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यूपीएससी के लिए भारत में बजटीय प्रक्रिया जानने का महत्व
- भारत में बजटीय प्रक्रिया क्या है?: केंद्रीय बजट की तैयारी के बारे में हमारी अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए भारत में बजटीय प्रक्रिया को जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। केंद्रीय बजट यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का सबसे आवश्यक हिस्सा है एवं इसमें यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के साथ-साथ यूपीएससी मुख्य परीक्षा का एक बड़ा भाग सम्मिलित है। यूपीएससी मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के तहत, यह जीएस पेपर 3: वृद्धि एवं विकास, योजना, सरकारी बजट, समावेशी विकास, सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप को कवर करेगा।
बजट क्या है?
बजट वार्षिक वित्तीय विवरण है अथवा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों एवं व्यय का विवरण बजट के रूप में जाना जाता है।
बजटीय प्रक्रिया चर्चा में क्यों है?
- इस वर्ष 10 अक्टूबर को केंद्रीय बजट 2023-24 के लिए तैयारियां जोर-शोर से प्रारंभ हो गई थी।
- तब से लेकर 1 फरवरी तक सरकार के विभिन्न विभाग विशेष रुप से वित्त मंत्रालय लगातार गतिविधियों में संलग्न रहेगा.
भारत में केंद्रीय बजट तैयार करने के लिए कौन सी बजटीय प्रक्रिया अपनाई जाती है?
हममें से अधिकांश लोग 1 फरवरी को लोकसभा में वित्त मंत्री का भाषण ही देखते हैं, किंतु बजट अपने आप में इससे कहीं अधिक होता है एवं उस दिन तक पहुँचने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी, योजना, समन्वय एवं पूर्वानुमान की आवश्यकता होती है।
सितंबर में बजटीय कार्य
- बजट प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर सितंबर में प्रारंभ होती है जब वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव (बजट प्रभाग) द्वारा हस्ताक्षरित एक बजट परिपत्र जारी किया जाता है।
- इसमें वित्त मंत्रालय के समक्ष प्रासंगिक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए प्रारूप एवं समय-सीमाएं निर्धारित हो हैं।
- उदाहरण के लिए, इस वर्ष, सितंबर में बजट-पूर्व परिपत्रक (सर्कुलर) जारी किया गया था, जिसमें अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों एवं वित्तीय सलाहकारों को चालू वर्ष (वित्तीय वर्ष/FY23) के संशोधित अनुमानों एवं वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट अनुमानों के लिए अपनी आवश्यकताओं की एक सूची तैयार करने हेतु एक माह से अधिक का समय प्रदान किया गया था।
- इनमें केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय मौजूदा वित्तीय वर्ष के शेष के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों, पूंजीगत व्यय एवं प्रशासनिक व्यय पर खर्च करने की योजना एवं आगामी वर्ष में व्यय करने की योजना को सम्मिलित करेंगे।
अक्टूबर-नवंबर में बजटीय कार्य
- 10 अक्टूबर से 10 नवंबर तक व्यय एवं आर्थिक मामलों के विभागों के अधिकारी सभी केंद्र सरकारों, मंत्रालयों, एजेंसियों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं।
- इन बैठकों का उद्देश्य वित्त वर्ष 23 के लिए संशोधित अनुमानों एवं वित्त वर्ष 24 के लिए बजटीय अनुमानों का आवंटन निर्धारित करना होगा।
- यह स्पष्ट है कि प्रमुख योजनाओं एवं कृषि, राजमार्ग, बिजली, रेलवे, खाद्य वितरण, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा निश्चित रूप से रक्षा जैसे प्रमुख कल्याणकारी एवं आर्थिक मंत्रालयों के लिए राशि आवंटित करने के लिए नीति निर्माताओं को अन्य विभागों की तुलना में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
नवंबर के मध्य से बजटीय कार्य
- नवंबर के मध्य से, वित्त मंत्री उद्योग निकायों, कृषि, सामाजिक एवं कल्याण क्षेत्र, श्रम निकायों, अर्थशास्त्रियों तथा सहित अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों जैसे विभिन्न हितधारकों एवं हित समूहों के साथ बजट पूर्व परामर्श का अपना समुच्चय प्रारंभ करेंगी।
- इनमें से प्रत्येक हित समूह अपनी-अपनी मांगों को प्रस्तुत करता है कि वे बजट में किन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे।
दिसंबर में बजटीय कार्य
- वित्त मंत्रालय, इस समय तक, ‘संगरोध’ (क्वॉरेंटाइन) में चला जाता है एवं सभी बाहरी लोगों के लिए निषिद्ध होता है।
