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आकाश मिसाइल
प्रसंग
- हाल ही में, आकाश (आकाश-एनजी) की एक नवीन पीढ़ी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का डीआरडीओ द्वारा हवाई रक्षा क्षमताओं को प्रोत्साहन देने के लिए ओडिशा तट से एक एकीकृत परीक्षण केंद्र से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया था।
- आकाश मिसाइल (आकाश-एनजी) के नवीन संस्करण में मूल संस्करण की तुलना में थोड़ी उन्नत मारक क्षमता है।
मुख्य बिंदु
- आकाश मिसाइलके बारे में
- यह भारत की प्रथम स्वदेश निर्मित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जो अनेक दिशाओं से कई लक्ष्यों पर प्रहार कर सकती है।
- यह ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक गति से लक्ष्य पर प्रहार कर सकता है और 18 किमी की ऊंचाई और 30 मीटर जितनी कम ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
- इसे भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के भाग के रूप में डीआरडीओ द्वारा अभिकल्पित एवं विकसित किया गया है, जिसमें नाग, अग्नि, त्रिशूल और पृथ्वी जैसी अन्य मिसाइलें भी सम्मिलित हैं।
- इसे ट्रैक और पहिएदार प्लेटफॉर्म दोनों से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- इसे 18 से 30 किमी की दूरी से दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को बीच में ही मार गिराने के लिए अभिकल्पित किया गया है।
- इसकी मारक क्षमता 25 किमी है और यह 60 किलोग्राम आयुध ले जाने में सक्षम है।
अतिरिक्त सूचना
- एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP): 1982-83 में प्रारंभ हुआ एवं 2008 में पूर्ण हुआ।
- यह मिसाइलों के व्यापक परिसर के अनुसंधान और विकास के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय का कार्यक्रम था। इसका प्रबंधन डीआरडीओ द्वारा किया जाता है।
- यह प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मस्तिष्क की रचना( आविष्कार) थी।
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आधुनिक कला की राष्ट्रीय दीर्घा (एनजीएमए)
प्रसंग
- केंद्र सरकार अगले व्हाट्सएप 75वें स्वतंत्रता दिवस (जिसे आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जाना है) के उपलक्ष्य में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) को नवीकृत और पुनर्गठित करने की योजना बना रही है।
मुख्य बिंदु
- इसे 1954 में जयपुर हाउस, नई दिल्ली में स्थापित किया गया था।
- यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में संचालित एवं प्रशासित किया जाता है। नई दिल्ली में मुख्य संग्रहालय 1954 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था, जिसके बाद की शाखाएं मुंबई और बैंगलोर में थीं।
- उद्देश्य:
- 1850 के दशक के पश्चात से समकालिक कला के कार्यों को परिगृहीत और संरक्षित करना और इसे वैश्विक दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करना जो उस समय के प्रति समझ और संवेदनशीलता उत्पन्न करेगा जिसने भारत में समकालीन कला को आकार देने में सहायता की।
- संस्थान समकालीन भारतीय कला को उसके विभिन्न रूपों में प्रोत्साहित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मंचों पर सहयोग एवं सहभागिता सुनिश्चित करना तथा भारतीय कला और कलाकारों को व्यापक वैश्विक दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करना।
- 2020 में, एनजीएमए ने कोविड-19 के प्रकोप के दौरान अपने दर्शकों तक पहुंचने के लिए ऑनलाइन नैमिशा 2020- ग्रीष्म कला का आयोजन किया।
- नैमिशा 2020 प्रतिभागियों और कला के प्रति उत्साही व्यक्तियों को अभ्यास करने वाले कलाकारों से सृजना और सीखने का अवसर उपलब्ध कराने की एक पहल है।
- सोहम: यह एनजीएमए के ध्वज तले भारत का प्रथम सांस्कृतिक मीडिया मंच है। इसका उद्देश्य एनजीएमए, कलाकारों और कला के प्रति उत्साही व्यक्तियों के मध्य संवाद विकसित करना है।
- सोहम का वैदिक दर्शन: किसी के अभिज्ञान एवं ब्रह्मांड से उसके संबंध से तात्पर्यित है।
न्यू शेफर्ड रॉकेट
प्रसंग
- अमेजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जेफ बेजोस, अपने ब्लू ओरिजिन रॉकेट यान, न्यू शेफर्ड में अंतरिक्ष की एक छोटी यात्रा पर गए।
मुख्य बिंदु
- कुछ ही मिनटों में, अंतरिक्ष यात्रियों ने कर्मन रेखा – पृथ्वी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अंतरिक्ष सीमा को पार कर लिया।
- 10 मिनट, 10 सेकंड की उड़ान के बाद कैप्सूल वापस नीचे आ गया।
न्यू शेफर्ड क्या है?
