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सतत पर्यावास के लिए लक्ष्य: ऊर्जा दक्षता निर्माण में नई पहल 2021
प्रसंग
- केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता की दिशा में विभिन्न पहलों की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा पहल का प्रारंभ किया गया है।
- निर्माण क्षेत्र उद्योग के बाद विद्युत का दूसरा सर्वाधिक बड़ा उपभोक्ता है, किंतु इसके 2030 तक सर्वाधिक बड़ा ऊर्जा उपभोग करने वाला क्षेत्र बनने की संभावना है।
- ये पहल अर्थव्यवस्था में, विशेष रूप से भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता में वृद्धि के निरंतर प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए आरंभ की गई हैं।
आरंभ किए गए प्रमुख पहल:
- निर्माण पुरस्कार: (नेशनल एनर्जी एफिशिएंसी रोडमैप फॉर मूवमेंट टु अफोर्डेबल एंड नेचुरल हैबिटेट) अवार्ड विशिष्ट रूप से दक्ष भवन डिजाइनों को प्रोत्साहित करने हेतु आरंभ किया जा रहा है।
- पारिस्थितिकी निवास संहिता 2021: भवन सेवाओं और सत्यापन ढांचे के लिए संहिता अनुपालन दृष्टिकोण तथा न्यूनतम ऊर्जा निष्पादन आवश्यकताओं को विनिर्दिष्ट करना।
- वेब-आधारित प्लेटफॉर्म ‘द हैंडबुक ऑफ रेप्लिकेबल डिजाइन फॉर एनर्जी एफिशिएंट रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स‘ एक अभिगम उपकरण के रूप में है, जिसका उपयोग भारत में ऊर्जा दक्ष आवासों के निर्माण के लिए प्रतिकृति डिजाइन के उपयोग हेतु तैयार (रेडी-टू-यूज) संसाधनों का एक पूल निर्मित करने के लिए किया जा सकता है।
- निर्माण सामग्री की एक ऑनलाइन निर्देशिका निर्मित करना जो ऊर्जा दक्ष निर्माण सामग्री के लिए मानक स्थापित करने की प्रक्रिया की परिकल्पना करेगी।
- ऊर्जा दक्षता में सुधार और व्यक्तिगत घरों में ऊर्जा के उपयोग में कमी लाने के लिए निर्मित किए गए ऊर्जा दक्ष घरों के लिए ऑनलाइन स्टार रेटिंग टूल। यह पेशेवरों को अपने घरों की ऊर्जा दक्षता के लिए सर्वोत्तम विकल्प के चयन में सहायता करने के लिए निष्पादन विश्लेषण उपलब्ध कराता है।
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) 2017 और पारिस्थितिकी निवास संहिता (ईएनएस) 2021 पर 15,000 से अधिक वास्तुकारों, इंजीनियरों और सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
अतिरिक्त सूचना
- बीईई की स्थापना 2002 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधान के अंतर्गत की गई थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य अधिनियम के समग्र ढांचे के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा गहनता को कम करना था।
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मानस राष्ट्रीय उद्यान
प्रसंग
- मानस व्याघ्र अभयारण्य में प्रथम बार इस वर्ष किए गए 12वें वार्षिक कैमरा प्रग्रहण सर्वेक्षण में बाघों की संख्या में भारी वृद्धि अंकित की गई है।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय उद्यान ने 20 वर्षों में बाघों की संख्या 0 से 48 होने की सूचना दी है।
- विद्रोहियों द्वारा प्रायः किए जाने वाले विनाश और अवैध शिकार ने राष्ट्रीय उद्यान से बाघों को समाप्त कर दिया।
- वयस्क बाघों की संख्या में इस 3 गुना वृद्धि ने देश में बाघ संरक्षण में राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया है।
- मानस विश्व भर के उन कुछ संरक्षित क्षेत्रों में से एक है, जिन्होंने 2020 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने के वैश्विक लक्ष्य को सफलतापूर्वक अंकित एवं प्राप्त किया है।
- विगत वर्ष, उत्तर प्रदेश में पीलीभीत व्याघ्र अभयारण्य ने 2014 में 25 से 2018 में 65 तक केवल चार वर्षों में बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, टीएक्स 2 जीता था।
अतिरिक्त सूचना
- मानस राष्ट्रीय उद्यान असम में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य, एक व्याघ्र अभयारण्य एवं एक हाथी अभयारण्य भी है।
- यह एक जैवमंडल निचय भी है और यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल भी है।
- यह हिमालय की तलहटी में अवस्थित है और यह भूटान में रॉयल मानस नेशनल पार्क से सन्निहित है।
- मानस नदी, ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी, उद्यान के पश्चिम में प्रवाहित होती है।
भारत असमानता रिपोर्ट 2021
प्रसंग
- हाल ही में “इंडिया इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2021: इंडियाज अनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी“ शीर्षक से एक ऑक्सफैम इंटरनेशनल रिपोर्ट विमोचित की गई।
- निष्कर्ष मुख्य रूप से राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के तृतीय एवं चतुर्थ दौर के माध्यमिक विश्लेषण और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के विभिन्न दौरों पर आधारित हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- अधिकांश स्वास्थ्य निर्धारकों, अंतःक्षेपों और संकेतकों पर असमानता:
