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अर्जुन एमके-1ए टैंक

अर्जुन एमके-1ए टैंक- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: सुरक्षा- सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन।

अर्जुन एमके-1ए टैंक- संदर्भ

  • हाल ही में, रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 118 स्वदेशी अर्जुन एमके-1ए मुख्य युद्धक टैंकों की आपूर्ति हेतु हेवी व्हीकल्स फैक्ट्री (एचवीएफ), अवाडी को एक ऑर्डर दिया।
  • जैसलमेर में एक अर्जुन केंद्र स्थापित किया गया है जहां बेड़े के लिए त्वरित समर्थन एवं अनुरक्षण (रखरखाव) सुनिश्चित करने हेतु 248 घूर्णी (रोटेबल) जमा किए गए हैं।

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अर्जुन एमके-1ए टैंक- प्रमुख बिंदु

  • अर्जुन एमके-1ए टैंक के बारे में: अत्याधुनिक एमबीटी एमके-1ए अर्जुन टैंक का एक नवीन संस्करण है जिसे मारक क्षमता, गतिशीलता तथा उत्तरजीविता में वृद्धि करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य विशेषताएं:

  • अर्जुन एमके-1ए 72 नवीन विशेषताओं एवं एमके-1 संस्करण से अधिक स्वदेशी सामग्री से युक्त है,
  • अर्जुन एमके-1ए टैंक दिन तथा रात के दौरान परिशुद्ध लक्ष्य निर्धारण के अतिरिक्त, सभी इलाकों में सहज गतिशीलता सुनिश्चित करेगा।
  • अर्जुन एमके-1ए को मिसाइल फायरिंग हेतु विशिष्ट रूप से निर्मित किया गया है एवं उन्नत जीएमएस में एक अंतर्निर्मित लेजर लक्ष्य अभिहित है।
  • डिजाइनिंग तथा विकास एजेंसी: एमबीटी अर्जुन एमके -1 ए को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की अन्य प्रयोगशालाओं के साथ लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया था।

हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस-एमके 2 

अर्जुन एमके-1ए टैंक- महत्व

  • भारतीयकरण को बढ़ावा देना: इस परियोजना से मेक इन इंडिया को बढ़ावा देकर रक्षा प्रौद्योगिकी के भारतीयकरण की दिशा में प्रयासों को उत्प्रेरित करने की संभावना है।
    • यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
  • रोजगार सृजन: इस परियोजना से एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय विक्रेताओं के लिए रक्षा निर्माण में एक बड़ा अवसर सृजित होने की संभावना है, जिसमें लगभग 8,000 लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक परियोजना

  • अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक के बारे में: अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक परियोजना को डीआरडीओ द्वारा 1972 में कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) के साथ इसकी प्रमुख प्रयोगशाला के रूप में आरंभ किया गया था।
  • 1996 में अवाडी, तमिलनाडु में भारतीय आयुध निर्माणी के उत्पादन संस्थान में व्यापक पैमाने पर उत्पादन प्रारंभ हुआ।
  • उद्देश्य: “बेहतर मारक क्षमता, उच्च गतिशीलता तथा उत्कृष्ट सुरक्षा के साथ अत्याधुनिक टैंक” निर्मित करना।

मुख्य विशेषताएं:

  • अर्जुन टैंक अपने ‘फिन स्टेबलाइज्ड आर्मर पियर्सिंग डिस्कार्डिंग सबोट (एफएसएपीडीएस)’ गोला-बारूद और 120-मिमी कैलिबर राइफल गन के कारण सबसे अलग (विशिष्ट) है।
  • इसमें स्थिर निशाना लेने के साथ एक कंप्यूटर नियंत्रित एकीकृत मारक नियंत्रण प्रणाली भी है जो सभी प्रकाश क्षेत्र (व्यवस्था) की स्थिति में कार्य करती है।
  • द्वितीयक अस्त्रों में मानव-रोधी हेतु एक समाक्ष 62-मिमी मशीन गन एवं विमान-रोधी तथा जमीनी लक्ष्यों के लिए 12.7-मिमी मशीन गन शामिल हैं।

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