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कुछ माह पूर्व, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य सिविल सेवा के विभिन्न पदों को भरने के लिए 416 रिक्तियों के साथ यूपीपीसीएस परीक्षा अधिसूचना जारी की थी।
परीक्षा तीन चरणों में, अर्थात् प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार आयोजित की जाती है। यूपीपीसीएस 2021 प्रारंभिक परीक्षा 24 अक्टूबर 2021 को निर्धारित है। यूपीपीसीएस मुख्य परीक्षा 2021 और यूपीपीसीएस साक्षात्कार 2021 के तिथियों की घोषणा आयोग द्वारा बाद में की जाएगी।
यूपीपीसीएस परीक्षा प्रारूप 2021
यूपीपीसीएस परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है
प्रारंभिक परीक्षा – 2 पेपर – वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न (एमसीक्यू)
मुख्य परीक्षा – 8 पेपर – निबंध / वर्णनात्मक प्रकार का
साक्षात्कार
यूपीपीएससी परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा प्रारूप
परीक्षा का नाम | संयुक्त राज्य / प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा |
प्रश्न पत्रों की संख्या | दो
1. पेपर 1 – सामान्य अध्ययन 2. पेपर 2 – सीसैट |
यूपीपीएससी परीक्षा की तिथि(प्रारंभिक परीक्षा 2021) | 24 अक्टूबर 2021 |
परीक्षा की अवधि |
समय:
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अधिकतम अंक |
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प्रश्नों की संख्या | पत्र- I 150 प्रश्नों का होगा
पेपर- II 100 प्रश्नों का होगा |
परीक्षा का प्रकार | लिखित एवं ओएमआर शीट पर आधारित प्रश्न पत्र । |
प्रश्नों की प्रकृति | सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रकार के होंगे जहां एक उम्मीदवार को दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प को चिह्नित करना होगा। |
ऋणात्मक अंकन |
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यूपीपीएससी पाठ्यक्रम एवं यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा
यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा 2021 के लिए यूपी पीसीएस परीक्षा प्रारूप नीचे दिया गया है।
परीक्षा का नाम | संयुक्त राज्य / प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य (लिखित) परीक्षा |
प्रश्न पत्रों की संख्या | आठ:
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यूपीपीएससी परीक्षा तिथि |
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परीक्षा की अवधि | प्रत्येक हेतु 3 घंटे:
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अधिकतम अंक |
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परीक्षा का प्रकार | पेन एवं पेपर-आधारित (लिखित) |
प्रश्नों की प्रकृति | वर्णनात्मक अथवा लिखित |
वैकल्पिक विषय | नवीन यूपीपीएससी परीक्षा प्रारूप के अनुसार, उम्मीदवारों को अब नीचे दी गई सूची में से केवल एक वैकल्पिक विषय (2 प्रश्न पत्र वाले) का चयन करना होगा। |
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम एवं यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा
एक उम्मीदवार को नवीनतम परीक्षा प्रारूप के अनुसार यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा 2021 के लिए नीचे दिए गए 34 विषयों में से एक वैकल्पिक विषय का चयन करना होगा:
कृषि एवं पशु चिकित्सा विज्ञान | अरबी साहित्य | जीव विज्ञान |
रसायन विज्ञान | हिंदी साहित्य | सांख्यिकी |
रक्षा अध्ययन | फारसी साहित्य | भौतिकी |
प्रबंधन | संस्कृत साहित्य | गणित |
राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध | भूविज्ञान | वाणिज्य एवं लेखा |
भूगोल | मनोविज्ञान | अर्थशास्त्र |
इतिहास | सिविल इंजीनियरिंग | लोक प्रशासन |
समाज कार्य | चिकित्सा विज्ञान | समाजशास्त्र |
कृषि इंजीनियरिंग | दर्शनशास्त्र | नृविज्ञान |
मैकेनिकल इंजीनियरिंग | वनस्पति विज्ञान | इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग |
विधि | इंग्लिश साहित्य | पशुपालन |
उर्दू साहित्य |
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम एवं यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा
यूपीपीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम
यूपीपीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम: जीएस 1
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाओं पर, उम्मीदवारों से इनके बारे में ज्ञान की अपेक्षा की जाएगी।