- पैरामिलिट्री गार्ड एवं इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक में, विशेष रुप से प्रमुख बजट निर्माताओं के कार्यालयों के बाहर रखा जाता है। गोपनीयता सर्वोपरि हो जाती है।
- इस बीच, राजस्व विभाग चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित कर आय एवं आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित राजस्व, आयकर, व्यावसायिक कर, वस्तु एवं सेवा कर, सीमा शुल्क तथा विभिन्न उपकरों से अपने स्वयं के अनुमानों को आकर्षित करना प्रारंभ कर देता है।
- स्पेक्ट्रम बिक्री, विनिवेश एवं भारतीय रिजर्व बैंक, राज्य के स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों तथा राज्य के स्वामित्व वाले विभिन्न क्षेत्रों में कंपनियां लाभांश सहित वर्तमान एवं आगामी वर्ष के लिए गैर-कर राजस्व क्या होगा, इस पर संबंधित विभागों द्वारा अनुमान भी तैयार किए जाते हैं।
- आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अंतर्निहित धारणाएं, जिसमें नाममात्र जीडीपी विकास, समष्टि अर्थशास्त्र (मैक्रो-इकोनॉमिक) की वर्तमान स्थिति एवं इस तरह के अन्य विवरण शामिल हो सकते हैं, जिन्हें मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता वाले आर्थिक प्रभाग द्वारा प्रदान किया जाता है।
- इस समय बजट से एक दिन पूर्व संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण पर भी प्रभाग जोर-शोर से कार्य करता है।
- यह याद रखना चाहिए कि बजट मात्र केंद्र सरकार के खातों का विवरण नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक दस्तावेज भी है, जो प्रधानमंत्री के सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।
- सत्तारूढ़ दल की आर्थिक शाखा से इनपुट प्राप्त होते हैं एवं बजट निर्मित करने की अत्यधिक निगरानी प्रधान मंत्री कार्यालय में संपन्न होती है।
- अतः प्रधानमंत्री कार्यालय (प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस/पीएमओ) से भी काफी इनपुट प्राप्त होते हैं।
- दिसंबर के मध्य तक, ऊपर बताई गई सभी प्रक्रियाएँ एक साथ प्रारंभ हो जाती हैं।
जनवरी में बजटीय कार्य
- वित्त मंत्री का भाषण अनेक व्यक्तियों द्वारा तैयार किया जाता है, किंतु व्यक्तिगत, परिष्कृत स्पर्श उन्हीं से आते हैं। भाषण का भाग बी, जिसमें कराधान घोषणाओं का उल्लेख है, राजस्व सचिव द्वारा तैयार किया जाता है।
- भाषण का भाग ए, जिसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विचार एवं विभिन्न योजनाओं तथा पहलों पर घोषणाएं शामिल हैं, मुख्य रूप से आर्थिक मामलों के सचिव द्वारा तैयार किए जाते हैं।
- कई मामलों में, मुख्य आर्थिक सलाहकार भी भाषण का हिस्सा तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए, श्री अरविंद सुब्रमण्यन ने श्री अरुण जेटली के बजट भाषणों में योगदान दिया। संभावना है कि श्री नागेश्वरन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए भी ऐसा ही कर सकते हैं।
- गतिविधि इस महीने चरम सीमा तक पहुँचती है।
- जनवरी के प्रारंभ में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस/NSO) ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद के अग्रवर्ती अनुमान जारी किए जाते हैं। इन पूर्व अनुमानों को बजट निर्माताओं द्वारा बजट गणना में भी प्रयोग किए जाते हैं।
- अनुमान, जैसे राजकोषीय घाटा, पूंजीगत व्यय, राजस्व व्यय, केंद्र की सकल उधारी, कर राजस्व, गैर-कर राजस्व एवं अन्य पर काम किया जाता है तथा फिर से काम किया जाता है।
- सभी दस्तावेजों के प्रारूपण पर काम जारी रहता है (एवं बजट भाषण के अतिरिक्त भी अन्य दस्तावेज हैं)।
- केंद्र की आर्थिक दृष्टि के आकार की अंतिम रूपरेखा तैयार की जाती है।
हलवा रस्म
- जनवरी के मध्य में बजट की छपाई की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। प्रिंटिंग प्रेस नॉर्थ ब्लॉक के नीचे भूमिगत अवस्थित है। इसकी शुरुआत पारंपरिक हलवा रस्म से होती है। कई प्रमुख अधिकारी एवं मुद्रण कर्मचारी वित्त मंत्रालय में बंद रहते हैं, जहां वे अगले कुछ सप्ताह तक रहेंगे।
1 फरवरी को बजट की प्रस्तुति
यह सब 1 फरवरी को समाप्त होता है, जब कैबिनेट बजट को स्वीकृति प्रदान कर देती है, वित्त मंत्री इसे राष्ट्रपति को प्रस्तुत करती हैं, यह फिर लोकसभा में जाती हैं, जहां वह प्रातः 11 बजे अपना भाषण प्रारंभ करने के लिए इसे उठाती हैं।
लोकसभा किस प्रकार की बजटीय प्रक्रिया का पालन करती है?
