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हर घर जल पहल भारत सरकार का महत्वाकांक्षी योजना हैं. यह योजना देश के सभी ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त गुणवत्ता व नियमित और दीर्घकालिक आधार पर सुरक्षित पीने योग्य पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आर्टिकल में हर घर जल पहल के बारें में विस्तृत विवरण दी गई हैं.
हर घर जल पहल को भारत सरकार ने अगस्त 2019 में राज्यों के साथ साझेदारी में लागू होने वाले जल जीवन मिशन (जेजेएम) के साथ शुरू किया गया था।
हर घर जल पहल
हर घर जल भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 से 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल का पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई एक योजना है। इस योजना के तहत देश में सर्वाधिक नल कनेक्शन देने बाला राज्यों में बिहार प्रथम, महाराष्ट्र द्वितीय और उत्तर प्रदेश तीसरे पायदान पर है.
‘हर घर जल‘ प्रमाणित राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
हर घर जल योजना UPSC के सामान्य अध्धयन के पेपर -2: :शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां– विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां” खण्ड के लिए उपयोगी हैं.
हर घर जल प्रमाणित पहला राज्य
गोवा देश का पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित राज्य बना था. वहीं, दादरा, नगर हवेली और दमन और दीव देश का पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित केंद्र शासित प्रदेश बना था. यह दोनों जगहें अगस्त 2022 में ‘हर घर जल’ प्रमाणित हुईं थी. यह पहल भारत का बढ़ते जल संकट के लिए उठाया गया हैं जिससे जल को संरक्षित किया जा सके.
‘हर घर जल‘ प्रमाणित राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश चर्चा में क्यों है?
यह चर्चा में हैं क्योंकि गोवा और दादरा, नगर हवेली और दमन व दीव देश में क्रमश पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बन गया है जहां सभी गांवों के लोगों ने अपने गांव को ‘हर घर जल’ के रूप में घोषित किया है। ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के जरिए यह प्रमाणित किया गया है कि गांवों के सभी घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है. इस पहल से भारत में मौजूद भूजल स्तर का ह्रास में कमी आएगी.
‘हर घर जल‘ प्रमाणन प्रक्रिया
- प्रमाणन प्रक्रिया: जल जीवन मिशन की मार्गदर्शिका में प्रमाणन की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है।
- मार्गदर्शिका के अनुसार सर्वप्रथम क्षेत्र अभियंता (फील्ड इंजीनियर) ग्राम सभा की बैठक के दौरान पंचायत को जलापूर्ति योजना के संबंध में पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं।
- ग्राम सभा के एक प्रस्ताव के माध्यम से गाँव इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रत्येक घर को निर्धारित गुणवत्ता के पेयजल की नियमित आपूर्ति हो रही है एवं एक भी घर नहीं छूटा है।
- वे यह भी पुष्टि करते हैं कि सभी विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों पता अन्य सार्वजनिक संस्थानों को भी नल का पानी मिल रहा है।
- ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (विलेज वॉटर एंड सैनिटेशन कमेटी/वीडब्ल्यूएससी) या पानी समिति: गोवा के सभी 378 गांवों तथा दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव के 96 गांवों में इसका गठन किया गया है।
- ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के तहत विकसित जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के संचालन, रखरखाव एवं मरम्मत हेतु उत्तरदायी है।
- ग्राम पंचायत की इस उपसमिति के पास उपभोक्ता शुल्क वसूलने की भी जिम्मेदारी है जिसे बैंक खाते में जमा किया जाएगा।
- इन उपयोक्ता प्रभारों का उपयोग पंप संचालक के मानदेय का भुगतान करने तथा समय-समय पर मामूली मरम्मत कार्य करने के लिए किया जाएगा।
- जल की गुणवत्ता: यह मिशन का एक महत्वपूर्ण पहलू है एवं इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को जल परीक्षण करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है।
- आज देश में 10 लाख से अधिक महिलाओं को ग्रामीण घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
- इन महिलाओं द्वारा फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करके जल के 57 लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया है।
जल जीवन मिशन
- जल जीवन मिशन के बारे में: जल जीवन मिशन भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले की प्राचीर से की गई थी।
- अधिदेश: जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता एवं नियमित तथा दीर्घकालिक आधार पर पीने योग्य नल के जल की आपूर्ति का प्रावधान करना है।
- कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जाता है।
- प्रदर्शन: देश में 52% से अधिक ग्रामीण परिवार अब नल के जल से जुड़े हैं, जो 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय मात्र 17% था।
- वित्त पोषण: जल जीवन मिशन के तहत ‘हर घर जल’ के लिए केंद्रीय बजट 2022 के तहत चालू वित्त वर्ष में 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।


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