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कारक- परिभाषा, भेद और उदहारण, Karak Kise Kahate Hain?

कारक, Karak को हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय माना जाता है। यह विषय शिक्षण परीक्षाओं में 2-3 अंकों का होता है। कारक के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ परिभाषा, भेद और उदाहरण दिए जाते हैं। कारक (Karak) हिंदी में सरल और अंक ग्रहण के लिए सुलभ विषय है। भर्ती परीक्षाओं में कारक विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के साथ पूछा जाता है, जैसे कारक के उदाहरण क्या है? कारक से क्या अभिप्राय है? इसके उदाहरण के साथ प्रत्येक उदाहरण को इस जगह से सीख सकते हैं।

कारक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – करने वाला अर्थात क्रिया को पूरी तरह करने में किसी न किसी भूमिका को निभाने वाला। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते है।

कारक का अर्थ है किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया या किसी अन्य शब्द के साथ संबंध। यह संबंध विभिन्न प्रकार का हो सकता है, जैसे कि कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण, और सम्बोधन।

विभक्ति या परसर्ग

कारकों का रुप प्रकट करने के लिये उनके साथ जो शब्द चिन्ह लगते है, उन्हें विभक्ति कहते है। इन कारक चिन्हों या विभक्तियों को परसर्ग भी कहते है। जैसे – ने, में, को, से। 

कारक क्या होता है

कारक (हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है जो किसी क्रिया के संदर्भ को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त होता है। कारक का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि क्रिया किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ कैसे हो रही है, या क्रिया को कैसे किया जा रहा है। कारक की मदद से क्रिया के कर्ता, विधि, उपकरण, प्राप्य, समय, स्थान, कारण, आदि के संदर्भ को स्पष्ट किया जा सकता है।

कारक विभक्ति क्या है?

हिंदी व्याकरण में कारक विभक्ति एक महत्वपूर्ण विषय है, जो वाक्य निर्माण और शब्दों के संबंध को समझने में मदद करता है। “कारक” का अर्थ है ‘क्रिया’ के साथ किसी संज्ञा या सर्वनाम का संबंध और “विभक्ति” का मतलब है ‘रूप परिवर्तन’। इसलिए, कारक विभक्ति वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा संज्ञा या सर्वनाम का रूप बदलता है ताकि वह वाक्य में अपने सही अर्थ को प्रकट कर सके।

कारक और विभक्ति चिन्ह

हिंदी में कारकों को विभक्ति चिन्हों द्वारा प्रकट किया जाता है, जो संज्ञा या सर्वनाम के अंत में जोड़े जाते हैं। उदाहरण के लिए:

  • कर्ता: राम खाता है। (राम – कर्ता)
  • कर्म: राम पानी पीता है। (पानी – कर्म)
  • करण: राम कलम से लिखता है। (कलम से – करण)
  • संप्रदान: राम मुझे पुस्तक देता है। (मुझे – संप्रदान)
  • अपादान: राम दिल्ली से आता है। (दिल्ली से – अपादान)
  • सम्प्रयोग: राम दोस्त के साथ जाता है। (दोस्त के साथ – सम्प्रयोग)
  • अधिकरण: राम घर में है। (घर में – अधिकरण)

कारक के भेद Karak in Hindi

कारक के कुल भेद आठ होते हैं, जिनके नाम हैं, कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, आपादान, सम्बन्ध,अधिकरण और संबोधन कारक हैं।

विभक्ति कारक क्रिया चिन्ह
प्रथमा कर्ता ने
द्वितीया कर्म को
तृतीया करण से, के द्वारा
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए , को
पंचमी अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
षष्ठी सम्बन्ध का, के, की
सप्तमी अधिकरण में, पर
सम्बोधन सम्बोधन हे! ओर!

1. कर्ता कारक – Karta Karak

क्रिया के करने वाले को कर्ता कारक कहतें है। यह पद प्रायः संज्ञा या सर्वनाम होता है। इसका सम्बन्ध क्रिया से होता है। जैसे – राम ने पत्र लिखा । यहाँ कर्ता राम है।कर्ता कारक का प्रयोग दो प्रकार से होता है –

  1. परसर्ग सहित – जैसे – राम ने पुस्तक पढ़ी। यहाँ कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग है । भूतकाल की सकर्मक क्रिया होने पर कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग लगाया जाता है।
  2. परसर्ग रहित – (क) भूतकाल की अकर्मक क्रिया के साथ परसर्ग ‘ने’ नही लगता| जैसे – राम गया। मोहन गिरा।

वर्तमान और भविष्यत काल में परसर्ग का प्रयोग नहीं होता।

कर्ता कारक के उदाहरण

जैसे – बालक लिखता है (वर्तमान काल)

रमेश घर जायगा। (भविष्य काल)

2. कर्म कारक -Karm Karak

जिस वस्तु पर क्रिया का फल पड़ता है, संज्ञा के उस रुप को कर्म कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘को’ है।

कर्म कारक के उदाहरण

जैसे –   (क) राम ने रावण को मारा । यहाँ मारने की क्रिया का फल रावण पर पड़ा है।

(ख) उसने पत्र लिखा । यहाँ लिखना क्रिया का फल ‘पत्र’ पर है, अतः पत्र कर्म है।

3. करण कारक – Karan Karak

संज्ञा के जिस रुप से क्रिया के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह है – से (द्वारा)

