Direction (1-10) : नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी।
हम लोग एक काल्पनिक दुनिया में जीते हैं। बचपन में सुनी गई कहानियों को ही हम वास्तविक जीवन का आधार मान लेते थे। बचपन में राजा-रानी की कहानी सुनते समय हम पहले ही अनुमान लगा लेते थे कि रानी अत्यंत सुन्दर और राजा अत्यंत शक्तिाली तथा बुद्धिमान होगा। एक दिन कोई भयंकर राक्षस आता है और रानी का अपहरण कर उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर ले जाता है। अब शुरू होता है राजा का राक्षस के विरूद्ध अभियान। राजा अपार कष्टों को झेलता हुआ उस अज्ञात स्थान पर पहुँच जाता है, जहाँ राक्षस ने रानी को बन्दी बनाकर रखा है। अन्त में राजा और राक्षस के बीच भीषण युद्ध होता है, जिसमें राजा विजयी होता है और अपनी रानी को वापस लाता है। लेकिन वास्तविक जीवन काल्पनिक जीवन से बिल्कुल अलग होता है। वास्तविक जीवन में हमें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिनसे पार पाना असंभव तो नहीं लेकिन कठिन अवश्य है।
मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है। उसमें अनेक प्रकार की इच्छाएँ, लालसाएँ उठती रहती हैं जिनका कोई अंत नहीं है। व्यक्ति की एक इच्छा पूरी होती है, तो दूसरी का जन्म हो जाता है और इसी प्रकार इच्छाओं का अंतहीन सिलसिला निरन्तर जारी रहता है। धन के बारे में तो यह बात और भी ठीक बैठती है क्योंकि आज लोग अधिक से अधिक धन संग्रह की अंधी दौड़ में शामिल होते जा रहे हैं। प्रदर्शन की लालसा, इच्छाओं की अनंतता, गला-काट प्रतियोगिता, ईर्ष्या की भावना आदि दुर्गुणों ने मनुष्य के जीवन का सुख-चैन छीन लिया है। अधिकाधिक धन कमाने के फेर में मनुष्य नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर बेईमानी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार तथा अन्य अपराध करके भी धनी बनने का स्वप्न देखता है। धन के इस लालच ने मानव को दानव बना दिया है। आए दिन होने वाले अपराधों के पीछे भी कहीं न कहीं शीघ्र पाने की लालच अवश्य विद्यमान रहती है। कुछ और अधिक की मृग-तृष्णा में वह जीवन भर भटकता फिरता है।
हमारी संस्कृति में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं और इन्द्रियों को वश में नहीं रखता, वह जीवन भर अपने आप से असंतुष्ट रहकर अंतर्द्वंद्व तथा अशांति का जीवन व्यतीत करता है। यह अक्षरशः सत्य है कि धन से मनुष्य कभी तृप्त नहीं हो सकता। आज जीवन के हर क्षेत्र में जिस प्रकार की आपाधापी मची हुई है, जिस प्रकार असंतोष व्याप्त है, उसके मूल में भी इच्छाओं, लालसाओं और स्वार्थों का विस्तार ही है। आज संसार में जहाँ कहीं भी अशांति, विद्वेष, लड़ाई-झगड़े, शत्रुता, कटुता, वैमनस्य अथवा युद्ध का वातावरण है, उसके पीछे भी सबल राष्ट्रों की धन की लालसा है।
इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि व्यक्ति को आलसी और अकर्मण्य बनकर बैठ जाना चाहिए तथा जो कुछ भाग्य में है, उसी से संतोष कर लेना चाहिए। जीवन में उन्नति करने के लिए पुरूषार्थ करना आवश्यक है। जो व्यक्ति भाग्यवादी बनकर पुरूषार्थ का त्याग कर देता है, वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। हाँ, जब व्यक्ति धन-दौलत के पीछे पागलों की भांति भागता है तथा किसी भी प्रकार से अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं रहता तो जीवन भर धन के इस चक्रवात से निकल नहीं पाता और जीवन के वास्तविक सुखों से वंचित रह जाता है।
Q1. काल्पनिक जीवन में वास्तविक जीवन का आधार क्या है?
