
हिंदी भाषा TET परीक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है इस भाग को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है .बस आपको जरुरत है तो बस एकाग्रता की. ये खंड न सिर्फ CTET Exam (परीक्षा) में एहम भूमिका निभाता है अपितु दूसरी परीक्षाओं जैसे UPTET, KVS ,NVS, DSSSB आदि में भी रहता है, तो इस खंड में आपकी पकड़, आपकी सफलता में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.TEACHERSADDA आपके इस चुनौतीपूर्ण सफ़र में हर कदम पर आपके साथ है।
Q1. ‘शार्दूल’ का क्या अर्थ है ?
(a) हाथी
(b) सिंह
(c) सर्प
(d) बंदर
Q2. निम्नलिखित शब्दों में से कौन-सा शुद्ध है?
(a) कवियित्री
(b) कवयित्री
(c) कवीयित्री
(d) कवयीत्री
Q3. निम्नलिखित शब्दों में से कौन-सा शुद्ध है?
(a) विदुषी
(b) बिदुषी
(c) वीदुषी
(d) विदूषी
Q4. निम्नलिखित में से शुद्ध शब्द है:
(a) कुमुदनी
(b) कुमुदिनी
(c) कुमूदनी
(d) कूमूदिनी
Q5. निम्नलिखित में से शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है:
(a) कलेष
(b) क्लेष
(c) क्लेश
(d) क्लेस
निर्देश (6 से 10) गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों से सबसे उचित विकल्प चुनिए।
मनु बहन ने पूरे दनि की डायरी लिखी, लेकिन एक जगह लिख दिया, ‘‘सफाई वगैरह की।’’
गाँधीजी प्रतिदिन डायरी पढ़कर उस पर अपने हस्ताक्षर करते थे। आज की डायरी पर हस्ताक्षर करते हुए गाँधीजी ने लिखा, ‘‘कातने की गति का हिसाब लिख जाए। मन में आए हुए विचार लिखे जाएँ। जो-जो पढ़ा हो, उसकी टिप्पणी लिखी जाए। ‘वगैरह’ का उपयोग नहीं होना चाहिए। डायरी में ‘वगैरह’ शब्द के लिए कोई स्थान नहीं है।’’
जिसने जो पढ़ा हो, वह लिखा जाए। ऐसा करने से पढ़ा हुआ कितना पच गया है, यह मालूम हो जाएगा। जो बाते हुई हों वे लिखी जाएँ। मनु ने अपनी गलती का अहसास किया और डायरी विधा की पवित्रता को समझा।
गाँधीजी ने पुनः मनु से कहा- ‘‘डायरी लिखना आसान कार्य नहीं है। यह इबादत करने जैसी विधा है। हमें शुद्ध व सच्चे रूप से प्रत्येक छोटी-बड़ी घटना को निष्पक्ष रूप से लिखना चाहिए चाहे कोई बात हमारे विरुद्ध ही क्यों न जा रही हो। इसमें हमसे सच्चाई स्वीकार करने की शक्ति प्राप्त होगी।‘‘
(गाँधीजी के रोचक संस्मरण)
Q6. गाँधीजी ने ‘वगै़रह’ शब्द पर अपनी आपत्ति क्यों जताई?
(a) गाँधी जी चाहते थे कि सही भाषा का प्रयोग हो
(b) ‘वगै़रह’ शब्द में कार्य और विचार का स्पष्टता नहीं है
(c) वे चाहते थे कि बातों को ज्यों-का-त्यों लिखा जाए
(d) ‘वगै़रह’ शब्द का जगह ‘आदि’ शब्द का प्रयोग सही है
Q7. गाँधीजी ने डायरी लिखने को इबादत करने-जैसा क्यों कहा है?
(a) दोनों कार्य हमारे कर्तव्यों में शामिल हैं
(b) दोनों कार्य रोज़ किए जाते हैं
(c) दोनों में सच्चाई और ईमानदारी चाहिए
(d) दोनों में समय लगता है
Q8. ‘प्रतिदिन’ शब्द में कौन-सा समास है?
(a) अव्ययीभाव समास
(b) द्विगु समास
(c) तत्पुरुष समास
(d) द्वंद्व समास
Q9. ‘पढ़ा हुआ कितना पच गया है’ का अर्थ है
(a) पढ़े हुए का कितना विश्लेषण किया है
(b) पढ़ा हुआ कितना समझ में आया है
(c) पढ़ा हुआ कितना आत्मसात् किया है
(d) कितना सही उच्चारण के साथ पढ़ा है
Q10. ‘कार्य’ शब्द का तद्भव रूप बताइए।
(a) कारज
(b) काज
(c) काम
(d) सेवा
Solutions
S1. Ans.(b)
Sol. शार्दूल का अर्थ सिंह होता है।
S2. Ans.(b)
Sol. कवयित्री
S3. Ans.(a)
Sol. विदुषी
S4. Ans.(b)
Sol. ‘कुमुदिनी’ शुद्ध वर्तनी रूप है।
S5. Ans.(c)
Sol. ‘क्लेश’ शुद्ध वर्तनी रूप है।
S6. Ans.(b)
Sol. गाँधीजी की दृष्टि में ‘वगैरह’ शब्द में कार्य और विचार की स्पष्टता नहीं होती है।
S7. Ans.(c)
Sol. डायरी लेखन और इबादत में सच्चाई और ईमानदारी चाहिए। इसलिए गाँधीजी ने डायरी लिखने को इबादत करने जैसा कहा है।
S8. Ans.(a)
Sol. ‘प्रतिदिन’ शब्द में अव्ययीभाव समास है। अव्ययीभाव समास में प्रथम पद अव्यय होता है जैसे- प्रति, यथा आदि।
S9. Ans.(c)
Sol. यहाँ ‘पच गया’ का अर्थ ‘आत्मसात् किया’ है ‘पढ़ा हुआ कितना पच गया है’ का अर्थ होगा ‘पढ़ा हुआ कितना आत्मसात् किया है।’
S10. Ans.(b)
Sol. ‘कार्य’ तत्सम शब्द है इसका तद्भव रूप ‘काज’ होगा।
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