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प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं नियोजन, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने चालू वित्त वर्ष (2021-22) की पहली तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी किए।
- एमओएसपीआई के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून 2021 में भारत की मौजूदा जीडीपी में विगत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में1% की वृद्धि हुई।

मुख्य बिंदु
- प्रत्येक वर्ष, एमओएसपीआई चार तिमाही जीडीपी आंकड़ों को अद्यतन जारी करता है, जो पर्यवेक्षकों को भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का आकलन करने में सहायता करता है।
- आंकड़ों से ज्ञात होता है कि 2021-22 की पहली तिमाही में, भारत की पहली तिमाही में जीडीपी 2021 में 1% की वृद्धि हुई, जबकि जीवीए में 18.8% की वृद्धि हुई।
- विशेष रूप से, जीडीपी एवं जीवीए में विगत वित्त वर्ष की पहली तिमाही में क्रमशः 4% और 22.4% की कमी आई थी।
सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) एवं जीवीए (सकल मूल्य वर्धित)
- जीडीपी = (जीवीए) + (सरकार द्वारा अर्जित कर) — (सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायिकी)
- अंगूठे के नियम के रूप में, यदि सरकार सहायिकी पर व्यय की तुलना में करों से अधिक अर्जित करती है, तो सकल घरेलू उत्पाद जीवीए से अधिक होगा।
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद
सकारात्मक
- अप्रैल-मई हेतु ऊर्जा उत्पादन, ईंधन की खपत एवं रेलवे माल ढुलाई जैसे कुछ उच्च बारंबारता संकेतकों से संबंधित आंकड़ों ने संकेत दिया कि कोविड 0 की तुलना में कोविड 2.0 के पश्चात प्रतिक्षेप तीव्र रहा है।
विभिन्न क्षेत्रक
- विनिर्माण तथा निर्माण में अप्रैल-जून में सकारात्मक रुझान देखा गया, एवं अप्रैल-जून 2020 की तुलना में क्रमशः 63% और 68.3% की वृद्धि हुई।
- जीडीपी के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि ‘कृषि, वानिकी एवं मत्स्यन‘ एवं ‘बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपादेयता सेवाओं‘ सहित क्षेत्र 2019-20 के पूर्व-कोविड वर्ष के स्तर से ऊपर हैं।
- कृषि एवं विद्युत क्षेत्र में अप्रैल-जून 2019-20 की तुलना में क्रमश: 21% और 3% की वृद्धि हुई है।
व्यय
- निजी अंतिम उपभोग व्यय में 34% की वृद्धि हुई।
- यह उपभोक्ता व्यय की एक युक्ति है।
- सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 26% का उछाल लाया।
- यह निजी निवेश की एक युक्ति है।
वैकल्पिक निवेश कोष: उभरते सितारे कोष
चिंताएं
- तीव्र वृद्धि मुख्य रूप से 2020-21 की पहली तिमाही के निम्न आधार के कारण रही। उपभोक्ता व्यय एवं निजी निवेश के अतिरिक्त विनिर्माण एवं निर्माण क्षेत्रों में अभी भी 2019-20 के नवीनतम पूर्व-कोविड वर्ष के स्तर तक पहुंचने से पूर्व कुछ दूरी तय करनी है।
- यद्यपि सरकार दावा कर रही है कि अर्थव्यवस्था में वी-आकार का पुनः स्थापन हो रहा है, आर्थिक विशेषज्ञ इसके बारे में संशय में हैं और इस बात का पक्ष पोषण करते हैं कि वर्तमान आंकड़े काफी हद तक निम्न आधार प्रभाव के कारण हैं।
- आधार प्रभाव: यह किसी दिए गए माह में वर्तमान मूल्य स्तरों की तुलना एक वर्ष पूर्व के समान माह के मूल्य स्तरों के प्रभाव से करता है
- इसके अतिरिक्त, विशेष रूप से आतिथ्य, यात्रा, सौंदर्य एवं कल्याण, कार मरम्मत सेवाओं जैसे संपर्क गहन क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र लगातार पिछड़ रहे हैं।
- पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद 38 लाख करोड़ रुपये (स्थिर मूल्य) पर अभी भी पूर्व-कोविड वर्ष 2019-20 के दौरान इसी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद से 9.2% कम है।
- इस तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में खपत के हिस्से में लगभग 4 प्रतिशत अंक की तीव्र गिरावट देखी गई, जो कि सरकारी उपभोग के कारण है।
आगे की राह
- इस वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक परिणामों को देखते हुए, कोविड महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित होने के कारण, यह दूसरी तिमाही के आंकड़े हैं जो पुनर्लाभ के आकार की वास्तविक परीक्षा होंगे।


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