डॉ गौरव गर्ग एक अनुभवी शिक्षक हैं जिन्होंने शिक्षा के प्रति अपना जीवन समर्पित किया हुआ है। अपने शैक्षिक जीवन में वह विद्यार्थियों की अनेकों समस्याओं से अवगत हुए। यह समस्याएँ बहुत ही आम हैं और लगभग हर विद्यार्थी इनसे जूझता है, कुछ विद्यार्थी इन समस्याओं से लड़कर आगे निकल जाते हैं लेकिन बहुत से इनमें उलझकर भटक जाते हैं। इस किताब को लिखने का उनका अभिप्राय ज़्यादा से ज़्यादा विद्यार्थियों को राह दिखाना है जिससे वो अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें।
फेल्योर टू ट्राइंफ'' एक संस्मरण से कहीं अधिक है; यह छात्रों, शिक्षकों और विपरीत परिस्थितियों में सफलता के लिए प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक मार्गदर्शिका है। डॉ. गौरव गर्ग की कहानी आशा की किरण के रूप में काम करती है, जो हमें सबसे अंधेरे क्षणों में भी याद दिलाती है। , विजय पहुंच के भीतर है।
पूरे पृष्ठों में, डॉ. गर्ग न केवल अपने स्वयं के अनुभवों को प्रतिबिंबित करते हैं, बल्कि असफलताओं को सफलता की ओर बढ़ने के लिए आवश्यक लचीलेपन, दृढ़ता और मानसिकता पर अमूल्य सबक भी देते हैं। पाठकों को अपनी शैक्षणिक और व्यक्तिगत यात्राओं को नेविगेट करने के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और प्रेरक ज्ञान मिलेगा।
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