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सी-295 विमान

सी-295 विमान- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: सुरक्षा- सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन।

सी-295 विमान- संदर्भ

  • हाल ही में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी ने भारतीय वायु सेना के लिए 56 सी-295 मध्यम परिवहन विमान की खरीद को स्वीकृति प्रदान की थी।
  • सी-295 विमान भारत के पुराने हो रहे एवरो विमानों को प्रतिस्थापित करेगा, जिन्हें प्रथम बार लगभग 60 वर्ष पूर्व शामिल किया गया था।

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सी-295 विमान- प्रमुख बिंदु

  • सी-295 विमान के बारे में: यह 20 टन का एक मध्यम परिवहन विमान (एमटीए) है जो 1960 के दशक में खरीदे गए एवरो-748 परिवहन विमान को प्रतिस्थापित करेगा।
    • एवरो-748 विमान: वे ब्रिटिश मूल के युगल इंजन वाले टर्बोप्रॉप हैं, जिनकी माल ढुलाई क्षमता 6 टन है।
  • प्रमुख विशेषताएँ: सी-295 विमान की क्षमता 5-10 टन है।
    • इसमें त्वरित प्रतिक्रिया एवं सैनिकों और कार्गो के पैरा ड्रॉपिंग के लिए एक पश्च प्रवण द्वार (रियर रैंप डोर) भी है।
    • यह प्रैट एंड व्हिटनी पीडब्ल्यू 127 इंजन द्वारा संचालित है, जो पीडब्ल्यू 100 परिवार का हिस्सा है।
    • सभी 56 विमानों को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्धक कक्ष (वारफेयर सूट) के साथ स्थापित किया जाएगा।
  • निर्माण:
    • 16 सी-295 एयरक्राफ्ट को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए द्वारा उड़ान योग्य स्थिति (फ्लाईअवे कंडीशन) मेंउपलब्ध कराया जाएगा।
    • मेक इन इंडिया: शेष 40 सी-295 विमान भारत में एयरबस डिफेंस एंड स्पेस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के एक संघ द्वारा निर्मित किए जाएंगे।

संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल

सी-295 विमान सौदे का महत्व

  • आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना: ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को एक व्यापक अभिवर्धन प्रदान करेगा क्योंकि यह भारतीय निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी-गहन  एवं अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक  विशिष्ट अवसर प्रदान करता है।
  • निजी भागीदारी: यह अपनी तरह की प्रथम परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।
  • भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना: एक व्यापक संख्या में ब्योरेवार भागों के रूप में, हवाई संरचना के उप-समन्वायोजन एवं प्रमुख घटक समन्वायोजनों का निर्माण भारत में किया जाना था।
  • भारत में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा: देश भर में फैले अनेक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विमान के पुर्जों के निर्माण में शामिल होंगे।
  • रोजगार सृजन: कार्यक्रम देश के एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र में रोजगार सृजन में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।
    • इससे भारत के विमान निर्माण तकनीक (एयरोस्पेस) एवं रक्षा क्षेत्र में 600 अत्यधिक कुशल नौकरियां, 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार एवं 5 लाख से अधिक मानव घंटों के कार्य के साथ अतिरिक्त 3000 मध्यम कौशल रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है।
  • आधारिक अवसंरचना का विकास: इसमें विमानशाला (हैंगर), भवन, कार्य स्थल (एप्रन) एवं टैक्सी मार्ग के रूप में विशेष आधारिक संरचना का विकास शामिल होगा।

मालाबार अभ्यास

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