करण कारक के उदाहरण

जैसे – राम ने रावण को बाण से मारा।

यहाँ राम बाण से या बाण द्वारा रावण को मारने का काम करता है। यहाँ ‘बाण से’ करण कारक है।

4. सम्प्रदान कारक – Sampradan Karak

सम्प्रदान का अर्थ है देना । जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए कुछ किया जाए उसका बोध कराने वाले संज्ञा के रुप को सम्प्रदान कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ या ‘को है।

सम्प्रदान कारक के उदाहरण

जैसे –  मोहन ब्राह्मण को दान देता है या मोहन ब्राह्मण के लिए दान देता है।

यहाँ ब्राह्मण को या ब्राह्मण के लिए सम्प्रदान कारक है।

5. अपादान कारक – Apadan karak

संज्ञा के जिस रुप से अलगाव का बोध हो उसे अपादान कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह से’ है।

अपादान कारक के उदाहरण

जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं ।

मदन घोड़े से गिर पड़ा।

यहाँ वृक्ष से और घोड़े से अपादान कारक है । अलग होने के अतिरिक्त निकलने, सीखने, उरने, लजाने, अथवा तुलना करने के भाव में भी इसका प्रयोग होता है।

  • निकलने के अर्थ में – गंगा हिमालय से निकलती है।
  • उरने के अर्थ में –        चोर पुलिस से उरता है।
  • सीखने के अर्थ में – विद्यार्थी अध्यापक से सीखते है।
  • लजाने के अर्थ में – वह ससुर से लजाती है।
  • तुलना के अर्थ में  –        राकेश रुपेश से चतुर है।
  • दूरी के अर्थ में  –        पृथ्वी सूर्य से दूर है।

6. सम्बन्ध कारक -Sambhndh Karak

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका सम्बन्ध वाक्य की दूसरी संज्ञा से प्रकट हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इसके परसर्ग हैं – का, के, की, ना, ने, नो, रा,रे,री आदि ।

सम्बन्ध कारक के उदाहरण

जैसे – राजा दशरथ का बड़ा बेटा राम था।

राजा दशरथ के चार बेटे थे।

राजा दशरथ की तीन रानियाँ थी।

विशेष :- संबंध कारक की यह विशेषता हैं कि उसकी विभक्तियाँ (का, के, की)

संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं।

जैसे –   (क) लड़के का सिर दुख रहा है।

(ख) लड़के के पैर में दर्द है।

(ग) लड़के की टॉग में चोट है।

7. अधिकरण कारक – Adhikaran Karak

अधिकरण का अर्थ है आधार या आश्रय । संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर आदि) का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इस कारक के विभक्ति चिन्ह हैं – में, पे, पर ।

अधिकरण कारक के उदाहरण

जैसे –   (क) उस कमरे में चार चोर थे

(ख) मेज पर पुस्तक रखी थी। 

8. सम्बोधन कारक – Sanbodhan karak

शब्द के जिस रुप से किसी को सम्बोधित किया जाए या पुकारा जाए, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसमें ‘हे’, ‘अरे’ का प्रयोग किया जाता है।

सम्बोधन कारक के उदाहरण

जैसे – हे प्रभों, क्षमा करो। अरे बच्चो, शान्त हो जाओ।

विशेष :- कभी – कभी नाम पर जोर देकर सम्बोधन का काम चला लिया जाता है। वहाँ कारक चिन्हों की आवश्यकता नही होती। जैसे – अरे । आप आ गए। अजी। इधर तो आओ।

Karak Study Notes PDF

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कारक- परिभाषा, भेद और उदहारण PDF

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कारक: FAQs

हिंदी में कारक कितने होते हैं?

कारक के कुल आठ भेद होते हैं - कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण, और सम्बोधन।

कारक की पहचान कैसे करें?

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते है।

कारक की विभक्तियों के उदाहरण क्या हैं?

कुछ उदाहरण हैं:
कर्ता: राम ने पुस्तक पढ़ी।
कर्म: राम ने रावण को मारा।
करण: राम ने रावण को बाण से मारा।

में कौन सा कारक है?

अधिकरण

शिकारी ने बाघमारा कौन सा कारक है?

कर्म कारक

गृहिणी ने गरीबों को कपड़े दिए वाक्य में कौनसा कारक है?

कर्ता कारक

कारक का चिन्ह क्या है?

कारक चिह्नों को परसर्ग कहते हैं।

राम ने रोटी खाई में कौन सा कारक है?

राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्ता कारक 'ने' और क्रिया पुल्लिंग नहीं है इसलिए यह वाक्य अशुद्ध है।

कारक का दूसरा नाम क्या है?

कारक विभक्ति - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के कारक अनुसार रूप-परिवर्तन को कहते हैं।

मैं तीन मिनट में आ रहा हूँ में कौन सा कारक है?

'मैं तीन मिनट के लिए आ रहा हूँ' इस वाक्य में सम्प्रदान कारक है।

कारक सीखने के लिए सर्वोत्तम तरीका क्या है?

कारक सीखने के लिए सर्वोत्तम तरीका नियमित अभ्यास और मूल्यांकन है, साथ ही व्याकरण पुस्तकें, ऑनलाइन संसाधन, और मॉक टेस्ट्स का भी उपयोग किया जा सकता है।

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