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हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
सीओपी 27 में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा: मिस्र में यूएनएफसीसीसी सीओपी 27 2022 का आयोजन किया जा रहा है। भाग लेने वाले विभिन्न देश जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं एवं जलवायु परिवर्तन को कम करने के तरीकों तथा विश्व पर इसके प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं। सीओपी 27 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय समाचार/समूह) एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा जलवायु परिवर्तन) के लिए महत्वपूर्ण है।
सीओपी 27 में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा
- मिस्र में जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज/COP27) अपने अंतिम सप्ताह में प्रवेश कर चुका है, किंतु समाचार रिपोर्टों से संकेत प्राप्त होता है कि प्रगति संतोषजनक से कम रही है।
- जलवायु वार्ता शुक्रवार को समाप्त होने की संभावना है, किंतु यह सप्ताहांत में जारी रह सकती है।
सीओपी 27 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में खराब प्रगति
- संवेदनशील देशों को बाढ़, सूखे तथा अन्य जलवायविक घटनाओं से होने वाले नुकसान से निपटने में सहायता करने के लिए ‘नुकसान एवं क्षति’ कोष पर अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है।
- काफी बहस के बाद, जलवायु आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल सहायता देने की योजना को अंतिम रूप दिया गया।
- यद्यपि, सीमित संसाधनों वाले कुछ देशों ने योजना के बीमा पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में चिंता व्यक्त की है क्योंकि इससे प्रीमियम में बढ़ोतरी होगी।
- कार्बन प्रतिसंतुलन साख (कार्बन ऑफसेट क्रेडिट) पर बहस धीमी रही है। ऐसे क्रेडिट देशों या कंपनियों को हरितगृह गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए दूसरों को भुगतान करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
- देशों ने पूर्व में ही 2023 तक इस निर्णय को आगे बढ़ा दिया है कि किस प्रकार की परियोजनाएँ क्रेडिट का उत्पादन कर सकती हैं – सौर खेतों से लेकर वनों की कटाई से बचने के लिए परियोजनाओं तक।
सीओपी 27 जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत
- भारत ने विगत सप्ताह कोयले पर ध्यान केंद्रित करने के स्थान पर सभी जीवाश्म ईंधन – तेल एवं गैस के साथ-साथ कोयले – को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के सौदे पर बल देकर कुछ देशों को चौंका दिया, जिस पर देश विगत वर्ष की बैठक में सहमत हुए थे।
- अमेरिका सहित तेल एवं गैस निर्यातक देश इस विचार का विरोध कर सकते हैं क्योंकि इससे उनके जीवाश्म ईंधन की मांग को हानि पहुंच सकती है।
जलवायु परिवर्तन के कारण संबद्ध चुनौतियाँ- चिंताजनक रुझान
- जलवायु सम्मेलन में जारी एक रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि कोयला, गैस एवं तेल से उत्सर्जन 2022 के अंत तक रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने के लिए तैयार है।
- जबकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों पर गरमागरम बहस चल रही है, पृथ्वी अब तेज गति से गर्म हो रही है क्योंकि उच्च स्तर की हरितगृह गैसों को वायुमंडल में मुक्त किया जा रहा है।
- इससे बर्फ पिघल रही है, महासागर गर्म हो रहे हैं तथा समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।
- कार्बन डाइऑक्साइड के वार्षिक उत्सर्जन में निरंतर वृद्धि: प्रत्येक वर्ष उत्सर्जन में वृद्धि के साथ, अभी तक इसके चरम पर पहुंचने का कोई संकेत नहीं है।
- चीन एवं अमेरिका दो सबसे बड़े प्रदूषक हैं। जबकि भारत का अंश बढ़ रहा है, यूरोपीय संघ का योगदान कम हो रहा है।
- उत्सर्जन में वृद्धि के कारण, वैश्विक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का संकेंद्रण अपनी निकट-ऊर्ध्वाधर वृद्धि जारी रखी है, जो औद्योगिक क्रांति के साथ प्रारंभ हुई थी।
- वैश्विक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड संकेंद्रण 419 कण प्रति मिलियन तक पहुंच गई है।
- कार्बन डाइऑक्साइड के संकेंद्रण में वृद्धि ने वैश्विक सतह के तापमान में वृद्धि जारी रखी है।
- सतह के तापमान में वृद्धि: नासा के अनुसार, “1998 के अपवाद के साथ, सर्वाधिक गर्म वर्षों में से उन्नीस वर्ष 2000 के पश्चात से हुए हैं।
- 1880 में अभिलेख रक्षण (रिकॉर्ड कीपिंग) प्रारंभ होने के पश्चात से रिकॉर्ड पर सर्वाधिक गर्म वर्ष के लिए वर्ष 2020 एवं 2016 एक स्तर पर हैं।
- बढ़ते तापमान के कारण अंटार्कटिका में बर्फ के द्रव्यमान में कमी हो रही है।
- 2002 के पश्चात से, अंटार्कटिका का हिम का द्रव्यमान प्रति वर्ष 151 बिलियन मीट्रिक टन की दर से परिवर्तित हुआ है।
- समुद्र के तापमान में वृद्धि: बढ़ते तापमान के कारण महासागर भी गर्म हो रहे हैं। 1955 के बाद से महासागरों का तापमान 337 जेट्टा जूल तक गर्म हो गया है।
- समुद्र स्तर में वृद्धि: हिम की परतों के पिघलने से अब महासागरों में अधिक जल उपलब्ध है तथा महासागरों के गर्म होने से जल का विस्तार हो रहा है, जिससे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है।
- जनवरी 1993 से, वैश्विक समुद्र जलस्तर में 102.5 मिमी की वृद्धि हुई है।



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