भारतीय इतिहास: प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक: इतिहास में भारतीय इतिहास के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पहलुओं की व्यापक समझ पर महत्व दिया जाना चाहिए। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में, उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्वतंत्रता आंदोलन की प्रकृति एवं चरित्र, राष्ट्रवाद के विकास एवं स्वतंत्रता की प्राप्ति के बारे में एक संक्षिप्त दृष्टि रखते हो।
भारतीय एवं विश्व का भूगोल- भारत एवं विश्व का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल: विश्व भूगोल में केवल विषय के सामान्य बोध की अपेक्षा की जाएगी। भारत के भूगोल से संबंधित प्रश्न भारत के भौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक भूगोल से संबंधित होंगे।
भारतीय शासन एवं राजव्यवस्था: इसमें भारतीय राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति का विवरण, प्रश्न पंचायती राज एवं सामुदायिक विकास सहित देश की राजनीतिक व्यवस्था के ज्ञान का परीक्षण करेंगे, भारत में आर्थिक नीति की व्यापक विशेषताएं एवं भारतीय सांस्कृतिक राजनीतिक प्रणाली, संविधान, सार्वजनिक नीति, पंचायती राज , अधिकारों के मुद्दे, इत्यादि सम्मिलित है।
सामाजिक एवं आर्थिक विकास: सतत विकास, निर्धनता उन्मूलन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल, आदि पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव विविधता एवं जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे- जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है।
पर्यावरण पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता – सामान्य मुद्दे जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है: प्रश्न जनसंख्या, पर्यावरण एवं शहरीकरण के मध्य समस्याओं एवं संबंधों के संबंध में होंगे। पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव विविधता एवं जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे – जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, उम्मीदवारों से विषय की सामान्य जागरूकता की अपेक्षा की जाती है।
यूपीपीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम: जीएस 2
बोधगम्यता
अंतर वैयक्तिक कौशल (संप्रेषण कौशल सहित)
विश्लेषणात्मक क्षमता एवं तार्किक तर्कणा
समस्या समाधान एवं निर्णय निर्माण
सामान्य मानसिक क्षमता
प्रारंभिक गणित (कक्षा X स्तर – बीजगणित, सांख्यिकी, ज्यामिति एवं अंकगणित):
सामान्य अंग्रेजी (कक्षा X स्तर)
सामान्य हिंदी (कक्षा X स्तर)
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम
मुख्य परीक्षा पेपर II
प्रश्न पत्र में तीन खंड होंगे। उम्मीदवारों को प्रत्येक खंड से एक विषय का चयन करना होगा एवं एक निबंध लिखना होगा। प्रत्येक निबंध की शब्द सीमा लगभग 700 शब्दों की होनी चाहिए। इन तीन खंडों को इस प्रकार विभाजित किया जाएगा:
खंड ए: साहित्य एवं संस्कृति, सामाजिक क्षेत्र, राजनीतिक क्षेत्र।
खंड बी: विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी, आर्थिक क्षेत्र कृषि, उद्योग एवं व्यापार।
खंड सी: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं, भूस्खलन, भूकंप, जलप्रलय, सूखा इत्यादि राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम एवं परियोजनाएं।
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम
मुख्य परीक्षा III प्रश्न पत्र
भारतीय संस्कृति का इतिहास प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के प्रमुख पहलुओं को सम्मिलित करेगा।
आधुनिक भारतीय इतिहास (1757 से 1947 तक): महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व एवं मुद्दे इत्यादि।
स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण एवं देश के विभिन्न हिस्सों से महत्वपूर्ण योगदानकर्ता/योगदान।
स्वतंत्रता के बाद देश के अंतर्गत एकीकरण एवं पुनर्गठन (1965 तक)।
विश्व के इतिहास में 18 वीं शताब्दी से लेकर 20 वीं शताब्दी के मध्य तक की घटनाएं जैसे 1789 की फ्रांसीसी क्रांति, औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनर्निर्धारण, समाजवाद, नाजीवाद, फासीवाद आदि-उनके रूप एवं समाज पर प्रभाव शामिल होंगी।
भारतीय समाज एवं संस्कृति की मुख्य विशेषताएं।
समाज एवं महिला संगठन में महिलाओं की भूमिका, जनसंख्या एवं संबंधित मुद्दे, निर्धनता एवं विकासात्मक मुद्दे, शहरीकरण, उनकी समस्याएं तथा उनके उपाय।
उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण का अर्थ एवं अर्थव्यवस्था, राज्य व्यवस्था तथा सामाजिक संरचना पर उनके प्रभाव।
