Home   »   13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर...   »   13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर...

13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर डीपीआर

विस्तृत परियोजना रिपोर्ट: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप  तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर डीपीआर_3.1

13 नदियों पर डीपीआर: संदर्भ

  • हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय ने वानिकी अंतःक्षेपों के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की है।

 

13 नदियों पर डीपीआर: प्रमुख बिंदु

  • 13 नदियां: जिन 13 नदियों के लिए डीपीआर जारी किए गए हैं उनमें झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा तथा कावेरी शामिल हैं।
  • डीपीआर को राष्ट्रीय वनीकरण  एवं पारिस्थितिकी विकास बोर्ड, (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा वित्त पोषित किया गया था एवं भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद ( इंडियन काउंसिल आफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन/आईसीएफआरई), देहरादून द्वारा तैयार किया गया था।
  • तेरह नदियाँ सामूहिक रूप से एक बेसिन क्षेत्र को आच्छादित करती हैं जो देश के 45% भौगोलिक क्षेत्र को कवर करती है।

 

डीपीआर के बारे में

  • नदियों के साथ-साथ उनकी सहायक नदियों को प्राकृतिक परिदृश्य, कृषि परिदृश्य एवं शहरी परिदृश्य जैसे विभिन्न परिदृश्यों के अंतर्गत नदियों के परिदृश्य में वानिकी अंतःक्षेप  हेतु प्रस्तावित किया गया है।
  • लकड़ी की प्रजातियों, औषधीय पौधों, घास, झाड़ियों तथा ईंधन, चारे  एवं फलों के वृक्षों सहित वानिकी वृक्षारोपण के विभिन्न मॉडलों का उद्देश्य जल संवर्धन, भूजल पुनर्भरण करना तथा क्षरण को रोकना है।
  • विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के आधार पर जीआईएस तकनीक द्वारा समर्थित नदी परिदृश्य (रिवरस्केप) में प्राथमिकता वाले स्थलों के उपचार के लिए  मृदा एवं नमी संरक्षण  तथा घास, जड़ी-बूटियों, वानिकी  एवं उद्यान कृषि संबंधी वृक्षों के रोपण के संदर्भ में स्थल विशिष्ट उपचार प्रस्तावित किए गए हैं।
  • प्रत्येक डीपीआर में चित्रित रिवरस्केप का विस्तृत भू-स्थानिक विश्लेषण, नदी के पर्यावरण पर विस्तृत समीक्षा, वर्तमान स्थिति के लिए उत्तरदायी कारक  एवं सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) तथा जीआईएस तकनीकों का उपयोग करके क्षेत्रों की प्राथमिकता शामिल है।
  • फोकस: डीपीआर संरक्षण, वनीकरण, जलग्रहण उपचार, पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना, नमी संरक्षण, आजीविका सुधार, आय सृजन, नदी के किनारों, जैव उद्यानों (इको-पार्कों) को विकसित करके पारिस्थितिकी पर्यटन एवं जनता के  मध्य जागरूकता लाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • नोडल एजेंसी: डीपीआर को राज्य वन विभागों के माध्यम से नोडल विभाग के रूप में तथा राज्यों में अन्य लाइन विभागों की योजनाओं के अभिसरण के साथ डीपीआर में प्रस्तावित गतिविधियों  एवं भारत सरकार से वित्त पोषण सहायता के माध्यम से निष्पादित किए जाने की  संभावना है।
  • समय सीमा: वृक्षारोपण के रखरखाव हेतु अतिरिक्त समय के प्रावधान के साथ उपचार को पांच  वर्ष की अवधि में परिव्याप्त होना प्रस्तावित है।
  • मुद्रास्फीति समायोजित: परियोजना के प्रारंभ में विलंब के संदर्भ में, डीपीआर के प्रस्तावित परिव्यय को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का उपयोग करके समायोजित किया जाएगा क्योंकि परियोजना परिव्यय की गणना 2019-20 के दौरान प्रचलित लागतों के अनुसार की गई थी।
  • रिज टू वैली एप्रोच: निष्पादन के दौरान, “रिज टू वैली एप्रोच” का अनुसरण किया जाएगा एवं मृदा तथा नमी संरक्षण कार्य वृक्षारोपण कार्यों से पूर्व संपादित किए जाएंगे।

13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर डीपीआर_4.1

डीपीआर के लाभ

  • पर्यावरणीय लाभ: डीपीआर में प्रस्तावित गतिविधियों से गैर-इमारती वन उत्पादों के रूप में लाभ के अतिरिक्त हरित आवरण में वृद्धि करने, मृदा के कटाव, पुनर्भरण  जल स्तर एवं सीक्वेस्टर कार्बन डाइऑक्साइड के संभावित लाभों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
  • वनावरण में वृद्धि: वानिकी के अंतःक्षेप से 13 नदियों के परिदृश्य में संचयी वन क्षेत्र में 7,417.36 वर्ग वर्ग किमी की वृद्धि होने की संभावना है।
  • कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: प्रस्तावित अंतःक्षेपों से 10 वर्ष पुराने वृक्षारोपण में 50.21 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य एवं 20 वर्ष पुराने वृक्षारोपण में 74.76 मिलियन टन  समतुल्य कार्बन डाइऑक्साइड  को पृथक करने में सहायता मिलेगी।
  • भूजल पुनर्भरण: तेरह नदियों के परिदृश्य में प्रस्तावित अंतःक्षेप से भूजल पुनर्भरण में 1,889.89 मिलियन m3 प्रतिवर्ष की सीमा तक सहायता मिलेगी, एवं अवसादन में 64,83,114 m3 प्रतिवर्ष की कमी होगी।
  • आर्थिक लाभ: इसके  अतिरिक्त, अपेक्षित गैर-काष्ठ  एवं अन्य वन उपज से 449.01 करोड़ रुपये उत्पन्न होने की संभावना है। यह भी अपेक्षा है कि 13 डीपीआर में प्रावधान के अनुसार नियोजित गतिविधियों के माध्यम से 344 मिलियन मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा।

 

मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में गिरावट | भारत के रजिस्ट्रार जनरल आई-स्प्रिंट’21 एवं इनफिनिटी फोरम 2021| ग्लोबल फिनटेक भारत की आर्कटिक नीति आरबीआई ने सूक्ष्म वित्त ऋण हेतु दिशा-निर्देश, 2022 जारी किए
पीएलएफएस त्रैमासिक बुलेटिन अप्रैल-जून 2021 भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) | ट्राई के बारे में, संरचना, निष्कासन एवं प्रमुख उद्देश्य संपादकीय विश्लेषण: खंडित विश्व व्यवस्था, संयुक्त राष्ट्रसंघ डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की सूची
ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (जीईएम) रिपोर्ट विभिन्न बसाव प्रतिरूप कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान जेंडर संवाद: ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तीसरे संस्करण का आयोजन किया 

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *