कर्मकार कल्याण के कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धांत नीचे दिए गए हैं। ईपीएफओ प्रवर्तन अधिकारी परीक्षा के लिए ये सिद्धांत अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
- पुलिस सिद्धांत:
- यह दृष्टिकोण कहता है कि कारखाने एवं अन्य औद्योगिक कार्यस्थलों के मालिक स्वार्थी एवं एवं आत्मकेंद्रित होते हैं तथा सदैव मजदूरों की कीमत पर भी स्वयं के लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- मजदूरों को, कार्यस्थलों को अस्वच्छ स्थिति में रखकर, एवं पेयजल, शौचालय, विश्राम कक्ष तथा कैंटीन जैसी प्राथमिक मानवीय सुविधाओं के प्रावधान की अनदेखी करके गलत तरीके से लंबी अवधि तक कार्य करने के लिए बाध्य किया जा सकता है, उन्हें कम मजदूरी का भुगतान किया जा सकता है।
- श्रम कल्याण के लिए विधान निर्मित करने की आवश्यकता है जिसके अंतर्गत प्रबंधन को श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना अनिवार्य है।
- स्पष्ट रूप से, राज्य एक पुलिसकर्मी की भूमिका अदा करता है, एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रबंधकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करने के लिए विवश करता है, तथा गैर-अनुपालन के मामले में उन्हें दंडित करता है।
- धर्म सिद्धांत:
- इसके दो निहितार्थ हैं: निवेश एवं प्रायश्चित (क्षतिपूर्ति) पहलू।
- निवेश पहलू यह कहता है कि आज के कर्मों का फल कल मिलेगा।
- कोई भी कार्य – अच्छा या बुरा – इसीलिए एक निवेश के रूप में माना जाता है। इस विश्वास से प्रेरित होकर, प्रतिष्ठान के नियोक्ता योजना निर्मित करते हैं एवं कैंटीन तथा शिशु गृह (क्रेच) का गठन करते हैं।
- दूसरी ओर, प्रायश्चित पहलू का तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति की वर्तमान अक्षमता पूर्व में उसके द्वारा किए गए पापों का परिणाम है।
- इसीलिए व्यक्ति को अपने पापों का प्रायश्चित या क्षतिपूर्ति करने के लिए अभी अच्छे कर्म करने चाहिए।
- परोपकारी सिद्धांत परोपकार (लोकोपकार) का अर्थ है मानव जाति के प्रति स्नेह।
- यह कर्मचारियों की असामर्थ्यताओं को दूर करने के लिए कार्य की उचित दशाएं, क्रेच एवं कैंटीन की सुविधा प्रदान करने वाले नियोक्ताओं को संदर्भित करता है।
- छात्रों हेतु छात्रावास, पेयजल सुविधाएं, अपंग व्यक्तियों का पुनर्वास, धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थानों को दान, आदि परोपकारी कार्यों के उदाहरण हैं।
- पितृसत्तात्मक सिद्धांत इसे श्रम कल्याण का ट्रस्टीशिप सिद्धांत भी कहा जाता है।
- उद्योगपति अथवा नियोक्ता कुल औद्योगिक संपदा, संपत्तियां और उनसे होने वाले लाभ को अपने न्यास में रखता है।
- वह इसे न केवल अपने उपयोग के लिए रखता है, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के लाभ के लिए भी रखता है।
- श्रमिक अवयस्कों की तरह होते हैं, एवं नियोक्ताओं को अपने नियंत्रण अधीन कोष से उनके कल्याण के लिए धन प्रदान करना चाहिए।
- ट्रस्टीशिप कानूनी नहीं है किंतु मालिक पर नैतिक दायित्व डालता है।
- सांत्वना सिद्धांत यह मानता है कि जब कार्यकर्ता संगठित होते हैं एवं उग्र होते हैं तो तुष्टिकरण कार्य करता है।
- कल्याणकारी उपायों से शांति प्राप्त की जा सकती है।
- रोते हुए बच्चों को मिठाइयों से जिस प्रकार शांत किया जाता है, उसी प्रकार कल्याणकारी कार्यों से श्रमिकों को प्रसन्न करना चाहिए।
- जनसंपर्क सिद्धांत यह मानता है कि श्रमिकों एवं अंततः जनता के मस्तिष्क पर एक अच्छा प्रभाव स्थापित करने के लिए कल्याणकारी गतिविधियां प्रदान की जाती हैं।
- स्वच्छ और सुरक्षित कार्य की स्थिति, एक कार्यात्मक कैंटीन, क्रेच, श्रमिकों, आगंतुकों और जनता पर अच्छा प्रभाव डालते हैं।
- कुछ नियोक्ता अपने आगंतुकों को यह दिखाने के लिए भी ले जाते हैं कि वे कर्मचारियों की कल्याणकारी गतिविधियों के लिए कितनी अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं।
- कार्यात्मक सिद्धांत श्रम कल्याण के दक्षता सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है, कार्यात्मक सिद्धांत का तात्पर्य है कि श्रमिकों को अधिक दक्ष बनाने के लिए कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
- यदि श्रमिकों को उचित भोजन दिया जाता है, पर्याप्त वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है, और यदि उनकी कार्य की दशाएँ सहयोगी हैं, तो वे दक्षता पूर्वक कार्य करेंगे।
- कल्याण कार्य श्रम की दक्षता को सुरक्षित, संरक्षित एवं इसमें वृद्धि करने का एक साधन है।
- सामाजिक सिद्धांत सामाजिक सिद्धांत का तात्पर्य है कि एक कारखाना अपने कर्मचारियों की स्थिति में सुधार के अतिरिक्त समाज की स्थितियों में सुधार करने हेतु नैतिक रूप से बाध्य है।
- श्रम कल्याण क्रमिक रूप से एक सामाजिक कल्याण अभ्यास बनता जा रहा है।