Correct option is B
(b) ज्योतिश्चक्र = ज्योति + चक्र का संधि-विच्छेद असंगत है।
व्याख्या:
· 'ज्योतिश्चक्र' का सही संधि-विच्छेद ‘ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र' है, न कि 'ज्योति + चक्र'। यह विसर्ग संधि का एक उदाहरण है। नियम - विसर्ग के साथ च या छ के मिलन से विसर्ग के जगह पर ‘श्’बन जाता है| विसर्ग के पहले अगर ‘अ’और बाद में भी ‘अ’अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे , पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है।
अन्य सभी विकल्पों में दिए गए शब्दों का संधि-विच्छेद सही है:
· अहर्गण = अहन् + गण
इसमे व्यंजन संधि है - अहन् शब्द के आगे कोई भी वर्ण आवे तो अंत्य न के बदले र होता है, पर रात्रि, रूप शब्दों के आने से न को उ होता है, और संधि के नियमानुसार अ+उ मिल कर ओ हो जाता है।
· उद्धरण = उद् + हरण व्यंजन संधि में वर्गों के अंतिम वर्णों को छोड़, शेष वर्णों के बाद 'ह' आये, तो 'ह' पूर्व वर्ण के वर्ग का चतुर्थ वर्ण में बदल जाता है और 'ह' के पूर्व वर्ण अपने वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है।
· महौजस्वी = महा + ओजस्वी यह वृद्धि संधि का उदाहरण है - वृद्धि स्वर संधि अ, आ का मेल ए ऐ के साथ होने पर 'ऐ' तथा ओ ओ के साथ होने पर 'औं' में परिवर्तित हो जाता है, जैसे - एक + एक (अ + ए) = एकेक, परम + ओजस्वी (अ + ओ) = परमौजस्वी ।