दैनिक समाचार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी को गति प्रदान करेंगे एवं ये समसामयिक विषयों को व्यापक रूप से समझने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां हमने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इत्यादि समेत विभिन्न श्रेणियों से संबंधित अधिकांश प्रसंगों को समाविष्ट किया है।
1. अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 2021
समाचारों में क्यों है?
खेल एवं स्वास्थ्य का उत्सव मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु हैं:
– यह अवसर उस दिन का प्रतीक है जब 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की गई थी।
– इस दिवस का उद्देश्य खेलों को प्रोत्साहन देना एवं खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है।
– आधुनिक समय के ओलंपिक खेलों की उत्पत्ति ओलंपिया, ग्रीस में 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है।
– बैरन पियरे डी कोबर्टिन ने 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की स्थापना की एवं ओलंपिक खेलों की नींव रखी।
– प्रथम ओलंपिक दिवस 1948 में मनाया गया था। इस दिन को ओलंपिक की अवधारणा को बढ़ावा देने एवं खेलों में अधिक से अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस: महत्व
– इस दिन को ओलंपिक खेलों में अधिक से अधिक लोगों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने एवं इस आयोजन के बारे में जागरूकता फैलाने एवं ओलंपिक आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
– तीन स्तंभों के आधार पर – “मूव”, “लर्न” एवं “डिस्कवर” – राष्ट्रीय ओलंपिक समितियां आयु, लिंग, सामाजिक पृष्ठभूमि, अथवा खेल क्षमता के निरपेक्ष भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए खेल, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक गतिविधियों को प्रसारित कर रही हैं।
– कुछ देशों में, इस कार्यक्रम को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जबकि कई एनओसी ने हाल के वर्षों में ओलंपिक दिवस के एक भाग के रूप में संगीत कार्यक्रमों एवं प्रदर्शनियों को शामिल किया है।
– इस वर्ष की विषय वस्तु “स्टे हेल्दी, स्टे स्ट्रांग, स्टे एक्टिव विद #ओलंपिक डे वर्कआउट ऑन 23 र्ड जून” है।
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2. नई लहरें क्यों उत्पन्न होती हैं?
समाचारों में क्यों है?
– डॉ.वी. के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग ने हाल ही में 22 जून, 2021 को नेशनल मीडिया सेंटर, पीआईबी दिल्ली में आयोजित कोविड-19 पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जनसंचार माध्यम विनिर्देशन को संबोधित किया।
– उन्होंने महामारी की नई लहरों के उभरने के कारणों के बारे में बताया एवं कैसे कोविड यथोचित व्यवहारों का पालन करके एवं टीकाकरण जैसे उपाय अपनाकर इसे नियंत्रित या परिवर्जित किया जा सकता है।
– उन्होंने आगे कहा, “ऐसे देश हैं जहां दूसरी लहर भी नहीं आई है। यदि हम वह करें जो आवश्यक है एवं गैर-जिम्मेदार व्यवहार में लिप्त नहीं है, तो प्रकोप नहीं होना चाहिए। यह एक सरल महामारी विज्ञान सिद्धांत है।”
नई लहरें क्यों आती हैं?
विषाणु का व्यवहार: वायरस में प्रसार की धारिता एवं क्षमता होती है।
सुग्राह्य पोषी: विषाणु जीवित रहने के लिए सुग्राह्य पोषी की खोज में रहता है। अतः, यदि हम या तो टीकाकरण अथवा विगत संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, तो हम एक सुग्राह्य पोषी हैं।
संक्राम्यता: विषाणु अत्यधिक तीक्ष्ण हो सकता है जहां यह उत्परिवर्तित होता है और अधिक संक्राम्य हो जाता है। वही विषाणु जो तीन पोषियों को संक्रमित करता था, 13! को संक्रमित करने में सक्षम हो जाता है। यह कारक अप्रत्याशित है। इस तरह के उत्परिवर्तन से निपटने के लिए कोई भी पूर्व योजना नहीं बना सकता है। विषाणु की प्रकृति में परिवर्तन एवं इसकी संचरण क्षमता एक एक्स कारक है एवं कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगा सकता कि यह कब एवं कहां उत्पन्न हो सकता है।
अवसर: ‘अवसर’, जो हम विषाणु को संक्रमित करने के लिए प्रदान करते हैं। यदि हम एक साथ बैठकर खाते हैं, भीड़ इकट्ठा करते हैं, बिना मास्क के बंद क्षेत्रों में बैठते हैं, तो विषाणु को प्रसारित होने के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं।
जो हमारे हाथ में है उसे करने का आह्वान
– नीति आयोग के सदस्य हमें स्मरण कराते हैं कि हमारे हाथ में क्या है। “उपरोक्त चार में से, दो तत्व- संक्रमण के लिए सुग्राह्यता एवं अवसर पूर्णत: हमारे नियंत्रण में हैं जबकि अन्य दो- विषाणु का व्यवहार एवं संक्राम्यता, पूर्वानुमानित या नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
– अतः, यदि हम सुरक्षित हैं एवं सुनिश्चित करते हैं कि हम सुग्राह्य नहीं हैं, तो विषाणु जीवित नहीं रह पाएगा। हम मास्क पहनकर या टीका लगवाकर सुग्राह्यता को नियंत्रित कर सकते हैं।
– अतः, यदि हम कोविड के यथोचित व्यवहार का पालन करके अवसरों को कम करते हैं एवं संक्रमण के प्रति सुग्राह्यता कम करते हैं, तो एक तीसरी लहर नहीं आएगी।
Daily Gist of ‘The Hindu’, ‘PIB’, ‘Indian Express’ and Other Newspapers: 23 June, 2021
3. नाटो ने प्रथम बार चीन को सुरक्षा संकट घोषित किया
समाचारों में क्यों है?
