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वाच्य – परिभाषा, भेद और उदाहरण, वाच्य परिवर्तन Vachya in Hindi PDF

वाच्य – परिभाषा, भेद और उदाहरण Vachya is important topic in Hindi Vyakaran which comes with many questions. वाच्य (Vachya) topic gives question based on वाच्य परिवर्तन. Lets learn here about वाच्य (Vachya) परिभाषा, भेद और उदाहरण

वाच्य

वाच्य का शाब्दिक अर्थ है – ‘बोलने का विषय’।

क्रिया के जिस रूपांतर से यह जाना जाए कि क्रिया द्वारा किए गए विधान (कही गई बात) का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है उसे वाच्यकहते हैं।

हिंदी में वाच्य तीन होते हैं –

  1. कर्तृवाच्य,
  2. कर्मवाच्य,
  3. भाववाच्य
  1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में वाच्य बिंदु ‘कर्ता’ है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं; जैसे –
  • राम रोटी खाता है।
  • कविता गाना गाएगी।
  • वह व्यायाम कर रहा है।

2. कर्मवाच्य – जहाँ वाच्य बिंदु कर्ता न होकर कर्म हो, वह वाच्य कर्मवाच्य कहलाता है। जैसे –

  • रोटी राम से खाई जाती है।
  • कविता से गाना गाया जाएगा।
  • उससे व्यायाम किया जा रहा है।

 

कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल: निम्नलिखित स्थलों पर कर्मवाच्य वाक्यों का प्रयोग होता है:

(क) जहाँ कर्ता अज्ञात हो; जैसे–पत्र भेजा गया।

(ख) जब आपके बिना चाहे कोई कर्म अचानक आ गया हो; जैसे – काँच का गिलास टूट गया।

(ग) जहाँ कर्ता को प्रकट न करना हो; जैसे – डाकुओं का पता लगाया जा रहा है।

(घ) सूचना, विज्ञप्ति आदि में, जहाँ कर्ता निश्चित नहीं है; जैसे – अपराधी को कल पेश किया जाए। रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

(ङ) अशक्यता सूचित करने के लिए; जैसे – अब अधिक दूध नहीं पिया जाता।

  1. भाववाच्य – जहाँ वाच्य बिंदु न तो कर्ता हो, न कर्म बल्कि क्रिया का भाव ही मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहा जाता है; जैसे –
  • बच्चों द्वारा सोया जाता है।
  • अब चला जाए।
  • मुझसे बैठा नहीं जाता।

भाववाच्य के प्रयोग स्थल

(क) भाववाच्य का प्रयोग प्रायः असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ किया जाता है; जैसे –

  1. अब चला नहीं जाता।
  2. अब तो पहचाना भी नहीं जाता।

(ख) जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता वहाँ मूल कर्ता सामान्य होता है; जैसे –

  1. अब चला जाए।
  2. चलो ऊपर सोया जाए।

कुछ विद्वान वाच्य के दो भेद कर्तृवाच्य और अकर्तृवाच्य मानते हैं तथा कर्मवाच्य और भाववाच्य को अकर्तृवाच्य का भेद स्वीकार करते हैं।

वाच्य संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • कर्तृवाच्य में सकर्मक – अकर्मक दोनों ही प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग होता है।
  • कर्मवाच्य में क्रिया सदैव सकर्मक होती है।
  • भाववाच्य की क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन में रहती है।
  • कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में कर्ता के बाद के दवारा/दवारा’ या ‘से’ परसर्ग का प्रयोग किया जाता है। बोलचाल की भाषा में ‘से’ का प्रयोग प्रायः निषेधात्मक वाक्यों में किया जाता है। जैसे –

(क) मुझसे चला नहीं जाता।

(ख) उससे काम नहीं होता।

  • कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के निषेधात्मक वाक्यों में जहाँ ‘कर्ता + से’ का प्रयोग होता है वहाँ एक अन्य ‘असमर्थतासूचक’ अर्थ की भी अभिव्यक्ति होती है; जैसे –

(क) मुझसे खाना नहीं खाया जाता।

(ख) माता जी से पैदल नहीं चला जाता।

(ग) उनसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती।

(घ) बच्चे से दूध नहीं पिया जाता।

  • कर्तृवाच्य के सकारात्मक वाक्यों में इसी सामर्थ्य’ को सूचित करने के लिए क्रिया के साथ सक का प्रयोग किया जाता है; जैसे –

(क) वे यह गाना गा सकते हैं।

(ख) माता जी मिठाई बना सकती हैं।

(ग) बच्चे यह पाठ याद कर सकते हैं।

  • इसी तरह से कर्तृवाच्य के असामथ्र्यतासूचक वाक्यों में सक का प्रयोग होता है:

(क) मैं आपके घर नौकरी नहीं कर सकता।

(ख) वह अब दुकान नहीं चला सकता।

(ग) वे पत्र नहीं लिख सकते।।

(घ) बच्चे आज फ़िल्म नहीं देख सके।

  • कर्तृवाच्य के निषेधात्मक वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य दोनों में रूपांतरित किया जा सकता है।
  • कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया में + जा रूप लगाकर किया जाता है’, ‘सोया जाता है’, ‘खाया जाता है’ जैसे वाक्य बनते हैं। लेकिन कुछ व्युत्पन्न अकर्मक क्रियाओं का प्रयोग भी कर्मवाच्य में होता है; जैसे –
1.    मज़दूर पेड़ नहीं काट रहे। (क)                मज़दूरों से पेड़ नहीं काटा जाता।

(ख)                मज़दूरों से पेड़ नहीं कट रहा।

2.    हलवाई मिठाई नहीं बना रहा। (क)                हलवाई से मिठाई नहीं बनाई जा रही।

(ख)                हलवाई से मिठाई नहीं बन रही।

  • हिंदी में अकर्तृवाच्य (कर्मवाच्य तथा भाववाच्य) के वाक्यों में प्रायः कर्ता का लोप कर दिया जाता है; जैसे –

(क) पेड़ नहीं काटा जा रहा।

(ख) पेड़ नहीं कट रहा।

(ग) मिठाई नहीं बन रही।

(घ) कपड़े नहीं धुल रहे।

  • हिंदी में क्रिया का एक ऐसा रूप भी है; जो कर्मवाच्य की तरह प्रयुक्त होता है, वह है सकर्मक क्रिया से बना उसका अकर्मक रूप जिसे व्युत्पन्न अकर्मक कहते हैं। जैसे –

(क) गिलास टूट गया।                            (‘तोड़ना’ से ‘टूटना’ रूप)

(ख) हवा से दरवाजा खुल गया।              (‘खोलना’ से ‘खुलना’ रूप)

वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
1.    अध्यापक विद्यालय में शिक्षा देते हैं। अध्यापकों द्वारा विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
2.    सुरेंद्र ने सुंदर गीत लिखे हैं। सुरेंद्र द्वारा सुंदर गीत लिखे गए हैं।
3.    अध्यापक ने विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया। अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया गया।
4.    हम निमंत्रण पत्र कल लिखेंगे। हमसे निमंत्रण पत्र कल लिखा जाएगा।
5.    वह दिन में फल खाता है। उससे दिन में फल खाए जाते हैं।
6.    तुम फूल तोड़ोगे। तुम्हारे द्वारा फूल तोड़े जाएँगे।
7.    भगवान हमारी रक्षा करता है। भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
8.    सिपाही ने चोर को पकड़ा। सिपाही द्वारा चोर पकड़ा गया।
9.    माता ने बच्चों को प्यार किया। माता द्वारा बच्चों को प्यार किया गया।
10. वह हमें मूर्ख समझता है। उसके द्वारा हमें मूर्ख समझा जाता है।

 

कर्मवाच्य कर्तृवाच्य
1.    प्रधानाचार्य द्वारा छात्रों को छुट्टी दे दी गई। प्रधानाचार्य ने छात्रों को छुट्टी दे दी।
2.    तब कहारों द्वारा डोली उठाई गई। तब कहारों ने डोली उठाई।
3.    नानी द्वारा कहानी सुनाई जाती थी। नानी कहानी सुनाती थी।
4.    लड़कों के द्वारा स्कूल साफ़ किया गया। लड़कों ने स्कूल साफ़ किया।
5.    अध्यापक द्वारा हमें आज नया पाठ पढ़ाया गया। अध्यापक ने हमें आज नया पाठ पढ़ाया।
6.    आज हमें व्याकरण पढ़ाया गया। आज हमने व्याकरण पढ़ा।
7.    लड़कों के द्वारा आँगन में सोया जा रहा है। लड़के आँगन में सो रहे हैं।
8.    पुलिस द्वारा कल रात कई चोर पकड़े गए। पुलिस ने कल रात कई चोर पकड़े।
9.    बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए गए। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए।
10. बच्चों द्वारा फूलदान में फूल लगाए जाएंगे। बच्चे फूलदान में फूल लगाएँगे।
कर्मवाच्य कर्तृवाच्य
1.    हम इतना कष्ट नहीं सह सकते। हमसे इतना कष्ट नहीं सहा जाता।
2.    हम लोग रोज़ नहाते हैं। हमसे रोज़ नहाया जाता है।
3.    मैं बैठ नहीं सकता। मुझसे बैठा नहीं जाता।
4.    लड़की आँगन में सो रही थी। लड़की के द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
5.    अब चलें। अब चला जाए।
6.    उठो, जरा घूमें। उठो, जरा घूमा जाए।
7.    मैं इस गरमी में सो नहीं सकता। मुझसे इस गरमी में सोया नहीं जा सकता।

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FAQs

वाच्य के कितने भेद है

वाच्य के तीन भेद होते हैं,(क) कर्तृवाच्य, (ख) कर्मवाच्य और (ग) भाववाच्य।

राम खाना खाता है में कौन सा वाच्य है?

कर्तृवाच्य- राम खाना खाएगा , कर्मवाच्य- राम से खाना खाया जाएगा।

राम ने रावण को मारा में कौन सा वाक्य है?

राम ने रावण को मारा' इस वाक्य में कर्तृवाच्य होगा।