- बजट लोक सभा में उस दिन प्रस्तुत किया जाता है जिस दिन राष्ट्रपति निर्देशित करें।
- बजट की प्रस्तुति के शीघ्र पश्चात, राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट), 2003 के तहत निम्नलिखित तीन विवरण भी लोकसभा के पटल पर रखे जाते हैं:-
- (i) मध्यावधि राजकोषीय नीति विवरण;
- (ii) राजकोषीय नीति रणनीति विवरण; तथा
- (iii) समष्टि अर्थशास्त्र ढांचा वक्तव्य (मैक्रो इकोनॉमिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट)।
- हालांकि, 2019 में, केवल दो वक्तव्य, अर्थात: (ए) मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति सह राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य एवं (बी) मैक्रो-इकोनॉमिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट रखे गए थे।
- साथ ही, बजट की एक प्रति राज्य सभा के पटल पर रखी जाती है।
(महत्वपूर्ण टिप्पणी: एक चुनावी वर्ष में, बजट दो बार प्रस्तुत किया जा सकता है – पहले कुछ महीनों के लिए लेखानुदान प्राप्त करने के लिए एवं बाद में पूर्ण रूप से।)
भारत में बजटीय प्रक्रिया के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- 2016 तक, बजट को दो भागों में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था, अर्थात रेलवे वित्त से संबंधित रेल बजट एवं आम बजट जो रेलवे को छोड़कर भारत सरकार की वित्तीय स्थिति की समग्र तस्वीर पेश करता था।
- वर्ष 2017-18 के पश्चात से, रेल बजट को आम बजट के साथ विलय के साथ, वित्त मंत्री द्वारा ‘केंद्रीय बजट’ नामक एक एकल दस्तावेज़ प्रस्तुत किया जाता है।
- परिपाटी के अनुसार रेल बजट फरवरी के तीसरे सप्ताह में किसी समय प्रश्नकाल के बाद 12:00 बजे प्रस्तुत किया जाता था।
- 1998 तक फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को शाम 5 बजे आम बजट परिपाटी के द्वारा प्रस्तुत किया जाता था। इस परंपरा को 1999 में परिवर्तित कर दिया गया था जब आम बजट प्रातः 11 बजे प्रस्तुत किया गया था। तब से आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर प्रातः 11 बजे प्रस्तुत किया जाता है (वर्ष 2000 को छोड़कर जब इसे दोपहर 2 बजे प्रस्तुत किया गया था)।
- यद्यपि, 2017-18 से, केंद्रीय बजट के प्रस्तुत किए जाने की तिथि 1 फरवरी तक बढ़ा दी गई है।
भारत में बजटीय प्रक्रिया के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. आधिकारिक तौर पर बजटीय प्रक्रिया किस महीने में प्रारंभ होती है?
उत्तर. बजटीय प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर सितंबर में प्रारंभ होती है जब वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव (बजट प्रभाग) द्वारा हस्ताक्षरित एक बजट परिपत्र जारी किया जाता है।
प्र. केंद्रीय बजट प्रक्रिया के दौरान हलवा रस्म क्या है?
उत्तर. जनवरी के मध्य में बजट की छपाई की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इसकी शुरुआत पारंपरिक हलवा रस्म से होती है। कई प्रमुख अधिकारी एवं मुद्रण कर्मचारी वित्त मंत्रालय में बंद रहते हैं, जहां वे अगले कुछ सप्ताह तक रहेंगे।
प्र. किस वर्ष केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने की तिथि में परिवर्तन किया गया?
उत्तर. 2017-18 से, केंद्रीय बजट पेश करने की तिथि 1 फरवरी तक बढ़ा दी गई है।