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प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन और चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां और अंतःक्षेप और उनके अभिकल्पना और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और अवक्रमण
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प्रसंग
- हाल ही में, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21 का तृतीय संस्करण नीति आयोग द्वारा जारी किया गया था।
o रिपोर्ट का शीर्षक –एसडीजी इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21: पार्टनरशिप इन द डेकेड ऑफ एक्शन है।
- नीति आयोग के पास राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर एसडीजी के अंगीकरणएवं अनुश्रवण में समन्वय स्थापित करने का अधिकार है।
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एसडीजी इंडिया इंडेक्स के बारे में
- यह सतत विकास समाधान नेटवर्क (एसडीएसएन) द्वारा तैयार की गई वार्षिक सतत विकास रिपोर्ट की तर्ज पर नीति आयोग द्वारा 2018 में विमोचित किया गया एक वार्षिक सूचकांक है।
o एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2030 कार्यसूची के अंतर्गत वैश्विक लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जबकि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से समस्वरित है।
- उद्देश्य: नीति आयोग का युगल उद्देश्य-
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- डेटा-संचालित मूल्यांकन के माध्यम से लक्ष्यों पर देश की प्रगति का अनुश्रवण करना, एवं
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मध्य इनकी प्राप्ति हेतु एक सहकारी और प्रतिस्पर्धी भावना को प्रोत्साहन देना।
- रैंकिंग विधि:
o एसडीजी इंडिया इंडेक्स प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए 16 एसडीजी पर लक्ष्य-वार प्राप्तांकों की गणना करता है।
o कुल प्रदर्शन का मापन: कुल मिलाकर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्राप्तांक 16 एसडीजी में इसके प्रदर्शन के आधार पर उप-राष्ट्रीय इकाई पर लक्ष्य-वार स्कोर से उत्पन्न होते हैं ।
o प्राप्तांक 0–100 के मध्य होता है: किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का प्राप्तांक जितना अधिक होगा, लक्ष्य प्राप्ति की दूरी उतनी ही अधिक होगी। 100 का प्राप्तांक 2030 एसडीजी लक्ष्यों की उपलब्धि को दर्शाता है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का वर्गीकरण: एसडीजी इंडिया इंडेक्स पर उनके प्रदर्शन के आधार पर, उन्हें चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
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- आकांक्षी: 0–49
२. प्रदर्शक: 50-64
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- अग्रणी: 65-99
- अचीवर: 100
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एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21:
- भारत में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से विकसित ।
- सूचकांक 115 संकेतकों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का अनुपथन करता है जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एनआईएफ) से संरेखित हैं।
o ये II5 संकेतक लक्ष्य 17 पर गुणात्मक मूल्यांकन के साथ 17 में से 16 एसडीजी को शामिल करते हैं, और 70 एसडीजी लक्ष्यों को आच्छादित करते हैं।
o 2018-19 सूचकांक ने 39 लक्ष्यों और 13 उद्देश्योंं में 62 संकेतकों का उपयोग किया; 2019-20 सूचकांक ने 54 लक्ष्यों और 16 उद्देश्योंं में 100 संकेतकों का उपयोग किया
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एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 का विश्लेषण
- राष्ट्रीय स्तर पर:
o सकारात्मक: देश के समग्र एसडीजी स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ है – 2019 में 60 से 2020-21 में 66 तक, मुख्य रूप से लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) और लक्ष्य 7 ( वहनयोग्य और स्वच्छ ऊर्जा) पर उत्कृष्ट प्रदर्शन से संचालित है।
o निराशाजनक प्रदर्शन: उद्योग, नवाचार और आधारिक संरचना(लक्ष्य 9) साथ ही साथ समुचित कार्य और आर्थिक विकास (लक्ष्य 8) के क्षेत्रों में बड़ी गिरावट आई है।
o वर्तमान में, आकांक्षी और उपलब्धि श्रेणी में कोई राज्य नहीं है; 15 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रदर्शक श्रेणी में हैं और 22 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अग्रणी की श्रेणी में हैं।
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का प्रदर्शन:
o शीर्ष प्रदर्शक राज्य: केरल ने अपनी स्थिति ( प्राप्तांक 72) तत्पश्चात तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश रहे, दोनों ने 72 अंक प्राप्त किया
o शीर्ष प्रदर्शक केंद्र शासित प्रदेश: चंडीगढ़ ने 79 प्राप्तांक के साथ केंद्र शासित प्रदेशों में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा, तत्पश्चात दिल्ली (68) का स्थान है।
o निकृष्ट प्रदर्शन: बिहार (52), झारखंड (56) और असम (57)।
- 2019-20 की तुलना में शीर्ष प्राप्तकर्ता: मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड क्रमशः 12, 10 और 8 अंकों की वृद्धि के साथ।
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एसडीजी इंडिया इंडेक्स का महत्व
- यह एसडीजी पर अनुपथन से संबंधित महत्वपूर्ण अंतराल के अभिनिर्धारण और भारत को अपनी सांख्यिकीय प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता के अभिनिर्धारण में सहायता करता है।
- एक प्रमुख नीति उपकरण के रूप में: वैश्विक एसडीजी संरचना के अनुरूप, विकास कार्यों के माध्यम से केंद्रित नीति संवाद, निर्माण और कार्यान्वयन के लिए कार्य करता है।
- एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 एक ऑनलाइन डैशबोर्ड पर भी जीवन्त है, जिसकी नीति, नागरिक समाज, व्यवसाय और शिक्षा में पार क्षेत्रीय प्रासंगिकता है।
- आगामी उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) जिला एसडीजी सूचकांक: सूचकांक को वर्तमान में नीति आयोग द्वारा एनईआर के लिए जिलों के सूक्ष्म स्तर पर अनुकूलित और विकसित किया जा रहा है।
- साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी प्रगति को मानकीकृत करने, प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के अभिनिर्धारण और अच्छी प्रथाओं को साझा करने में सहायता करके प्रोत्साहित करना है।