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हम पूर्व में ही मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता एवं सामाजिक सुरक्षा संहिता को सम्मिलित कर चुके हैं। इस लेख में, हम व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य की दशाएँ, 2020 पर संहिता की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं पर चर्चा करेंगे।
- यह राज्य सरकार को किसी भी नए कारखाने को अधिक आर्थिक गतिविधि एवं रोजगार सृजित करने हेतु संहिता के प्रावधानों से छूट देने का अधिकार प्रदान करता है।
प्रतिष्ठानों को सम्मिलित करने हेतु सीमा
- कारखाना: संहिता कारखाने को निम्नलिखित के रूप में परिभाषित करती है
- परिसर के लिए 20 कर्मकार जहां विद्युत/ऊर्जा का उपयोग करके निर्माण प्रक्रिया संपादित की जाती है, एवं
- उन परिसरों के लिए 40 कर्मकार विद्युत/ऊर्जा का उपयोग किए बिना निर्माण प्रक्रिया संपादित की जाती है।
- खतरनाक गतिविधियों में संलग्न प्रतिष्ठान: सभी प्रतिष्ठान जहां कोई भी खतरनाक गतिविधि संपादित की जाती है, भले ही श्रमिकों की संख्या कुछ भी हो।
अनुबंध/ठेका श्रमिक
- यह निर्दिष्ट करता है कि संहिता उन प्रतिष्ठानों या ठेकेदारों पर लागू होगी जिनमें 50 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं (विगत एक वर्ष में किसी भी दिन)।
- यह प्रमुख कार्यों/गतिविधियों में ठेका श्रमिकों को प्रतिबंधित करता है, सिवाय इसके कि:
- प्रतिष्ठान का सामान्य क्रियाकलाप इस प्रकार का है कि कार्य सामान्य तौर पर ठेकेदार के माध्यम से संपादित किए जाते हैं,
- क्रियाकलाप इस प्रकार के हैं कि उन्हें दिन के अधिकांश भाग के लिए पूर्णकालिक कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं होती है, अथवा
- प्रमुख गतिविधि में कार्य की मात्रा में अकस्मात वृद्धि होती है जिसे एक निर्दिष्ट समय में पूरा करने की आवश्यकता होती है।
- उपयुक्त सरकार यह निर्धारित करेगी कि प्रतिष्ठान के क्रियाकलाप एक प्रमुख क्रियाकलाप हैं अथवा नहीं।
- यद्यपि, संहिता में गैर- प्रमुख क्रियाकलापों की एक सूची है जहाँ ये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। इसमें 11 कार्यों की एक सूची सम्मिलित है, जिसमें सफाई कर्मचारी, सुरक्षा सेवाएं, एवं रुक-रुक कर संपादित होने वाली कोई भी गतिविधि सम्मिलित हो, भले ही वह किसी अन्य प्रतिष्ठान की मुख्य गतिविधि हो।
- संहिता केंद्र तथा राज्य सरकारों के कार्यालयों (जहां संबंधित सरकार प्रमुख नियोक्ता है) में एक ठेकेदार के माध्यम से नियोजित ठेका श्रमिकों पर लागू होगी।
कार्य के घंटे एवं नियोजन की शर्तें
- दैनिक कार्य घंटे की सीमा: यह प्रतिदिन 8 घंटे की अधिकतम सीमा निर्धारित करता है।
- महिलाओं का नियोजन: यह प्रावधान करता है कि महिलाएं संहिता के अंतर्गत सभी प्रकार के कार्यों के लिए सभी प्रतिष्ठानों में नियोजित होने की हकदार होंगी। यह यह भी प्रावधान करता है कि यदि उन्हें खतरनाक अथवा हानिकारक कार्यों में काम करने की आवश्यकता होती है, तो सरकार नियोक्ता को उन्हें नियोजित करने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करने की अपेक्षा कर सकती है।
अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक एवं असंगठित श्रमिक
- परिभाषा: यह अंतर्राज्यीय प्रवासी कर्मकार/ श्रमिक को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करती है जो:
- किसी नियोक्ता अथवा ठेकेदार द्वारा दूसरे राज्य में कार्य करने के लिए भर्ती किया गया हो, एवं
- केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकतम राशि के भीतर मजदूरी का आहरण करता है।
- कोई भी व्यक्ति जो स्वयं दूसरे राज्य में चला जाता है और वहां नियोजन प्राप्त करता है, उसे भी अन्तर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक माना जाएगा।
- अधिकतम 18,000 रुपये प्रति माह, अथवा ऐसी अधिक राशि अर्जित कर रहे हैं जिसे केंद्र सरकारअधिसूचित कर सकती है।
- अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिए डेटाबेस: इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों को एक पोर्टल में अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिकों के विवरण को अनुरक्षित रखने या रिकॉर्ड करने की आवश्यकता होती है।
- एक अन्तर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक स्व-घोषणा एवं आधार कार्ड के आधार पर पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा सकता है।
- सामाजिक सुरक्षा कोष: यह असंगठित कर्मकारों के कल्याण के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का प्रावधान करता है।
- संहिता के अंतर्गत कुछ दंडों के द्वारा एकत्र की गई राशि (कंपाउंडिंग के माध्यम से एकत्र की गई राशि सहित) को कोष में जमा किया जाएगा।
- सरकार राजकोष में धन अंतरण करने हेतु अन्य स्रोत भी निर्धारित कर सकती है।
सामान्य प्रावधान एवं विशिष्ट प्रावधान
- इसमें सभी कर्मकारों पर लागू होने वाले कुछ सामान्य प्रावधान तथा संहिता के अंतर्गत श्रमिकों एवं प्रतिष्ठानों की विशिष्ट श्रेणियों पर लागू होने वाले अतिरिक्त विशेष प्रावधान सम्मिलित हैं।
- सामान्य प्रावधान: इनमें पंजीकरण, विवरणी (रिटर्न) दाखिल करने एवं नियोक्ताओं के कर्तव्यों से संबंधित प्रावधान सम्मिलित हैं।
- विशिष्ट प्रावधान: यह विशिष्ट प्रकार के श्रमिकों जैसे कि कारखानों एवं खदानों में, अथवा श्रव्य-दृश्य श्रमिकों, पत्रकारों, विक्रय प्रोत्साहन कर्मचारियों, अनुबंध श्रमिकों तथा निर्माण श्रमिकों पर लागू होता है।
अपील
- संहिता दीवानी न्यायालयों को किसी भी मामले का विचारण करने से निवारित करती है।
- कुछ मामलों में जहां व्यक्ति अधिकारियों के आदेशों से व्यथित होते हैं, यह एक प्रशासनिक अपीलीय प्राधिकार को अधिसूचित करने का प्रावधान करता है।
- यद्यपि, यह संहिता के अंतर्गत विवादों की विचारण हेतु किसी न्यायिक तंत्र का प्रावधान नहीं करता है।