- जाति निर्धारक: सामान्य वर्ग एससी और एसटी की तुलना में बेहतर स्थिति में है,
- धार्मिक निर्धारक: मुस्लिमों की तुलना में हिंदू बेहतर स्थिति में है,
- वर्ग निर्धारक: संपन्न, निर्धनों की तुलना में बेहतर स्थिति में है,
- लिंग निर्धारक: पुरुष महिलाओं की तुलना में बेहतर स्थिति में है,
- ग्रामीण-शहरी विभाजन: ग्रामीण आबादी की तुलना में शहरी आबादी बेहतर स्थिति में है।
- साक्षरता: यद्यपि विगत कुछ वर्षों में महिला साक्षरता में प्रगति हुई है किंतु, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की महिलाएं सामान्य वर्ग से क्रमश: 18.6% और 27.9% पीछे हैं।
- मुस्लिमों में महिला साक्षरता दर (64.3%) सभी धार्मिक समूहों की तुलना में कम है।
- स्वच्छता तक पहुंच:
- 65.7% सामान्य श्रेणी के घरों में बेहतर, गैर-साझा स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच है, जबकि अनुसूचित जाति के परिवार 28.5 पीछे हैं और एसटी उनके पीछे 39.8% हैं।
- शीर्ष 20% में 93.4% घरों में उन्नत स्वच्छता तक पहुंच है, जबकि अंतिम 20% में मात्र 6% के पास पहुंच, 87.4% का अंतर है।
- संस्थागत प्रसव का हिस्सा: 2005-06 में 38.7% से बढ़कर 2015-16 में 78.9% हो गया।
- असमानता: एसटी परिवारों में संस्थागत प्रसव का हिस्सा सामान्य वर्ग से 15% कम, मुस्लिमों में हिंदुओं से 12% और सर्वाधिक निर्धन एवं सर्वाधिक समृद्ध 20% आबादी के मध्य 35% का अंतर है।
- टीकाकरण के अंश में असमानता: 55.8% पर अनुसूचित जनजाति के परिवार अभी भी राष्ट्रीय औसत से 6.2% कम हैं, और मुस्लिमों की दर 55.4% पर समस्त सामाजिक-धार्मिक समूहों में न्यूनतम है।
- जीवन प्रत्याशा:
- वर्ग निर्धारक: अंतिम 20% परिवारों के लिए 65.1 वर्ष, जबकि शीर्ष 20% के लिए यह 72.7 वर्ष है।
- जाति निर्धारक: औसतन, एक उच्च जाति की महिला एक दलित महिला की तुलना में 15 वर्ष अधिक जीवित रहती है।
अतिरिक्त सूचना
- ऑक्सफैम इंटरनेशनल के बारे में: यह 1995 में गठित स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठनों का एक समूह है। इसका उद्देश्य दक्षता को अधिकतम करना और वैश्विक निर्धनता तथा अन्याय को कम करने के लिए अधिक प्रभाव प्राप्त करना है।
- ऑक्सफैम अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय नैरोबी, केन्या में स्थित है।
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आरबीआई की डेटा स्थानीयकरण नीति
प्रसंग
- हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 22 जुलाई, 2021 से मास्टर कार्ड को भारत में ग्राहकों को नए डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध आरोपित कर दिया है।
- आरबीआई के अनुसार, यूएस कार्ड जारीकर्ता (मास्टर कार्ड) 2018 में केंद्रीय बैंक द्वारा घोषित स्थानीय डेटा संग्रहण नियमों के अनुपालन में विफल रहा है।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि: आरबीआई ने अप्रैल 2018 में ‘भुगतान प्रणाली डेटा के संग्रहण’ पर एक निर्देश जारी किया था।
- आरबीआई ने विदेशी कार्ड कंपनियों जैसे वीज़ा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस को समस्त भारतीय ग्राहक डेटा को स्थानीय रूप से संग्रहित करने का आदेश दिया।
- मास्टरकार्ड, एनपीसीआई, वीज़ा, इत्यादि भुगतान प्रणाली संचालक हैं जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के अंतर्गत देश में कार्ड नेटवर्क संचालित करने के लिए अधिकृत हैं।
- पीएसएस अधिनियम के अंतर्गत, भारत में भुगतान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण का प्राधिकार आरबीआई के पास है।
- आरबीआई के डेटा स्थानीयकरण मानदंड:
- इसने सभी सिस्टम प्रदाताओं को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी थी कि छह माह की अवधि के भीतर, उनके द्वारा संचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित संपूर्ण डेटा मात्र भारत में एक सिस्टम में संग्रहीत किया जाए।
- डेटा में संपूर्ण संव्यवहार विवरण, संदेश/भुगतान निर्देश के भाग के रूप में एकत्रित / अग्रनीत / संसाधित सूचनाएं सम्मिलित होनी चाहिए।
- उन्हें आरबीआई को अनुपालन रिपोर्ट करने और एक कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल) – इंडिया (सीईआरटी-आईएन) पैनलबद्ध लेखा परीक्षक द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर बोर्ड द्वारा अनुमोदित सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की भी अनिवार्यता थी।
- विनियमन का उद्देश्य:
- राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा संप्रभुता सुनिश्चित करने हेतु।
- देश के नागरिकों और निवासियों की व्यक्तिगत और वित्तीय सूचनाओं को विदेशी निगरानी से सुरक्षित करने हेतु।
- स्थानीय सरकारों और नियामकों को आवश्यकता पड़ने पर डेटा की मांग करने का अधिकार क्षेत्र प्रदान करना।
- भुगतान सेवा संचालकों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करना।
- इन सिस्टम प्रदाताओं के पास संग्रहीत डेटा तक उन्मुक्त पर्यवेक्षी अधिगम।