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भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र

 

 भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था- आयोजना से संबंधित मुद्दे, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार; निवेश प्रतिरूप।

भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र- संदर्भ

  • केंद्र सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में उत्पादकों को घरेलू बाजार में उनके उत्पादों को आयात के रूप में व्यवहार किए बिना विक्रय करने की अनुमति प्रदान करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
  • सरकार निर्यात के लिए हाल ही में अधिसूचित कर प्रतिदाय योजना से निर्यात-उन्मुख इकाइयों (ईओयू) एवं एसईजेड को अपवर्जित करने की भी समीक्षा कर रही है।

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विशेष आर्थिक क्षेत्र- प्रमुख बिंदु

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के बारे में: यह एक देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर एक क्षेत्र है जिसमें व्यापार एवं व्यापारिक कानून देश के अन्य हिस्सों से पृथक होते हैं।
  • मुख्य उद्देश्य: व्यापार संतुलन बढ़ाने (निर्यात को बढ़ावा देकर), रोजगार, निवेश में वृद्धि, रोजगार सृजन एवं प्रभावी प्रशासन जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए एसईजेड की स्थापना की जाती है।
    • सेज के आर्थिक विकास का इंजन होने की अपेक्षा की जाती है।
  • सेज में सरकार द्वारा दी गई छूट: सेज में व्यवसायों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार विभिन्न वित्तीय नीतियां  निर्मित करती है। ये नीतियां सामान्य तौर पर निवेश, कराधान, व्यापार, कोटा, सीमा शुल्क तथा श्रम नियमों से संबंधित होती हैं।
    • प्रारंभिक अवधि में, सरकार प्राय: कर-अवकाश (कम कराधान की अवधि) प्रदान करती है।
    • सरकार इन क्षेत्रों में व्यापारिक सुगमता को भी सुनिश्चित करती है।

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद

भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र

  • उत्पत्ति:
    • एशिया का पहला ईपीजेड (निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र) 1965 में कांडला, गुजरात में स्थापित किया गया था।
    • एसईजेड संरचना में ईपीजेड के समरूप हैं।
    • भारतीय एसईजेड चीन के एसईजेड की सफलता पर आधारित हैं।
    • सरकार ने 2000 में ईपीजेड की सफलता को सीमित करने वाली ढांचागत एवं नौकरशाही चुनौतियों के निवारण हेतु विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत एसईजेड स्थापित करना प्रारंभ किया था।
  • विधायी समर्थन: एसईजेड को विधायी सहायता प्रदान करने हेतु 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया था। अधिनियम 2006 में एसईजेड नियमों के साथ प्रवर्तित हुआ।
    • सेज अधिनियम 2005: “इसे निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना, विकास एवं प्रबंधन के लिए तथा उससे संबंधित अथवा उसके प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान करने हेतु एक अधिनियम के रूप में परिभाषित किया गया है।”
    • 2000-2006 केमध्य, एसईजेड विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत क्रियाशील थे।
  • वर्तमान स्थिति: सरकार द्वारा 379 एसईजेड अधिसूचित किए गए हैं, जिनमें से 265 क्रियाशील हैं।
    • भारत में सेज का क्षेत्रीय वितरण: लगभग 64% सेज पाँच राज्यों- तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में स्थित हैं।
  • बाबा कल्याणी समिति: इसका गठन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत की वर्तमान एसईजेड नीति का अध्ययन करने हेतु किया गया था एवं नवंबर 2018 में इसने अपनी संस्तुतियां प्रस्तुत की थीं।

भारत एवं एसडीजी 12

विशेष आर्थिक क्षेत्र- प्रमुख उद्देश्य

  • अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि सृजित करना।
  • वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • रोजगार सृजित करने हेतु।
  • घरेलू तथा विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
  • बुनियादी सुविधाओं का विकास करना।

 

खाता समूहक प्रणाली

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