Correct option is D
सही उत्तर: (d) निः + दोष
निर्दोष एक संयुक्त शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है:
निः (उपसर्ग) + दोष (संज्ञा)
'निः' उपसर्ग का अर्थ:
· ‘निः’ का अर्थ होता है — रहित, विहीन, या बिना किसी के।
जब यह किसी शब्द के साथ जुड़ता है, तो यह नकारात्मक अर्थ प्रदान करता है, जैसे:
· निःस्वार्थ = स्वार्थ रहित
· निःशब्द = बिना शब्द
· निःसंदेह = संदेह रहित
इसी प्रकार,
· निर्दोष = दोष रहित, यानी ऐसा व्यक्ति या वस्तु जिसमें कोई दोष न हो।
संधि का नियम (विसर्ग संधि):
· यहाँ प्रयोग हुआ है विसर्ग संधि का नियम:
· जब ‘निः’ के बाद कोई व्यंजन (जैसे – ‘द’ से शुरू होने वाला शब्द ‘दोष’) आता है, तो विसर्ग (ः) ‘र’ में बदल जाता है।
अतः
· निः + दोष → निर्दोष
· यह व्याकरण की दृष्टि से पूर्णतः शुद्ध संधि है।
Additional Knowledge:
· निर + दोष – यह आम बोलचाल में प्रयुक्त रूप हो सकता है, लेकिन संधि-विच्छेद के दृष्टिकोण से शुद्ध रूप 'निः' होता है, ‘निर’ नहीं। इसलिए यह विकल्प आंशिक रूप से गलत है।
· निर्दो + ष – यह अर्थहीन और व्याकरणिक रूप से अशुद्ध संधि-विच्छेद है। 'निर्दो' और 'ष' का कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं निकलता, अतः यह विकल्प त्रुटिपूर्ण है।
· निरद + दोष – इसमें 'निरद' एक असंगत शब्द है जिसका यहाँ कोई व्याकरणिक या व्यावहारिक आधार नहीं है। यह पूर्णतः ग़लत विकल्प है।
· निः + दोष – यह विकल्प व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध, स्पष्ट और पूर्ण अर्थ देने वाला है। यही सही संधि-विच्छेद है।