हाल ही में आयोजित उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन ने प्रथम बार स्पष्ट रूप से चीन को एक सुरक्षा संकट के रूप में वर्णित किया है। नाटो ‘घोषणा’ द्वारा पहचाने गए अन्य दो संकट रूस और आतंकवाद हैं।
मुख्य बिंदु हैं:
– नाटो ने चीन को एक सुरक्षा संकट के रूप में वर्णित किया है और एक संयुक्त विज्ञप्ति में प्रथम बार चेतावनी देते हुए कि यह “सर्वांगी आह्वान” प्रस्तुत करता है, एशियाई शक्ति की सैन्य महत्वाकांक्षाओं का प्रतिरोध करने के लिए आगे बढ़ा है।
– यह घोषणा ब्रूसेल्स में 30-सशक्त पार-अटलांटिक सैन्य गठबंधन के एक शिखर सम्मेलन में हुई, जिसमें अमेरिका से बीजिंग के तीव्र सैन्य विस्तार एवं अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के प्रति डट कर प्रतिरोध करने की आवश्यकता का आग्रह किया गया था।
– विज्ञप्ति ने बीजिंग की “प्रपीड़क नीतियों” पर चिंता व्यक्त की एवं कहा कि “चीन की घोषित महत्वाकांक्षाएं एवं हठधर्मी व्यवहार नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था एवं गठबंधन सुरक्षा के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों के प्रति सर्वांगी आह्वान प्रस्तुत करता है”।
– एक संवावदाता सम्मेलन में, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि चीन अब विश्व की सर्वाधिक वृहद नौसेना रखता है, परमाणु हथियार संग्रह कर रहा है, एवं आनन अभिज्ञान (मुख की पहचान) जैसी “विघटनकारी प्रौद्योगिकियों” में निवेश कर रहा है।
– “यह युद्ध की प्रकृति को इस प्रकार से परिवर्तित कर रहा है जिसे हमने पहले शायद ही कभी देखा है, शायद पहले कभी नहीं देखा है, एवं यह हमारी सुरक्षा को कुप्रभावित करता है,” श्री स्टोलटेनबर्ग ने कहा।
– “चीन का बढ़ता प्रभाव एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियां गठबंधन की सुरक्षा के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं। नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि हमें एक गठबंधन के रूप में ऐसी चुनौतियों का एकजुट होकर ध्यान देने की आवश्यकता है, एवं हमें अपनी सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए चीन के साथ संबद्ध होने की आवश्यकता है।
– उन्होंने उल्लेख किया कि चीन ने उत्तरी अटलांटिक महासागर में रूस के साथ संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण आयोजित किया, साइबर हमले में सम्मिलित था, एवं “अफ्रीका में आधारिक अवसंरचना को नियंत्रित” कर रहा था।
– “हम देखते हैं कि चीन हमारे समीप आ रहा है,” श्री स्टोलटेनबर्ग ने कहा। “हमें उन चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जो चीन के उदय ने हमारी सुरक्षा के लिए प्रस्तुत की हैं, भले ही बहुत सारे सहयोगियों के चीन के साथ आर्थिक संबंध हैं।इसमें कोईकिंतु परंतु नहीं है।”
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4. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन
समाचारों में क्यों है?
जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का परिसीमन अपरिहार्य होगा.
प्रमुख बिंदु हैं:
– जम्मू एवं कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का गठन गत वर्ष 6 मार्च को केंद्र शासित प्रदेश के लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों को जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार पुनः आरेखण करने के लिए किया गया था, जिसने राज्य को जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में द्विभाजित किया था।
– परिसीमन का शाब्दिक अर्थ उस राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के सीमाओं या परिसीमाओं के निर्धारण करने की प्रक्रिया है जिसमें एक विधायी निकाय है।
– परिसीमन एक अत्यधिक प्रभावशाली आयोग द्वारा किया जाता है। उन्हें औपचारिक रूप से परिसीमन आयोग या सीमा आयोग के रूप में जाना जाता है।
– ये निकाय इतने शक्तिशाली हैं कि इसके आदेशों में विधि की शक्ति है एवं इन्हें किसी भी न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती है।
– परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 के अनुसार, परिसीमन आयोग में तीन सदस्य: अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एवं पदेन सदस्य के रूप में मुख्य निर्वाचन आयुक्त अथवा मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा नामित निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।
– भौगोलिक क्षेत्रों का एक युक्तिपूर्ण विभाजन सुनिश्चित करने हेतु मुख्य उद्देश्य समान जनसंख्या के क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना है ताकि सभी राजनीतिक दलों या चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पास मतदाताओं की संख्या के मामले में समान अवसर प्राप्त हो।
5. अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस 2021
समाचारों में क्यों है?
