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भारत 6 जी विजन दस्तावेज: यह मूल रूप से एक दस्तावेज है जो दूरसंचार उन्नति के आगामी चरण के लिए तैयार करने के लिए नीति निर्माताओं एवं उद्योग के लिए एक लॉन्च पैड के रूप में कार्य करेगा। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- भारत में विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न सरकारी नीतियां, कार्यक्रम एवं पहल) के लिए भी भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट महत्वपूर्ण है।
भारत 6जी विजन दस्तावेज चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत 6G विजन दस्तावेज की घोषणा की, इस तथ्य के बावजूद कि 45,000 से अधिक गांवों में अभी भी 4G कनेक्टिविटी का अभाव है तथा 5G नेटवर्क का विकास अभी भी प्रगति पर है।
भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट क्या है?
भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च 2022 में दूरसंचार की आगामी पीढ़ी, 6G के लिए भारत को तैयार करने की एक योजना है।
- उद्देश्य: यह योजना देश की वायरलेस डेटा खपत में तेजी लाने एवं यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि भारत 6G के वैश्विक मानकों को स्थापित करने में नेतृत्व की भूमिका निभाए।
- इसका उद्देश्य टेलीकॉम गियर के स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहित करना तथा मानकीकरण के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में भारतीय कंपनियों एवं इंजीनियरों का समर्थन करना है।
- सांकेतिक लक्ष्य: भारत 6जी विजन दस्तावेज में निम्नलिखित कुछ सांकेतिक लक्ष्य भी शामिल हैं-
- प्रत्येक नागरिक को 100 एमबीपीएस की न्यूनतम बैंडविड्थ की गारंटी प्रदान करना;
- सुनिश्चित करना कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रति सेकंड आधा टेराबाइट कनेक्टिविटी हो; एवं
- तेरह प्रति वर्ग किलोमीटर के साथ, 50 मिलियन से अधिक इंटरनेट हॉटस्पॉट वाले देश को आच्छादित करना।
भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट की आवश्यकता
6G में मानकीकरण सुनिश्चित करना
भारत सरकार ने देश के वायरलेस डेटा उपयोग को गति प्रदान करने तथा भविष्य में 6G मानकों को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की है।
- यह दूरसंचार उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने एवं मानकीकरण के संबंध में विश्वव्यापी चर्चाओं में भारतीय कंपनियों तथा पेशेवरों को सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक हो सकता है।
- इस क्षेत्र में प्रभाव डालना महत्वपूर्ण है क्योंकि दूरसंचार मानदंड संपूर्ण विश्व में प्रायः स्वीकार किए जाते हैं।
भारत में नई दूरसंचार प्रौद्योगिकी का समय पर आरंभ
इस पहल के प्रमुख कारणों में से एक भारत में दूरसंचार प्रौद्योगिकी की विगत पीढ़ियों के प्रारंभ में विलंब है।
- भारत में 5G तकनीक का परिनियोजन, दक्षिण कोरिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों द्वारा पूर्व में ही अपने प्रमुख शहरी केंद्रों को उच्च-गति बेतार संपर्क (हाई-स्पीड वायरलेस कनेक्टिविटी) प्रदान करने के वर्षों पश्चात प्रारंभ हुआ था।
- भारत इस पैटर्न को दोहराने से बचने के प्रति दृढ़ संकल्पित है, क्योंकि सरकार ने 6जी विजन दस्तावेज में बल दिया है कि इसका लक्ष्य 6जी के उपलब्ध होते ही इसे सुरक्षित करना है।
दूरसंचार की भौतिकी
इस प्रयास के पीछे एक अन्य कारण दूरसंचार की भौतिकी से संबंधित है। आमतौर पर, जैसे-जैसे नेटवर्क नई पीढ़ियों की ओर बढ़ते हैं, उनकी आवृत्ति में वृद्धि होती जाती है। हालांकि, निम्न आवृत्तियाँ सेल सिग्नल को लंबी दूरी तय करने में सक्षम बनाती हैं।
- डेटा खपत में वृद्धि के साथ, भौतिक सीमाओं के कारण 4 जी नेटवर्क की निम्न आवृत्ति यातायात की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकती है।
- सरकार यह कहते हुए इसे स्वीकार करती है कि दृष्टिकोण दस्तावेज में “स्पेक्ट्रम आधिक्य वाला है, विशेष रूप से निम्न एवं मध्य-बैंड में जहां प्रसार विशेषताएँ अनुकूल हैं”।
- उच्च आवृत्तियाँ अधिक डेटा ले जा सकती हैं, यही कारण है कि 5G तकनीक बड़े सेल टावरों के स्थान पर छोटे कवरेज क्षेत्रों वाले बेस स्टेशनों को नियोजित करती है।
6G प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग तथा प्रासंगिकता
प्रौद्योगिकी की विगत पीढ़ियों की भांति, उपभोक्ता 6G प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ तेज वेबसाइट लोडिंग समय, बेहतर वीडियो गुणवत्ता एवं त्वरित फ़ाइल डाउनलोड की अपेक्षा कर सकते हैं।
- हालांकि, इन सुधारों की सीमा तक सीमाएँ हो सकती हैं।
- विलंबता, जो एक डेटा पैकेट को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक यात्रा करने में लगने वाले समय को मापता है, पूर्व से ही मौजूदा नेटवर्क पर प्रकाश की गति के करीब पहुंच रहा है, जबकि गति ऐसे पैकेटों की संख्या को मापती है जो प्रत्येक सेकंड में एक कनेक्शन पर यात्रा कर सकते हैं।
