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यूपीएससी के लिए 31 दिसंबर 2022 की दैनिक समसामयिकी: हम आपके लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण दैनिक यूपीएससी प्रीलिम्स विशिष्ट समसामयिकी के साथ अपडेट करने के सिद्धांत पर “यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी” लाते हैं। यूपीएससी उम्मीदवारों के कीमती समय को बचाने के लिए ये दैनिक समसामयिकी बिट फॉर्म/संक्षिप्त रूप में तैयार किए गए हैं। आज के प्रीलिम्स बिट्स में हम नीचे दिए गए टॉपिक्स के लिए करंट अफेयर्स बिट्स को कवर कर रहे हैं: कोनेरू हंपी, श्री नारायण गुरु, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम)।
कोनेरू हम्पी
चर्चा में क्यों है?
- पूर्व विश्व रैपिड चैंपियन कोनेरू हम्पी ने अलमाटी, कजाकिस्तान में फिडे वर्ल्ड ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला रजत पदक जीता।
हंपी ने 17वें एवं अंतिम दौर में चीन की झोंग्यी टैन को हराकर रजत पदक जीता।
प्रीलिम्स बिट्स
FIDE वर्ल्ड ब्लिट्ज चैंपियनशिप 2022 के बारे में जानिए
FIDE वर्ल्ड ब्लिट्ज चैंपियनशिप 2022 एक विशिष्ट ओवर-द-बोर्ड कार्यक्रम है जिसमें विश्व के सर्वश्रेष्ठ ब्लिट्ज शतरंज खिलाड़ी शामिल होते हैं। 350,000 डॉलर की पुरस्कार राशि के अपने हिस्से के लिए स्विस टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने हेतु संपूर्ण विश्व के मास्टर्स एवं राष्ट्रीय चैंपियन एकत्रित होते हैं। यह आयोजन 29 दिसंबर से 30 दिसंबर तक चलेगा।
कौन हैं कोनेरू हम्पी
- हम्पी विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व ब्लिट्ज में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय हैं।
- कोनेरू हम्पी एक भारतीय ग्रैंडमास्टर हैं जो अपनी खेल शैली एवं शतरंज से 2 साल का अवकाश (ब्रेक) लेने के बाद 2020 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतने के लिए जानी जाती हैं।
- उनका जन्म 31 मार्च, 1987 को विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था।
श्री नारायण गुरु
चर्चा में क्यों हैं?
रक्षा मंत्री (डिफेंस मिनिस्टर/एमओडी) श्री राजनाथ सिंह जी ने शिवगिरी मठ की 90वीं वार्षिक तीर्थयात्रा का उद्घाटन करते हुए कहा है कि आत्मनिर्भर भारत श्री नारायण गुरु जी जैसे संतों की “उद्योग के माध्यम से समृद्धि“ की शिक्षा से प्रेरित है।
प्रीलिम्स बिट्स
श्री नारायण गुरु
- श्री नारायण गुरु का जन्म 22 अगस्त, 1856 (मलयालम कैलेंडर में 1032 चिंगम) को हुआ था।
- 1904 में उन्होंने एक पथिक के रूप में अपना जीवन त्याग दिया एवं अपनी साधना जारी रखने के लिए एक जगह बसने का निर्णय लिया।
- उन्होंने तिरुवनंतपुरम से बीस मील उत्तर में वर्कला में शिवगिरि को चुना।
- उन्होंने आधुनिक चेतना उत्पन्न करने हेतु शिवगिरी मठ के माध्यम से शिक्षा एवं स्वच्छता जैसे विषयों का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
- उन्होंने वर्कला में एक संस्कृत विद्यालय प्रारंभ किया तथा निर्धन बालकों एवं अनाथों को उनकी जाति की परवाह किए बिना निशुल्क शिक्षा प्रदान की गई। त्रिशूर में विभिन्न स्थानों पर मंदिरों का निर्माण किया गया ।
शिवगिरी मठ के बारे में जानिए
- शिवगिरी मठ केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के वर्कला शहर में एक प्रसिद्ध पर्यटक तीर्थ स्थान है।
- मठ श्री नारायण धर्म संघम का भी मुख्यालय है, जो नारायण गुरु के शिष्यों एवं अनुयायियों का एक संगठन है।
- शिवगिरी तीर्थ यात्रा, जिसे मलयालम में शिवगिरी तीर्थ दानम के नाम से जाना जाता है, मठ में मनाया जाने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण त्योहार है।
रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम)
चर्चा में क्यों है?
