Correct option is D
सही उत्तर: (D) धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है।
व्याख्या:
"धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है" एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि जब किसी के पास बहुत पैसा होता है, तो वह अपनी नैतिकता या ईमानदारी को भी खो सकता है।
यह मुहावरा जीवन की वास्तविकता को दर्शाता है कि धन की ताकत अक्सर इंसान को सही-गलत के बीच के अंतर को भूलने पर मजबूर कर देती है।
विकल्पों का विश्लेषण :
विकल्प |
विश्लेषण |
निष्कर्ष |
बेटे ने संदूक में पगड़ी रख ली। |
इस वाक्य में कोई मुहावरा नहीं है, बल्कि यह एक साधारण वाक्य है। "पगड़ी रख लेना" का मुहावरे में कोई स्थान नहीं है। |
अशुद्ध |
माँ मेरे लिए पराठा बनाती है तब उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में भरी हुई होती हैं। |
"पाँचों उँगलियाँ घी में भरी होती हैं" एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को हर काम में सफलता या संतुष्टि मिल रही हो। हालांकि, इस वाक्य का संदर्भ सही नहीं है, क्योंकि यह सही तरीके से काम में सफलता के बारे में नहीं है। |
अशुद्ध |
भूखा कुत्ता दरवाजे पर रखे जूते चाटने लगा। |
यह वाक्य एक सामान्य घटना का वर्णन करता है, लेकिन मुहावरे का सही प्रयोग नहीं किया गया है। "भूखा कुत्ता" का कोई प्रसिद्ध मुहावरा नहीं है। |
अशुद्ध |
धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है। |
यह मुहावरा "धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है" का सही प्रयोग है, जिसका अर्थ है कि पैसा या धन किसी व्यक्ति के नैतिक मूल्यों को प्रभावित कर सकता है। |
शुद्ध |
विकल्प (D) में मुहावरे का सही प्रयोग किया गया है।
इसलिए सही उत्तर: (D) धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है।