(a) बचपन के खेल
(b) बचपन की शरारतें
(c) बचपन की कहानियाँ
(d) बचपन की आदतें
Q2. काल्पनिक कहानियों में राक्षस रानी का अपरहण क्यों करता है?
(a) क्योंकि रानी अत्यंत बुद्धिमान थी
(b) क्योंकि रानी अत्यंत घमंडी थी
(c) क्योंकि वह राजा की पत्नी थी
(d) क्योंकि वह अत्यंत सुंदर थी
Q3. वास्तविक जीवन काल्पनिक जगत से भिन्न क्यों माना जाता है?
(a) राजा-रानी सिर्फ काल्पनिक जगत में ही होते हैं वास्तविक जीवन में नहीं
(b) किसी का अपहरण काल्पनिक जगत में ही संभव है वास्तविक जीवन में नहीं
(c) काल्पनिक जगत का राजा अत्यंत शक्तिशाली होता है वास्तविक जगत का नहीं
(d) काल्पनिक जगत में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता लेकिन वास्तविक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
Q4. मनुष्य की इच्छाओं को अनंत क्यों कहा जाता है?
(a) उसमें अनेक प्रकार की इच्छाएँ, लालसाएँ नही होती हैं।
(b) मनुष्य की एक इच्छा पूरी होते ही दूसरी जन्म ले लेती है।
(c) मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है।
(d) मनुष्य एक स्वार्थी जीव है।
Q5. उपर्युक्त अनुच्छेद के अनुसार वे कौन-से दुर्गुण हैं, जिसने मनुष्य के जीवन का सुख-चैन छीन लिया है?
(A) प्रदर्शन की लालसा
(B) इच्छाओं की अनंतता
(C) गला-काट प्रतियोगिता
(D) ईर्ष्या की भावना
(a) केवल (A)
(b) केवल (B)
(c) (A) और (C) दोनों
(d) (A), (B), (C) और (D) सभी
Q6. अधिक से अधिक धन कमाने के चक्कर में लगा मनुष्य क्या करता है?
(a) बहुत अधिक परिश्रम करता है।
(b) व्यापार करता है।
(c) बड़ा अधिकारी बनता है।
(d) नैतिक मूल्यों की परवाह नहीं करता है।
Q7. उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार हमारी संस्कृति में किस बात की महत्ता स्थापित की गई है?
(a) धन अशांति का कारण है।
(b) इच्छाओं और इन्द्रियों को वश में रखना आवश्यक है।
(c) धन का अर्जन व्यर्थ है।
(d) धन ही सभी सुखों का आधार है।
Q8. उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार मानव को अपनी उन्नति के लिए क्या करना चाहिए?
(a) सदा सत्य बोलना चाहिए।
(b) भाग्य पर भरोसा करना चाहिए।
(c) पुरूषार्थ करना चाहिए।
(d) परमार्थ करना चाहिए।
Q9. उपयुक्त गद्यांश में ‘मृग-तृष्णा’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(a) राजा के लिए
(b) राक्षस के लिए
(c) सबल राष्ट्रों के लिए
(d) अधिकाधिक धन के अर्जन में लगे मनुष्यों के लिए
Q10. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘अपहरण’ का समानार्थी शब्द चुनिए।
(a) बातें करना
(b) छीन लेना
(c) लालच देना
(d) विवश करना
Solutions
S1 Ans. (c)
S2 Ans. (d)
S3 Ans. (d)
S4 Ans. (b)
S5 Ans. (d)
S6 Ans. (d)
S7 Ans. (b)
S8 Ans. (c)
S9 Ans. (d)
S10 Ans. (b)