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बहुब्रीहि समास परिभाषा
बहुव्रीहि समास एक प्रकार का समास है जिसमें दो पदों (प्रथम पद और द्वितीय पद) मिलकर तीसरा पद (तृतीय पद) का निर्माण करते हैं। तीसरा पद प्रधान होता है और यह पहले दो पदों का अर्थ बताता है।
बहुब्रीहि समास के उदाहरण
- नीलकंठ: नीला (रंग) + कंठ (गला) = नीलकंठ (भगवान शिव)
- पीताम्बर: पीत (रंग) + अम्बर (आकाश) = पीताम्बर (भगवान विष्णु)
- गगनचुंबी: गगन (आकाश) + चुंबी (चुंबन करने वाला) = गगनचुंबी (ऊंची इमारत)
- अष्टधातु: अष्ट (आठ) + धातु (धातु) = अष्टधातु (आठ धातुओं से बना)
- श्यामवर्ण: श्याम (काला) + वर्ण (रंग) = श्यामवर्ण (काला रंग)
- गिरधर: गिरि (पहाड़) + धर (धारण करने वाला) = गिरधर (पहाड़ों को धारण करने वाला)
- अर्धचंद्र: अर्ध (आधा) + चंद्र (चाँद) = अर्धचंद्र (आधा चाँद)
- अष्टदश: अष्ट (आठ) + दश (दस) = अष्टदश (अठारह)
- देशभक्त: देश (राष्ट्र) + भक्त (भक्त) = देशभक्त (राष्ट्र का भक्त)
- अल्पायु: अल्प (थोड़ा) + आयु (आयु) = अल्पायु (थोड़ी आयु वाला)
- दुर्बुद्धि: दुर्ग (खराब) + बुद्धि (समझ) = दुर्बुद्धि (खराब समझ वाला)
- फलदार: फल (फल) + दा (देने वाला) = फलदार (फल देने वाला)
बहुब्रीहि समास के भेद
बहुव्रीहि समास के पाँच प्रकार होते हैं:
-
समानाधिकरण बहुव्रीहि समास: इस प्रकार के समास में दोनों पदों का समान संबंध तीसरे पद से होता है।
- उदाहरण:
- दशानन: दश (दस) + मुख (चेहरा) = दशानन (दस मुख वाला – रावण)
- चतुर्भुज: चतुर (चार) + भुज (भुजा) = चतुर्भुज (चार भुजा वाला)
- उदाहरण:
-
तुल्ययोग बहुव्रीहि समास: इस प्रकार के समास में दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद के साथ योग (मिलन) का भाव देते हैं।
- उदाहरण:
- धनद: धन (धन) + दा (देने वाला) = धनद (धन देने वाला – कुबेर)
- विद्याधर: विद्या (ज्ञान) + धर (धारण करने वाला) = विद्याधर (ज्ञान धारण करने वाला)
- उदाहरण:
-
व्याधिकरण बहुव्रीहि समास: इस प्रकार के समास में दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद के संबंध में विशेषता बताते हैं।
- उदाहरण:
- देशभक्त: देश (राष्ट्र) + भक्त (भक्त) = देशभक्त (राष्ट्र का भक्त)
- फलदार: फल (फल) + दा (देने वाला) = फलदार (फल देने वाला)
- उदाहरण:
-
प्रादी बहुव्रीहि समास: इस प्रकार के समास में पहला पद उपसर्ग होता है और शेष पद मिलकर तीसरे पद का बोध कराते हैं।
- उदाहरण:
- अल्पायु: अल्प (थोड़ा) + आयु (आयु) = अल्पायु (थोड़ी आयु वाला)
- दुर्बुद्धि: दुर्ग (खराब) + बुद्धि (समझ) = दुर्बुद्धि (खराब समझ वाला)
- उदाहरण:
-
व्यतिहार बहुव्रीहि समास: इस प्रकार के समास में दोनों पदों में घात-प्रतिघात (विरोध) का भाव पाया जाता है।
- उदाहरण:
- शत्रुघ्न: शत्रु (दुश्मन) + हन (मारने वाला) = शत्रुघ्न (दुश्मनों को मारने वाला)
- विपरीतार्थक: विपरीत (उल्टा) + अर्थ (अर्थ) = विपरीतार्थक (उल्टा अर्थ रखने वाला)
- उदाहरण:
बहुव्रीहि समास और कर्मधारय समास में अंतर
बहुव्रीहि समास और कर्मधारय समास दोनों ही हिंदी व्याकरण में समास के महत्वपूर्ण प्रकार हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर हैं।
1. पदों का परस्पर संबंध:
- बहुव्रीहि समास: इस समास में दो पद मिलकर मिलकर तीसरे पद का निर्माण करते हैं, जो वाक्य में प्रधान होता है। इन दोनों पदों का तीसरे पद से अलग-अलग संबंध होता है।
- कर्मधारय समास: इस समास में भी दो पद मिलकर एक तीसरे पद का निर्माण करते हैं। लेकिन, दोनों पदों का तीसरे पद के साथ समान संबंध (विशेषण का संबंध) होता है।
2. उदाहरण:
- बहुव्रीहि समास:
- नीलकंठ: (नील + कंठ) = नीलकंठ (यहाँ “नील” का संबंध रंग से है और “कंठ” का संबंध गले से है। दोनों मिलकर “नीलकंठ” अर्थात भगवान शिव का बोध कराते हैं।)
- गगनचुंबी: (गगन + चुंबी) = गगनचुंबी (यहाँ “गगन” का संबंध आकाश से है और “चुंबी” का संबंध छूने से है। दोनों मिलकर “गगनचुंबी” अर्थात ऊंची इमारत का बोध कराते हैं।)
- कर्मधारय समास:
- नीलकमल: (नील + कमल) = नीलकमल (यहाँ “नील” और “कमल” दोनों का संबंध “कमल” से है, यह बता रहा है कि कमल का रंग नीला है।)
- पीतांबर: (पीत + अंबर) = पीतांबर (यहाँ “पीत” और “अंबर” दोनों का संबंध “अंबर” से है, यह बता रहा है कि अंबर का रंग पीला है।)
3. वाक्य में प्रयोग:
- बहुव्रीहि समास: वाक्य में प्रधान होता है।
- कर्मधारय समास: सामान्यतः वाक्य में विशेषण के रूप में कार्य करता है।
| विभेद | बहुव्रीहि समास | कर्मधारय समास |
|---|---|---|
| पदों का संबंध | तीसरे पद से अलग-अलग संबंध | तीसरे पद से समान संबंध (विशेषण का संबंध) |
| उदाहरण | नीलकंठ, गगनचुंबी | नीलकमल, पीतांबर |
| वाक्य में प्रयोग | प्रधान पद | विशेषण पद |



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