- यह अंतरिक्ष पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए ब्लू ओरिजिन द्वारा निर्मित एक रॉकेट प्रणाली है।
- इसका नाम अंतरिक्ष में पहुंचने वाले प्रथम अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलन शेफर्ड के नाम पर रखा गया है।
- यह पृथ्वी से 100 किमी से अधिक की दूरी तय कर सकता है और नीतभार को भी समायोजित कर सकता है।
- यह ऊर्ध्वाधर उड़ान एवं ऊर्ध्वाधर अवतरण अंतरिक्ष यान के साथ पूर्ण रूप से पुन: प्रयोज्य प्रणाली है।
- कैप्सूल में अधिकतम छह व्यक्ति हो सकते हैं।
- गति को आधा करने के लिए अवरोहण पर एयर ब्रेक लगाए जाते हैं।
मिशन का महत्व
- इस उप-कक्षीय मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देना है।
- चरम उद्देश्य सभी भारी उद्योगों, सभी प्रदूषणकारी उद्योगों को ले कर अंतरिक्ष में ले जाना तथा पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त रखना है।
- यह शैक्षणिक अनुसंधान, निगमित प्रौद्योगिकी विकास, उद्यमशीलता उपक्रम इत्यादि जैसे उद्देश्यों हेतु भी है।
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हरित हाइड्रोजन संयंत्र
प्रसंग
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) ऊर्जा के स्वच्छ रूपों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा में भारत का प्रथम ‘ग्रीन हाइड्रोजन‘ संयंत्र स्थापित कर रहा है।
मुख्य बिंदु
- यह संयंत्र भारत का प्रथम हरित हाइड्रोजन संयंत्र होगा। पूर्व की परियोजनाएं प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने वाली थीं।
यद्यपि हाइड्रोजन स्वयं में एक स्वच्छ ईंधन है, किंतु इसका निर्माण ऊर्जा-गहन है और इसमें कार्बन उप-उत्पाद होते हैं।
- विभिन्न हाइड्रोजन ईंधन
- ब्राउन हाइड्रोजन कोल गैसीकरण के माध्यम से निर्मित किया जाता है जबकि ग्रे हाइड्रोजन के उत्पादन की प्रक्रिया कार्बन अपशिष्ट उत्सर्जित करती है।
- ब्लू हाइड्रोजन ग्रे हाइड्रोजन के निर्माण में उत्पादित हरित गृह गैसों के लिए कार्बन प्रग्रहण तथा संग्रहण का उपयोग करता है।
- हरित हाइड्रोजन उत्पादन – सर्वाधिक स्वच्छ हाइड्रोजन संसाधन – हाइड्रोजन ईंधन निर्माण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है।
- हरित हाइड्रोजन कार्बन उत्सर्जक ईंधनों को प्रतिस्थापित करेगा जिनका उपयोग मथुरा रिफाइनरी में कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे मूल्य वर्धित उत्पादों में संसाधित करने के लिए किया जाता है।
- विभिन्न एजेंसियों के पूर्वानुमानों के अनुसार भारत में ईंधन की मांग में 2040 तक 400-450 मिलियन टन तक वृद्धि होगी।
- यह सभी प्रकार की ऊर्जा को सह-अस्तित्व के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता है। मांग में वृद्धि ने परिष्करण विस्तार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संपीड़ित प्राकृतिक गैस, एलएनजी, बायोडीजल और इथेनॉल में फुटप्रिंट का विस्तार करना अनिवार्य बना दिया है।