Table of Contents
इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट: प्रासंगिकता
- जीएस 2: भारत एवं उसके पड़ोसी देश- संबंध।

भारत बांग्लादेश संबंध: संदर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी मंत्री ने पटना (बिहार) से बांग्लादेश के रास्ते पांडु (असम) तक खाद्यान्न की पहली यात्रा का स्वागत किया।
भारत-बांग्लादेश नवाचार मार्ग: प्रमुख बिंदु
- स्वचालित जहाज एमवी लाल बहादुर शास्त्री ने भारतीय खाद्य निगम (फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया/ एफसीआईI) के लिए कुल 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न का परिवहन किया।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया/आईडब्ल्यूएआई) राष्ट्रीय जलमार्ग (नेशनल वॉटरवेज/एनडब्ल्यू) एनडब्ल्यू 1 तथा एनडब्लू2 के मध्य एक निश्चित निर्धारित नौचालन (शेड्यूल सेलिंग) चलाने की योजना बना रहा है। यह असम एवं पूर्वोत्तर भारत के लिए अंतर्देशीय जल परिवहन के एक नए युग का प्रतीक होगा।
- कल्पना चावला तथा एपीजे अब्दुल कलाम नामक दो जहाजों के साथ एक अन्य जहाज एम वी राम प्रसाद बिस्मिल ने 17 फरवरी 22 को हल्दिया से यात्रा प्रारंभ की एवं पांडु पहुंचने के मार्ग में है।
- प्रधान मंत्री गति शक्ति ने बांग्लादेश के माध्यम से ऐतिहासिक व्यापार मार्गों को पुनः जीवंत करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया।
इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट: महत्व
- इसने असम में अंतर्देशीय जल परिवहन के एक नए युग का प्रारंभ किया है।
- यह व्यावसायी समुदाय को एक व्यवहार्य, आर्थिक एवं पारिस्थितिक विकल्प प्रदान करेगा।
- जलमार्ग के माध्यम से माल का आवागमन भारत के पूर्वोत्तर को विकास के इंजन के रूप में सक्रिय करने में केंद्रीय भूमिका निभाने जा रहा है।
- यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है।
- लंबे समय से इस क्षेत्र में विकास को अशक्त बना रहे भू-आबद्ध पहुंच को मध्य से काटकर जलमार्ग गुजरेगा।
- जलमार्ग न केवल इस भौगोलिक बाधा को दूर करेगा, बल्कि व्यवसाय एवं क्षेत्र के लोगों के लिए एक किफायती, तीव्र एवं सुविधाजनक परिवहन भी प्रदान करेगा।

भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के बारे में
- अंतर्देशीय जल पारगमन एवं व्यापार पर भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल भारत तथा बांग्लादेश के मध्य अस्तित्व में है जिसके अंतर्गत एक देश के अंतर्देशीय जलपोत दूसरे देश के निर्दिष्ट मार्गों से पारगमन कर सकते हैं।
- मौजूदा प्रोटोकॉल मार्ग हैं:
- कोलकाता-पांडु-कोलकाता
- कोलकाता-करीमगंज – कोलकाता
- राजशाही-धुलियन-राजशाही
- पांडु-करीमगंज-पांडु
- नौवहन क्षमता में सुधार के लिए, आईबीपी मार्गों के दो हिस्सों, सिराजगंज-दाइखोवा एवं आशुगंज-जकीगंज को भी 80:20 शेयर के आधार पर 305.84 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है (80% भारत द्वारा तथा 20% बांग्लादेश द्वारा वहन किया जा रहा है)।
- इन हिस्सों के विकास से उत्तर पूर्वी क्षेत्र को निर्बाध नौवहन प्राप्त होने की संभावना है।
- सात वर्षों (2019 से 2026 तक) की अवधि के लिए अपेक्षित गहनता प्रदान करने एवं बनाए रखने के लिए दो हिस्सों पर तलकर्षण (ड्रेजिंग) के अनुबंध जारी हैं।
- एक बार भारत-बांग्लादेश नवाचार (इंडिया-बांग्लादेश प्रोटोकॉल/आईबीपी) मार्ग संख्या 5 एवं 6 भारत में फरक्का के समीप मैया से बांग्लादेश में अरेचा तक, राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 से राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 2 (उत्तर पूर्वी क्षेत्र) को जोड़ने वाली आईडब्ल्यूटी दूरी लगभग 1000 किमी कम हो जाएगी, जिससे समय तथा लागत काफी हद तक कम हो जाएगी।
| भारत में नक्सलवाद: भारत में नक्सलवाद की उत्पत्ति, विचारधारा एवं प्रसार के कारण | मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-32) | संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32) | समर्थ पहल | संपादकीय विश्लेषण: महिला कार्यबल की क्षमता का दोहन |
| अभ्यास स्लिनेक्स | 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए, निर्यात सकल घरेलू उत्पाद के 20% तक बढ़ना चाहिए | अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस | स्वयं सहायता समूह एवं ई-शक्ति |
| संपादकीय विश्लेषण- विदेश में छात्रों के लिए सुरक्षा व्यवस्था | भारतीय रेलवे की कवच प्रणाली | सहायक संधि व्यवस्था | प्रभाव एवं महत्व | प्लास्टिक पुनर्चक्रण एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन |


TSPSC Group 1 Question Paper 2024, Downl...
TSPSC Group 1 Answer key 2024 Out, Downl...
UPSC Prelims 2024 Question Paper, Downlo...