- व्यवसाय एवं सरकारें अभी भी खोज कर रही हैं कि उच्च-परिशुद्धता, अल्प-विलंबता अनुप्रयोगों के लिए 5G का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए।
- होलोग्राम एवं रोबोटिक सर्जरी जैसे एप्लिकेशन पहले से ही 5G नेटवर्क पर निर्भर हैं तथा 6G के लाभ इस बात पर निर्भर करेंगे कि विभिन्न समूह स्पेक्ट्रम का उपयोग करने की योजना कैसे बनाते हैं।
6जी प्रौद्योगिकी, मौजूदा प्रौद्योगिकियों के साथ तुलना
6जी विजन दस्तावेज ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क का विस्तार करने के लिए दूरसंचार टावरों एवं बेस स्टेशनों के साथ उपग्रह समूहों के एकीकरण का प्रस्ताव करता है।
- कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए, सरकार विभिन्न नवाचारों पर विचार कर रही है जो पहले से ही अन्य रूपों में मौजूद हैं।
- उदाहरण के लिए, सैटेलाइट इंटरनेट सरलता से उपलब्ध एक समाधान है जिसे स्पेस एक्स एवं वन वेब जैसी कंपनियों को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर शीघ्रता से स्वीकृत किया जा सकता है।
- ये कंपनियां न्यूनतम सेटअप के साथ अपनी सेवाएं प्रदान कर सकती हैं क्योंकि उपग्रह पूर्व से ही कक्षा में हैं। हालांकि, प्रशासनिक स्वीकृति ऐसे समाधानों के कार्यान्वयन में विलंब कर सकती है।
अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह का मामला
अनेक दशकों से, भारत में कम से कम दो क्षेत्र, अर्थात अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, उपग्रह इंटरनेट पर निर्भर हैं।
- ये द्वीप पहले कनेक्टिविटी के लिए 1Gbps लिंक पर निर्भर थे, जो आज अनेक भारतीय शहरों में एक महंगे घरेलू कनेक्शन के बराबर है।
- हालांकि, 2020 में द्वीपों एवं चेन्नई के मध्य एक समुद्र की सतह के नीचे (अंडरसी) केबल कनेक्शन स्थापित होने के पश्चात स्थिति में काफी सुधार हुआ।
- उपग्रह इंटरनेट की गति में सुधार करने वाले नक्षत्रों जैसे नवाचारों के बावजूद, कनेक्टिविटी लक्ष्य दोनों उपग्रहों पर सैकड़ों किलोमीटर ओवरहेड एवं जमीन तथा समुद्र तल पर केबलों पर निर्भर करते हैं।
दक्षिण कोरिया में 6G
जुलाई 2021 में, दक्षिण कोरिया के विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने “सुपर प्रदर्शन, हाइपरस्पेस एवं सुपर सटीक मानकों” के विकास में 220 बिलियन केआरडब्ल्यू (लगभग 1,400 करोड़ रुपये के समतुल्य) निवेश करने की अपनी योजना की घोषणा की।
- मंत्रालय ने कहा कि निवेश का फोकस मौलिक तकनीकों की स्थापना एवं 6जी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए आवश्यक उपकरणों तथा घटकों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर होगा।
- इसमें 6G नेटवर्क के प्रमुख क्षेत्रों के लिए तकनीकी आवश्यकताओं का अभिनिर्धारण करना एवं प्रारंभिक तकनीकों को डिजाइन करना शामिल होगा।
- दक्षिण कोरिया 2021 को 6G प्रौद्योगिकी विकास के प्रारंभ के रूप में देखता है।
निष्कर्ष
भारतीय 6G विजन दस्तावेज के अनुसार, यह यूरोप के समान दस्तावेज को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि प्राथमिक उद्देश्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नेतृत्व को सुरक्षित करना एवं महत्वपूर्ण तकनीकों तक सुरक्षित तथा विश्वसनीय पहुंच स्थापित करना है, जिससे यूरोप 6G सार्वजनिक एवं निजी नेटवर्क समाधान तथा सेवाओं के लिए एक संप्रभु, स्वतंत्र एवं विश्वसनीय स्रोत बन सके। ।
भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. भारत 6जी विजन दस्तावेज क्या है?
उत्तर. भारत 6जी विजन दस्तावेज भारत में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास एवं परिनियोजन का रोडमैप है। यह 6G प्रौद्योगिकी के लिए भारत की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करता है एवं विभिन्न हितधारकों को इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
प्र. भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट कब जारी किया गया था?
उत्तर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च, 2023 को भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट की घोषणा की।
प्र. भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर. भारत 6G विजन डॉक्यूमेंट का प्रमुख उद्देश्य भारत को 6G तकनीक में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना, 6G प्रौद्योगिकी के स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना तथा भारतीय दूरसंचार उद्योग में नवाचार एवं विकास को बढ़ावा देना है।
प्र. भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट में किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है?
उत्तर. भारत 6जी विजन दस्तावेज भारत में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए फोकस के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित करता है, जिसमें निम्न विलंबता एवं उच्च डेटा दर संचार, अभिज्ञ एवं सुरक्षित नेटवर्क तथा सतत एवं ऊर्जा- दक्ष समाधान शामिल हैं।


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