कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका
कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था के केंद्र में है, जिसमें लगभग 80% कार्यबल कार्यरत है जो राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। यह अपने एसजीडीपी में लगभग 1/3 का योगदान देता है। यह देश के शीर्ष 5 चावल और गेहूं उत्पादकों में से एक है। यह भारत में सब्जियों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक और फलों का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक है।
यद्यपि, बिहार का कृषि क्षेत्र अनेक बाधाओं और समस्याओं से ग्रस्त है।
- अनिश्चित मानसून पर निर्भरता के कारण समय-समय पर सूखा और बाढ़ आते रहते हैं।
- बाजारों तक अधिगम को सीमित करने वाली अपर्याप्त आधारिक अवसंरचना
- सिंचाई सुविधाओं में निवेश की कमी
- बिजली तक सीमित पहुंच
- अति जनसंख्या और बेरोजगारी
- अपर्याप्त भूमि जोत एवं अपर्याप्त भू अभिलेख
- अपर्याप्त खाद्य प्रसंस्करण और विपणन इकाइयाँ
- अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की अनुपलब्धता
- प्रभावी नीतियों का अभाव
- कीमतों में अत्यधिक हस्तक्षेप
- मंद उर्वरक उद्योग
- संस्थागत ऋण का अभाव
- आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए अनभिगम्यता तथा अनिच्छा
हालांकि, निरक्षरता और क्षेत्र में नवीनतम विकास के बारे में जानकारी का अभाव सर्वाधिक बड़ी बाधा बना हुआ है।
कृषकों की सुविधा के लिए भूमि सुधार, वर्तमान कृषि नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन हेतु संशोधन, भौतिक आधारिक संरचना का निर्माण, ऋण अदायगी से छूट, प्राथमिक क्षेत्र को ऋण (पीएसएल), ट्रैक्टरों को पट्टे पर देना जैसे उपाय पहले से ही स्थित हैं। कृषि उत्पादन में सुधार के लिए स्मार्ट कृषि यांत्रिकी और सूक्ष्म सिंचाई उपयोगी सिद्ध हुई है।
सूचनाओं तक अधिगम एवं विशेषज्ञों से परामर्श कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए एक लंबा मार्ग तय कर सकता है। परिष्कृत कृषि जिसका तात्पर्य सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए कृषि से संबद्ध नियंत्रणीय कारकों के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना है।
https://www.adda247.com/upsc-exam/geospatial-technologies-in-water-sector-hindi/
सूचना को किसानों तक पहुँचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के कुछ नवीनतम विकासों का उपयोग इस प्रकार है:-
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना-कृषि (एनईजीपी-ए), सरकार की एक मिशन मोड परियोजना, किसानों को एम किसान पोर्टल, किसान पोर्टल, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) फसल बीमा पोर्टल, एग मार्केट पोर्टल, आदि जैसे विभिन्न पोर्टलों के माध्यम से कृषि से संबंधित नवीनतम जानकारी तक पहुंचने में सहायता करती है।
- किसान सुविधा, पूसा कृषि जैसे मोबाइल ऐप मौसम, आगत वितरकों, बाजार मूल्य, पौधों की सुरक्षा, विशेषज्ञ परामर्श पर प्रासंगिक जानकारी सुगमता से उपलब्ध कराते हैं।
- थोक बाजार में वस्तुओं की उपलब्धता और कीमतों के बारे में सभी सूचनाओं का प्रसार करने के लिए बाजार अनुसंधान और सूचना नेटवर्क (एमआरआईएन) योजना।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) परियोजना कृषकों को चक्रवात, ओलावृष्टि आदि जैसी चरम घटनाओं के लिए एसएमएस अलर्ट भेजती है।
- 25 कृषि वस्तुओं में व्यापार के लिए नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) सॉफ्टवेयर व्यापार में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
- मौसम संबंधी सूचनाओं के तीव्र गति से प्रसार के लिए संपूर्ण देश में आईएसएसओ-आईएमडी द्वारा स्वचालित मौसम स्टेशनों (एडब्ल्यूएस) की स्थापना।
राज्य की लगभग 90% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, कृषि उत्पादन में सुधार और संबंधित ग्रामीण गैर-कृषि गतिविधि आजीविका में सुधार और निर्धनता में कमी लाने हेतु महत्वपूर्ण है। इष्टतम कृषि उत्पादकता प्राप्त करना, उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग करके मृदा, जल, बीज, उर्वरक, सूर्य प्रकाश जैसे सभी कारकों को वैज्ञानिक रूप से संयोजित करने की एक कला है।
सभी सीमाओं के बावजूद, बिहार कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर है एवं यदि उसे अपने उत्थान और कल्याण के लिए बेहतर अवसर सृजित करने के लिए अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है तो वह अग्रणी नेतृत्व कर सकता है।
https://www.adda247.com/upsc-exam/important-prelims-articles-23rd-july-2021hindi/