सामाजिक सशक्तिकरण, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता।
भारत के विशेष संदर्भ में दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के संदर्भ में विश्व के प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों- जल, मृदा, वनों का वितरण। उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारक (भारत के विशेष संदर्भ में)।
भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएं- भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात, महासागरीय धाराएं, पवन एवं हिमनद।
भारत के सामुद्रिक संसाधन एवं उनकी संभावनाएं।
भारत के विशेष उल्लेख के साथ विश्व की मानव प्रवास-शरणार्थी समस्या।
भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में सीमावर्ती प्रदेश एवं सीमाएँ।
जनसंख्या और अधिवास- प्रकार एवं प्रतिरूप, शहरीकरण, स्मार्ट शहर तथा स्मार्ट गाँव।
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम
मुख्य परीक्षा IV प्रश्न पत्र
भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान एवं आधारिक संरचना, संविधान के मूल प्रावधानों के विकास में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका।
संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां, स्थानीय स्तर तक शक्तियों एवं वित्त का हस्तांतरण तथा उसमें अंतर्निहित चुनौतियाँ।
केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों में वित्त आयोग की भूमिका।
शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र एवं संस्थाएं। वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र का उद्भव एवं उपयोग।
अन्य प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के साथ भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की तुलना।
संसद एवं राज्य विधायिका- संरचना, क्रियाकलाप, कार्य संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार तथा संबंधित मुद्दे।
कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की संरचना, संगठन एवं कार्य संचालन: सरकार के विभिन्न मंत्रालय एवं विभाग, दबाव समूह एवं औपचारिक/अनौपचारिक संघ एवं राजनीति में उनकी भूमिका। जनहित याचिका (पीआईएल)।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, शक्तियां, कार्य एवं उनके दायित्व।
नीति आयोग सहित वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय, उनकी विशेषताएं तथा कार्यप्रणाली।
विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना, कार्यान्वयन एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) से उत्पन्न मुद्दे।
विकास प्रक्रियाएं- गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), विभिन्न समूहों एवं संघों, दाताओं, विन्यासों, संस्थागत एवं अन्य हितधारकों की भूमिका।
केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन कमजोर वर्गों की सुरक्षा एवं उन्नति के लिए गठित इन योजनाओं, तंत्रों, विधानों, संस्थानों एवं निकायों का प्रदर्शन।
स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे, राजनीतिक निकायों पर उनका प्रभाव।
शासन के महत्वपूर्ण पहलू। पारदर्शिता और जवाबदेही, ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग, प्रतिमान, सफलताएं, सीमाएं एवं संभावनाएं, नागरिक, चार्टर तथा संस्थागत उपाय।
उभरती प्रवृत्तियों के संदर्भ में लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।
भारत एवं पड़ोसी देशों के साथ उसके संबंध।
द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव- भारतीय प्रवासी।
महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, अभी कारण, उनकी संरचना, अधिदेश एवं कार्यप्रणाली।
राजनीतिक, प्रशासनिक, राजस्व और न्यायिक व्यवस्था के संबंध में उत्तर प्रदेश का विशिष्ट ज्ञान
समसामयिक घटनाक्रम एवं क्षेत्रीय, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व की घटनाएं।
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम
मुख्य परीक्षा V प्रश्न पत्र
भारत में आर्थिक आयोजना, उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ। नीति आयोग की भूमिका, सतत विकास लक्ष्यों का अनुगमन (एसडीजी)।
निर्धनता, बेरोजगारी, सामाजिक न्याय एवं समावेशी विकास के मुद्दे।
सरकारी बजट एवं वित्तीय प्रणाली के घटक।
प्रमुख फसलें, विभिन्न प्रकार की सिंचाई एवं सिंचाई प्रणाली, कृषि उपज का भंडारण, परिवहन एवं विपणन, कृषकों की सहायता हेतु ई-प्रौद्योगिकी।