विधवाओं की अनसुनी अभिव्यक्तियों की ओर ध्यान आकर्षित करने, उनकी समस्याओं को चिन्हांकित करने एवं उनके दुष्कर समय में उनकी आवश्यकता के समर्थन को बढ़ाने के लिए, 2011 से प्रत्येक वर्ष 23 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु हैं:
– अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस 2021 की विषय वस्तु ‘ इनविजिबल वूमेन, इनविजिबल प्रॉब्लम्स’ है।
– अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस संपूर्ण विश्व में लाखों विधवाओं एवं उनके आश्रितों द्वारा सामना की जाने वाली निर्धनता एवं अन्याय को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अनुसमर्थित कार्रवाई दिवस है।
– विश्व भर में कई विधवाओं के लिए, अपने पति को खोने का अर्थ अपनी आय, अधिकार एवं संभवतः अपने बच्चों को भी खोना है।
– अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर अपने संदेश में, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “आइए विधवाओं को कानूनी एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध हों”।
अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस: महत्व
– अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस विश्व भर में विधवाओं के कल्याण की दिशा में कार्य करने का अवसर प्रदान करता है। यह विधवाओं की मान्यता के साथ-साथ उनके पूर्ण अधिकारों को प्राप्त करने में उनकी सहायता करने की दिशा में कार्रवाई करने का आह्वान करता है।
– यह दिवस विधवाओं को उनके उत्तराधिकार, भूमि एवं उत्पादक संसाधनों के यथोचित भाग तक अभिगम्यता के बारे में सूचना एवं विवरण प्रदान करने; मर्यादित काम एवं समान वेतन; पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा जो केवल वैवाहिक स्थिति पर आधारित नहीं हैं, के बारे में भी बात करता है।
– संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विधवाओं को स्वयं के साथ-साथ अपने परिवारों का सहयोग करने के लिए सशक्त बनाने का अर्थ उन सामाजिक कलंकों को दूर करना भी है जो बहिष्करण उत्पन्न करते हैं एवं भेदभावपूर्ण या हानिकारक प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं।
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6. 2019 में संपूर्ण विश्व में आत्महत्या: डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट:
समाचारों में क्यों है?
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 2019 में संपूर्ण विश्व में आत्महत्या शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
मुख्य बिंदु हैं:
– एसडीजी, देशों का आह्वान करते हैं कि वे रोकथाम और उपचार के माध्यम से 2030 तक गैर-संक्रामक रोगों से समय से पूर्व होने वाली मृत्यु दर में एक तिहाई तक कमी लाएं एवं मानसिक स्वास्थ्य तथा कल्याण को बढ़ावा दें।
– संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर को एक तिहाई कम करना, एक संकेतक एवं एक लक्ष्य (मानसिक स्वास्थ्य के लिए एकमात्र) दोनों है। किंतु विश्व इस लक्ष्य तक पहुंच पाने में सक्षम नहीं होगा।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कुछ देशों ने आत्महत्या की रोकथाम को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है, फिर भी कई देश प्रतिबद्ध नहीं हैं।
वर्तमान में, मात्र 38 देशों को राष्ट्रीय आत्महत्या निरोध रणनीति के लिए जाना जाता है।
आत्महत्या क्या है?
आत्महत्या को व्यवहार के परिणामस्वरूप मृत्यु के अभिप्राय से स्व-निर्देशित हानिकारक व्यवहार के कारण हुई मृत्यु के रूप में परिभाषित किया गया है।
2019 में आत्महत्याएं
– कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर मानसिक तनाव में वृद्धि की है। हालाँकि 2019 में पहले से ही एक संकट था। 2019 में लगभग 7,03,000 लोग या 100 में से एक की आत्महत्या से मृत्यु हो गई।
2019 के लिए वैश्विक आयु-मानकीकृत आत्महत्या दर 9.0 प्रति 1, 00,000जनसंख्या थी।
– इनमें से अनेक युवा व्यक्ति थे। आधे से अधिक वैश्विक आत्महत्याएं (58%) 50 वर्ष की आयु से पूर्व हुई। 2019 में वैश्विक स्तर पर 15-29 आयु वर्ग के युवाओं में आत्महत्या मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण था।
– 2019 में लगभग 77% वैश्विक आत्महत्याएं निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में हुईं।
‘द हिंदू’, ‘पीआईबी’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ एवं अन्य समाचार पत्रों का दैनिक सार: 22 जून, 2021