गया था।
- साथ ही, डैशबोर्ड से फेज-1 संबंधित संकेतकों को हटा दिया गया था।
- 1 अप्रैल, 2022 तक, भारत में कुल मिलाकर, केवल 8% गांवों ने ओडीएफ-प्लस स्थिति प्राप्त की। तमिलनाडु की हिस्सेदारी 91% से अधिक थी।
- दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ एक वर्ष पूर्व, एमआईएस सर्वेक्षण के अनुसार, तमिलनाडु में केवल 72.4% ग्रामीण परिवारों के पास किसी न किसी रूप में शौचालय था।
- 12 मार्च, 2023 तक भारत में ओडीएफ-प्लस गांवों की हिस्सेदारी बढ़कर 34% हो गई।
- जबकि SBMG डैशबोर्ड शौचालय की पहुंच को अलग से ट्रैक नहीं करता है, स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण सर्वेक्षण (दिसंबर 2021-अप्रैल 2022) शौचालयों तक पहुंच वाले परिवारों के प्रतिशत को सूचीबद्ध करता है।
- इसने निष्कर्ष निकाला कि 28 राज्यों में, ऐसे परिवारों की हिस्सेदारी 90% को पार कर गई एवं भारत का औसत 95% था, जो कि छह माह पूर्व किए गए एमआईएस सर्वेक्षण के आंकड़ों से बहुत अलग था।
निष्कर्ष
दोषपूर्ण स्वच्छता व्यवहार की स्थिति के बारे में सही तिथि होना सही नीतियों को सच्ची भावना से लागू करने एवं भारत से खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
ओडीएफ स्थिति के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न. एसबीएम, ग्रामीण के प्रथम चरण का लक्ष्य क्या है?
उत्तर. स्वच्छ भारत ग्रामीण चरण-1 का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत घरेलू स्तर पर 100% ओडीएफ स्थिति प्राप्त करना था।
प्रश्न. चरण 2 के तहत एसबीएम, ग्रामीण लक्ष्य क्या है?
उत्तर. चरण-2 में शौचालय कवरेज को विद्यालयों/आंगनबाड़ियों तक विस्तारित किया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि सभी गांवों में ठोस/तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली होनी चाहिए। इन मानदंडों को पूरा करने वाले गांवों को ओडीएफ-प्लस गांवों का नाम दिया गया।


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