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायिकी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे, सार्वजनिक वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार, बफर स्टॉक एवं खाद्य सुरक्षा के मुद्दे, कृषि में प्रौद्योगिकी मिशन।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्व, अवस्थिति, ऊर्ध्वप्रवाह एवं अधः प्रवाह आवश्यकताएं, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
स्वतंत्रता के बाद से भारत में भूमि सुधार।
अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन एवं औद्योगिक विकास पर उनके प्रभाव।
आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-विकास और दैनिक जीवन में और राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति में अनुप्रयोग।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण। नवीन प्रौद्योगिकियों का विकास, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, द्वैध एवं महत्वपूर्ण उपयोग वाली प्रौद्योगिकियां।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर, ऊर्जा संसाधन, नैनो प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) एवं डिजिटल अधिकारों से संबंधित मुद्दे।
पर्यावरण सुरक्षा एवं पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीव संरक्षण, जैव विविधता, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन,
एक गैर-पारंपरिक सुरक्षा एवं सुरक्षा चुनौती के रूप में आपदा, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां: परमाणु प्रसार के मुद्दे, उग्रवाद के कारण एवं प्रसार, संचार नेटवर्क, मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग की भूमिका, साइबर सुरक्षा की मूलभूत बातें, धन-शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) एवं मानव दुर्व्यापार।
भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां: आतंकवाद, भ्रष्टाचार, उग्रवाद एवं संगठित अपराध।
भारत में सुरक्षा बलों, उच्च रक्षा संगठनों की भूमिका, प्रकार एवं अधिदेश 18- उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का विशिष्ट ज्ञान:- उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का अवलोकन: राज्य के बजट। कृषि, उद्योग, आधारिक अवसंरचना एवं भौतिक संसाधनों का महत्व। मानव संसाधन एवं कौशल विकास। सरकारी कार्यक्रम एवं कल्याण योजनाएं।
कृषि, बागवानी, वानिकी एवं पशुपालन में मुद्दे।
उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में विधि एवं व्यवस्था तथा नागरिक सुरक्षा
यूपीपीएससी पाठ्यक्रम
मुख्य परीक्षा VI प्रश्न पत्र
नैतिकता एवं मानव अंतरापृष्ठ: मानव क्रिया में नैतिकता के सार, निर्धारक एवं परिणाम, नैतिकता के आयाम, निजी एवं सार्वजनिक संबंधों में नैतिकता। मानव मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों एवं प्रशासकों के जीवन तथा शिक्षाओं से शिक्षण, मूल्यों को विकसित करने में परिवार, समाज एवं शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका।
दृष्टिकोण: विषय वस्तु, संरचना, कार्य, इसका प्रभाव एवं विचार तथा व्यवहार के साथ संबंध, नैतिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण, सामाजिक प्रभाव एवं धारणाऍं।
सिविल सेवा के लिए अभियोग्यता एवं मूलभूत मूल्य, अखंडता, निष्पक्षता एवं गैर-पक्षपात, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवाओं के प्रति समर्पण, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता एवं करुणा।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता- अवधारणा एवं आयाम, प्रशासन एवं शासन में इसकी उपादेयता एवं अनुप्रयोग।
भारत एवं विश्व के नैतिक विचारकों एवं दार्शनिकों का योगदान।
लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य एवं नैतिकता: सरकारी एवं निजी संस्थानों में स्थिति एवं समस्याएं, नैतिक चिंताएं एवं दुविधाएं, नैतिक मार्गदर्शन, उत्तरदायित्व एवं नैतिक शासन के स्रोत के रूप में विधान, नियम, विनियम एवं विवेक, शासन में नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करना, अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं वित्त पोषण, व्यावसायिक प्रशासन में नैतिक मुद्दे।
शासन में सत्यनिष्ठा: लोक सेवाओं की अवधारणा, शासन का दार्शनिक आधार एवं सत्यनिष्ठा, सूचना साझा करना एवं सरकार में पारदर्शिता। सूचना का अधिकार, नैतिक संहिता, आचार संहिता, नागरिक चार्टर, कार्य संस्कृति, सेवा वितरण की गुणवत्ता, सार्वजनिक धन की उपादेयता, भ्रष्टाचार की चुनौतियां।
उपरोक्त मुद्दों पर वस्तुस्थिति अध्ययन (केस स्टडी)।