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भारत का 22वां विधि आयोग: विधि आयोग केंद्र सरकार की कार्यपालिका के प्रस्ताव द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- भारतीय संविधान: विभिन्न संवैधानिक, वैधानिक, संविधानेत्तर एवं न्यायिक निकाय) के लिए भी भारत का विधि आयोग महत्वपूर्ण है।
भारत का 22वां विधि आयोग चर्चा में क्यों है?
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 अगस्त, 2024 तक भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल के विस्तार को अपनी स्वीकृति प्रदान की।
22 वें विधि आयोग का कार्यकाल
बाईसवें विधि आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य द्वारा हाल ही में पद धारण किया गया है। विधि आयोग के अध्यक्ष ने जांच एवं रिपोर्ट के लिए अनेक लंबित परियोजनाओं को हाथ में लिया है जिन पर अभी कार्य जारी है।
- अतः, बाईसवें विधि आयोग के कार्यकाल में 31 अगस्त, 2024 तक वृद्धि की गई है।
- 22वें विधि आयोग को 24 फरवरी 2020 को अधिसूचित किया गया था। भारत के वर्तमान 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 20 फरवरी, 2023 को समाप्त होना था, किंतु कार्यकाल के विस्तार के साथ, अब इसका कार्यकाल 31 अगस्त 2024 को समाप्त होगा।
22 वें विधि आयोग की संरचना
सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आयोग के प्रमुख होते हैं (अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं)। 22वें विधि आयोग की संरचना में निम्नलिखित सम्मिलित होते हैं-
- एक पूर्णकालिक अध्यक्ष;
- चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य-सचिव सहित)
- पदेन सदस्य के रूप में सचिव, विधि कार्य विभाग;
- पदेन सदस्य के रूप में सचिव, विधायी विभाग; एवं
- पांच से अनधिक अंशकालिक सदस्य।
22 वें विधि आयोग के अध्यक्ष
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात से अब तक 22 विधि आयोग गठित हो चुके हैं। हाल ही में 22वें विधि आयोग का गठन किया गया है। न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है, जो जुलाई 2022 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
- वह 11 अक्टूबर 2021 से 2 जुलाई 2022 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
- वह 13 अप्रैल 2009 से 10 अक्टूबर 2021 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे।
भारतीय विधि आयोग क्या है?
भारत का विधि आयोग भारत सरकार द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय है।
- अधिदेश: विधि आयोग की स्थापना यह सुनिश्चित करने हेतु की गई है कि निर्मित विधियां न्यायसंगत एवं निष्पक्ष हैं जो इसके उचित कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करते हैं।
- संगठनात्मक स्थिति: भारत का विधि आयोग एक संविधानेत्तर निकाय है। इसे एक तदर्थ निकाय के रूप में संदर्भित किया जा सकता है, जिसका गठन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है।
- यह भारतीय संविधान के तहत परिभाषित नहीं है। इसका गठन अनुच्छेद 39ए के एक भाग के रूप में किया गया है जिसका मूल उद्देश्य समाज के निर्धन तथा कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है।
- मूल मंत्रालय: भारत का विधि आयोग विधि एवं न्याय मंत्रालय के परामर्शी निकाय के रूप में कार्य करता है।
- विधि आयोग की रिपोर्टें: विधि आयोग ने विधि मामलों के विभाग, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों द्वारा किए गए संदर्भों पर विभिन्न विषयों को लिया है तथा 277 रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं।
- भारत का विधि आयोग भारत में विधियों की उत्कृष्ट विचारोत्तेजक एवं महत्वपूर्ण समीक्षा प्रदान करता है।
भारत के विधि आयोग का निर्माण/गठन
केंद्र सरकार ने विगत आयोग के कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात एक नए आयोग के गठन के लिए एक कार्यपालिका प्रस्ताव जारी किया। प्रस्ताव पारित होने के उपरांत तथा राष्ट्रपति द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात, सरकार को नए आयोग के अध्यक्ष का चयन करने की स्वतंत्रता है।
भारतीय विधि आयोग के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
- भारतीय विधि आयोग क्या है?
साल। भारत का विधि आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा गठित एक संविधानेत्तर निकाय है कि जो विधियां निर्मित की गई हैं वे न्यायसंगत एवं निष्पक्ष हैं जो इसके उचित कार्यान्वयन की दिशा में कार्य करते हैं।
- भारत के 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष कौन हैं?
साल।न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी भारत के 22वें विधि आयोग की अध्यक्ष हैं।
- भारत के 22वें विधि आयोग का कार्यकाल कितना है?
साल। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल में 31 अगस्त, 2024 तक वृद्धि कर दी है।


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