Home   »   अलंकार किसे कहते है?   »   रूपक अलंकार

रूपक अलंकार: परिभाषा, उदाहरण, अर्थ, Roopak Alankar Definition

रूपक अलंकार परिभाषा

रूपक अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें उपमेय और उपमान के बीच कोई अंतर नहीं होता है, या जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के अंतर को समाप्त करके उन्हें एक समान कर दिया जाता है। रूपक अलंकार के लिए तीन बातें आवश्यक होती हैं।

  • 1. उपमेय को उपमान का रूप देना
  • 2. वाचक पद का लोप
  • 3. उपमेय का भी साथ-साथ वर्णन

रूपक अलंकार के उपमेय और उपमान

रूपक अलंकार के उपमेय और उपमान दोनों ही रूपक अलंकार के महत्वपूर्ण अंग हैं।

  • उपमेय: यह वह वस्तु, व्यक्ति, या विचार है जिसका रूपक (समानार्थी) अर्थ बताने के लिए रूपक अलंकार का प्रयोग किया जाता है। यह वस्तु या व्यक्ति वाक्य के अंदर होता है जिसके बारे में संक्षेप में बोला जाता है। उपमेय एक वाक्यांश भी हो सकता है।
    उदाहरण: गंगा जल का मैला है शीतल, (गंगा को शीतल जल से तुलना करके उसका गुण वर्णन किया गया है। यहां, गंगा उपमेय है।)
  • उपमान: यह वह वस्तु, व्यक्ति, या विचार है जिसका रूपक अर्थ बताने के लिए रूपक अलंकार का प्रयोग किया जाता है। यह वस्तु या व्यक्ति उपमेय के रूपक (समानार्थी) होता है, और वाक्य में उसके बारे में विस्तृत विवरण दिया जाता है। उदाहरण: गंगा जल का मैला है शीतल, (गंगा के जल को शीतलता के रूप में बताया गया है। यहां, शीतल जल उपमान है।) इन उदाहरणों में, “गंगा” उपमेय है जिसे “जल” उपमान के रूप में प्रदर्शित किया गया है। रूपक अलंकार का उपयोग करके वाक्य को सुंदर और रसीय बनाया जाता है।

रूपक अलंकार उदाहरण

  • उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग। विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
  • बीती विभावरी जाग री, अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा-नागरी।
  • शशि-मुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये
  • मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े-बहे अनेक.
  • सिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात. स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात.
  • मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता.
  • गंगा जल का मैला है शीतल, जीवन-मृत्यु का यही फूल।
  • सूरज ताप रश्मि से भरपूर, जैसे दोस्ती है हमारी।
  • व्यंग्य की आंधी बहती है, हँसी की धारा बहती है।
  • प्यार नदी थी बह रही थी, उजाला है जवानी में।
  • प्यार का तोफ़ा है यह ख़ुशी, संगीत की सबसे बढ़िया रागिनी।
  • उड़ती चिड़िया छोटी सी, खुशी की ख़बर लेकर आई।
  • धूप बादलों का ताज है, मुस्कान इनका राज है।
  • सपनों की दुनिया एक आईना है, मंज़िल की तलाश में बहकते जाना है।
  • पुराने ज़माने की यादें हैं बेहद मीठी, जैसे फूलों की खुशबू से सजी हर शाम।
  • आंधी से जगदीश के मंदिर की छत, भगवान की मूर्ति खड़ी है वहां।

रूपक अलंकार के प्रकार

रूपक अलंकार के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं।

  • सम रूपक अलंकार
  • अधिक रूपक अलंकार
  • न्यून रूपक अलंकार

1. सम रूपक अलंकार : जिस रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है वहाँ पर सम रूपक अलंकार होता है। जैसे :-

बीती विभावरी जागरी
अम्बर-पनघट में डुबा रही, तारघट उषा – नागरी।

2. अधिक रूपक अलंकार : जिस रूपक अलंकार में उपमेय में उपमान की तुलना में कुछ न्यूनता का बोध होता है वहाँ पर अधिक रूपक अलंकार होता है।

3. न्यून रूपक अलंकार : जिस रूपक अलंकार में उपमान की तुलना में उपमेय को न्यून दिखाया जाता है वहाँ पर न्यून रूपक अलंकार होता है।

जैसे :-

जनम सिन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक
सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।

 

अलंकार – परिभाषा, भेद, उदाहरण PDF

Sharing is caring!

About the Author

As a Team Leader at Adda247, I lead content creation efforts tailored to National and State-level government exams, with a specialized focus on the Teaching-UGC domain. Every article I develop is designed to inform, engage, and motivate aspirants on their path to success. At the heart of my role lies a commitment to ensuring our work reflects Adda247’s passion for educational excellence and serves as a stepping stone for students chasing their dreams.