प्रसंग
- हाल ही में, जीएसएलवी-एफ 10 रॉकेट भू-प्रेक्षण उपग्रह (ईओएस-03) की कक्षा में स्थापित करने के अपने मिशन के मध्य में ही विफल हो गया।
- इसरो के अनुसार, निम्नतापी उच्च स्तर (क्रायोजेनिक अपर स्टेज) प्रज्वलन तकनीकी विसंगति के कारण संभव नहीं हुआ जिसके कारण मिशन विफल हो गया।
- यहां यह ध्यातव्य है कि जीएसएलवी-एफ 10 में क्रायोजेनिक इंजन मूल रूप से रूसी डिजाइन का है, जीएसएलवी मार्क III रॉकेट के विपरीत, जो स्वदेशी है।
- जीएसएलवी-एफ 10 के बारे में: यह त्रि- चरणीय इंजन संचालित रॉकेट था, जिसमें प्रथम ठोस ईंधन था एवं चार संग्रंथित (स्ट्रैप-ऑन) मोटर्स तरल ईंधन द्वारा; द्वितीय तरल ईंधन; एवं तृतीय क्रायोजेनिक इंजन था।
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मुख्य बिंदु
- जीएसएलवी रॉकेट के बारे में: यह इसरो द्वारा विकसित त्रि- चरणीय वजनी उत्थापक (लिफ्ट) प्रक्षेपण यान है। वे भारत द्वारा विकसित सर्वाधिक बृहद प्रक्षेपण यान हैं।
- जीएसएलवी रॉकेटों का विकास 2000 की दशक के आरंभ में हुआ, जिसमें 2009-2010 हेतु प्रथम प्रक्षेपण की योजना बनाई गई थी।
- एक भू तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) रॉकेट में तीन चरण होते हैं-
अनिश्चित काल के लिए स्थगन/एडजर्नमेंट साइन डाई
- प्रथम चरण: एक ठोस रॉकेट मोटर एवं चार तरल संग्रंथित होते हैं।
- द्वितीय चरण: विकास इंजन/इंजन (तरल ईंधन से चलने वाले रॉकेट इंजनों की एक श्रेणी, जिसे 1970 के दशक में तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर) द्वारा परिकल्पित एवं अभिकल्पित किया गया था) सम्मिलित हैं।
- तृतीय चरण: स्वदेशी रूप से विकसित (तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र द्वारा) क्रायोजेनिक इंजन सम्मिलित है।
- जीएसएलवी मार्क-द्वितीय रॉकेट: यह चतुर्थ पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है।
- नीतभार (पेलोड) ले जाने की क्षमता: यह 2500 किलोग्राम उपग्रह को भू-तुल्यकालिक कक्षा में और 5000 किलोग्राम उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर सकता है।
- प्रथम सफल प्रक्षेपण: जीएसएलवी- डी 5 (2014 में प्रक्षेपित) स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करते हुए जीएसएलवी मार्क-II की प्रथम सफल उड़ान थी।
- जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट: यह भारत के पास सर्वाधिक सक्षम प्रक्षेपण यान है। इसके तीन चरणों में ठोस अभिवर्धक (बूस्टर), तरल मोटर एवं क्रायोजेनिक उच्च स्तर सम्मिलित हैं।
- नीतभार ले जाने की क्षमता: यह 4 टन के संचार उपग्रह को भू तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में एवं 10 टन वजनी उपग्रह को भू निम्न कक्षा (लिओ) में स्थापित करने में सक्षम है।
- प्रथम सफल उड़ान: दिसंबर, 2014 में ली गई जब इसने चालकदल उपयान (क्रू मॉड्यूल) को 120 किमी की ऊंचाई तक सफलतापूर्वक ले गया।
- जीएसएलवी मार्क-III द्वारा कुछ सफल उड़ानें:
- केयर (क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री मिशन), दिसंबर 2014।
- जीसैट – 19 मिशन, जून 2017 में प्रक्षेपित किया गया।
- जीसैट – 29 मिशन, नवंबर 2018 में प्रक्षेपित किया गया।
- चंद्रयान 2 मिशन, 2019।