भारत के निर्वाचन आयोग का कहना है कि उसने एक प्रोटोटाइप, मल्टी-कांस्टीट्यूएंसी रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) विकसित किया है एवं इसे प्रदर्शित करने के लिए 16 जनवरी को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
बहु निर्वाचन क्षेत्रों पर प्रीलिम्स बिट्स
- मल्टी कांस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का एक संशोधित रूप है जो एक सुदूर पोलिंग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को प्रबंधित कर सकता है।
- पहल, यदि क्रियान्वित की जाती है, तो प्रवासियों के लिए एक सामाजिक परिवर्तन हो सकता है एवं अपनी जड़ों से जुड़ सकते हैं क्योंकि कई बार वे अपने काम के स्थान पर स्वयं को नामांकित करने हेतु अनिच्छुक होते हैं जैसे कि बार-बार बदलते आवास, प्रवास के क्षेत्र के मुद्दों के साथ पर्याप्त सामाजिक एवं भावनात्मक जुड़ाव नहीं होने, उनके घर / मूल निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में अपना नाम हटाने की अनिच्छा का होना क्योंकि उनके पास स्थायी निवास / संपत्ति इत्यादि हैं।
- एक प्रसिद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के सहयोग से आयोग अब, उनके घरेलू निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान के लिए उनके दूरस्थ स्थानों, अर्थात शिक्षा/रोजगार के प्रयोजनों के लिए उनके वर्तमान निवास स्थान इत्यादि से घरेलू प्रवासियों की भागीदारी की सुविधा के लिए एक बहु निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) प्रायोगिक तौर पर संचालित करने हेतु तैयार है।
आज के इतिहास में – ”ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी”
चर्चा में क्यों है?
- 31 दिसंबर 1600 को, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन एक अंग्रेजी शाही चार्टर द्वारा किया गया था।
- वास्तव में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को ईस्ट इंडीज के साथ व्यापार करने के लिए ब्रिटिश सम्राट एलिजाबेथ प्रथम से रॉयल चार्टर प्राप्त हुआ था।
प्रीलिम्स बिट्स
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एक “कारखाना” प्रणाली पर निर्भर थी, व्यापारिक पदों को स्थापित करने एवं उन्हें माल के लिए स्रोत तथा वार्ता करने की अनुमति प्रदान करने हेतु इन्हें “फैक्टर” कहा जाता था।
- 1613 में मुगल सम्राट जहांगीर के साथ एक संधि के द्वारा, इसने अपना पहला कारखाना सूरत में स्थापित किया जो अब पश्चिमी भारत है।
- इन वर्षों में, कंपनी ने अपना ध्यान काली मिर्च एवं अन्य मसालों से केलिको तथा रेशम के वस्त्र एवं अंततः चाय पर स्थानांतरित कर दिया एवं फारस की खाड़ी, चीन तथा एशिया में अन्य स्थानों पर और विस्तार किया।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के शाही चार्टर ने इसे “युद्ध छेड़ने” की क्षमता प्रदान की एवं आरंभ में इसने अपनी रक्षा के लिए तथा प्रतिद्वंद्वी व्यापारियों से लड़ने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल किया। हालांकि, 1757 में, इसने बंगाल के पूरे मुगल राज्य पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- कंपनी ने तब अपनी विजय पर साम्राज्य का निर्माण किया एवं फ्रांसीसियों तथा डचों को भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर कर दिया।
- इसके बाद के वर्षों में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने उपमहाद्वीप के अन्य क्षेत्रों पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया एवं उन क्षेत्रों के शासकों के साथ गठजोड़ किया जिन्हें वे विजित नहीं कर सकते थे।
- अपनी सर्वोच्चता पर, इसकी 260,000 (ब्रिटेन की स्थायी सेना के आकार का दोगुना) की सेना थी एवं ब्रिटेन के लगभग आधे व्यापार का योगदान करती थी।



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