
Q1. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।।
उपरोक्त दोहे में ‘अँधियारा और दीपक’ किसके प्रतीक हैं?
(a) अँधेरे व प्रकाश के
(b) बुरे और अच्छे के
(c) अज्ञान और ज्ञान के
(d) प्रभु और प्रप्ति के
Q2. ‘यामा’ किसकी रचना है?
(a) भवानी प्रसाद मिश्र
(b) महादेवी वर्मा
(c) अज्ञेय
(d) मुक्तिबोध
Q3. जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं, उसे कहते हैं-
(a) समास
(b) सन्धि
(c) प्रत्यय
(d) उपसर्ग
Q4. क्रिया से बनने वाली भाववाचक संज्ञा है-
(a) थकावट
(b) बुराई
(c) आलस्य
(d) बुढ़ापा
Q5. कौन-सा शब्द ‘भ्रमर’ का पर्यायवाची नहीं है?
(a) षट्पद
(b) मधुकर
(c) अलि
(d) प्रभाकर
Q6. ‘ऋजुता’ का सही विलोम है-
(a) टेढ़ापन
(b) वक्रता
(c) बाँकापन
(d) तिरछापन
Q7. ‘जो पसीने से उत्पन्न हो’ के लिए एक उपयुक्त शब्द है-
(a) स्वयंभू
(b) जरायुज
(c) स्वेदज
(d) अण्डज
Q8. साखी का मुल तत्सम शब्द क्या है?
(a) शिक्षा
(b) साक्षी
(c) सखी
(d) इनमें से कोई नहीं
Q9. हिन्दी का कौन-सा प्रेमाख्यान कवि एक आँख का काना था?
(a) ईश्वर दास
(b) शेखनवी
(c) कुतुबन
(d) जायसी
Q10. ‘कवि’ शब्द में कौन-सी संज्ञा है?
(a) व्यक्तिवाचक
(b) जातिवाचक
(c) द्रव्यवाचक
(d) भाववाचक
Solutions
S1. Ans.(c)
Sol. प्रस्तुत दोहा कबीरदास से सम्बन्धित है। इस दोहे में ‘अँधियारा’ अज्ञान का तथा ‘दीपक’ ज्ञान का प्रतीक है।
S2. Ans.(b)
Sol. ‘यामा’ महादेवी वर्मा की रचना है। इस कृति पर इन्हें 1982 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
S3. Ans.(c)
Sol. जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं, उन्हें ‘प्रत्यय’ कहते हैं।
S4. Ans.(a)
Sol. क्रिया से बनने वाली भाववाचक संज्ञा ‘थकावट’ है। इसके अतिरिक्त घबराहट, चढ़ाई, सजावट, बहाव तथा दौहा क्रिया से बनने वाली भाववाचक संज्ञाएं हैं। ‘बुढ़ापा’ जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा है।
S5. Ans.(d)
Sol. प्रभाकर, सूर्य का पर्यायवाची शब्द है, शेष शब्द ‘भ्रमर’ के पर्यायवाची हैं।
S6. Ans.(b)
Sol. ‘ऋजुता’ का विलोम ‘वक्रता’ होता है।
S7. Ans.(c)
Sol. ‘जो पसीने से उत्पन्न हो’ उसके लिए उपयुक्त शब्द ‘स्वेदज’ है। जो स्वयं से उत्पन्न हो, उसे ‘स्वयंभू’, जो जरायु (गर्भ की थैली) से उत्पन्न हुआ हो, उसे ‘जरायुज’ तथा जो अण्डे से उत्पन्न हो, उसे ‘अण्डज’ कहते हैं।
S8. Ans.(b)
Sol. ‘साखी’ का मूल तत्सम ‘साक्षी’ है।
S9. Ans.(d)
Sol. मलिक मुहम्मद जायसी प्रेमाख्यान कवि थे। जायसी ने स्वयं अपने को एक आँख का काना कहा है। उन्हें एक कान से सुनाई भी नहीं पड़ता था। उनकी उक्ति इस प्रकार है-
मुहमद बाई दिसि तजी, एक सरवन एक आँखि।
एक नैन कवि मुहमदी गुनी, साइ विमोहा जेई कबि सुनी।।
S10. Ans.(b)
Sol. ‘कवि’ जातिवाचक संज्ञा है। जिन संज्ञाओं से एक ही प्रकार की वस्तुओं अथवा व्यक्तियों का बोध होता है। उसे ‘जातिवाचक संज्ञा’ कहते हैं।