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प्रासंगिकता
जीएस 1: जनसंख्या और संबंधित मुद्दे। शहरीकरण, उनकी समस्याएं और उनके उपाय।
प्रसंग
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में शहरी माल ढुलाई की दक्षता में सुधार करने के उद्देश्य से फ्रेट स्मार्ट शहरों के लिए योजनाओं का अनावरण किया है और इस प्रकार, सम्भारिकी लागतों को कम करने का अवसर सृजित किया है।
मुख्य बिंदु
- मंत्रालय ने फ्रेट स्मार्ट शहरोंका विकास करने के लिए रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई), जर्मनी और आरएमआई इंडिया के साथ सहयोग किया है।
- सबसे पहले, राज्य सरकार 10 शहरों को फ्रेट स्मार्ट शहरोंके रूप में विकसित करने हेतु अभिनिर्धारित करेगी। तत्पश्चात, इसे अगले चरण में 75 शहरों में विस्तारित किया जाएगा और पुनः इसे संपूर्ण देश में लागू किया जाएगा।
- एक नगरीय स्तर सम्भारिकी समिति का गठन किया जाएगा। इन समितियों में स्थानीय, राज्य और केंद्र तीनों स्तरों पर संबंधित सरकारी विभाग और एजेंसियां होंगी।
- ये समितियां सम्भारिकी सेवाओं से निजी क्षेत्र और सम्भारिकी सेवाओं के उपयोगकर्ताओं का भी गठन करेंगी।
- ये समितियां स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन सुधार के कदमों को लागू करने के लिए नगरीय सम्भारिकी योजनाओं का सह-निर्माण करेंगी।
क्यों आवश्यक है
- अगले 10 वर्षों में शहरी माल ढुलाई की मांग में अनुमानित 140% की वृद्धि का अनुमान है ।
- भारतीय शहरों में अंतिम मील माल ढुलाई, हमारे देश की बढ़ती ई-कॉमर्स आपूर्ति श्रृंखलाओं में कुल सम्भारिकी लागत के 50 प्रतिशत के लिए उत्तरदायी है।
- नगरीय सम्भारिकी में सुधार से कुशल माल ढुलाई सक्षम होगी और सम्भारिकी लागत कम होगी, इस प्रकार अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को अभिवर्धन मिलेगा
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भारत के सम्भारिकी क्षेत्र के मुद्दे
- हमारी सम्भारिकी, वर्तमान में, सड़क मार्ग पर अत्यधिक निर्भर है, जो मौसम और ईंधन के मूल्यों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
- भारत में सम्भारिकी लागत उत्पाद का 13-15% है जबकि वैश्विक औसत 6% है।
- परिवहन नेटवर्क, आईटी और वितरण सुविधाओं को एकीकृत करने में असमर्थता।
- अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम अनावश्यक विलंब का कारण बन रहे हैं।
- हमारा सम्भारिकी क्षेत्र काफी हद तक मानव शक्ति पर निर्भर है, जो अल्प-प्रशिक्षित और अकुशल दोनों हैं।
- रेलवे के माध्यम से माल ढुलाई, चुनौतीपूर्ण है।भारतीय रेलवे में परिचालित होने वाली कुल ट्रेनों में से मात्र एक तिहाई मालगाड़ियां हैं, किंतु यह कुल राजस्व का 65% गठित करता है।
सम्भारिकी क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने के कारण सम्भारिकी लागत पूर्व की तुलना में अधिक परिशुद्ध हो गई है।
- भारतमाला और सागरमाला जैसी अनेक योजनाओं का उद्देश्य देश में सम्भारिकी क्षेत्र में सुधार करना है।
- पूर्व-पश्चिम डीएफसी, उत्तर-दक्षिण डीएफसी जैसे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना।
- जीएसटी को लागू करने से विनियामक अनुपालन में कमी आई है। यह माल भण्डारण स्थलों में परिवर्तन और परिवहन लागत में एक कमी सुनिश्चित करेगा।
- मेक-इन इंडिया कार्यक्रम विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें उच्च सम्भारिकी निर्भरता है।
- इस क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए सम्भारिकी को अवसंरचना चिह्नक प्रदान करना।
- वित्त वर्ष 2020 के अंत में, भारतीय जलयानों के लिए औसत टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) 2014-15 में बेहतर होकर 4 दिनों से 2.1 हो गया, जबकि वैश्विक औसत 0.97 था।