वाक्य रचना
वाक्य किसे कहते हैं
वाक्य– भावों और विचारों को प्रकट करने वाले व्यवस्थित शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य के अंग रचना की दृष्टि से वाक्य के दो अंग होते हैं-
वाक्य के भेद
(1) उद्देश्य और
(2) विधेय।
- उद्देश्य: वाक्य में जिसके विषय में बनाया जाता है, उसे ‘उद्देश्य’ कहते हैं। वाक्य का कर्ता और कर्ता का विस्तार उद्देश्य होते हैं।
जैसे- दादी जी पढ़ा रही हैं।
हृदय-रोग विशेषज्ञ डाक्टर रोगियों को अच्छी तरह देखते हैं। इन वाक्यों में दादी और हृदय-रोग विशेषज्ञ’ कर्ता डाॅक्टर का विस्तार है।
- विधेय: वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ बताया जाता है, उसे ‘विधेय’ कहते हैं। जैसे- ेकुत्ता भौंक रहा है। माली चला गया।
इन वाक्यों में भौंक रहा है, चला गया विधेय हैं।
उद्देश्य विधेय
निर्धन बालिका भूख से व्याकुल है।
हम कल नागपुर जाएँगे।
कल्पना चावला अंतरिक्ष-यात्रा पर गई थीं।
वाक्य के भेद- वाक्य के भेदों के दो आधार होते हैं-
(क) रचना के आधार पर।
(ख) अर्थ के आधार पर
(क) रचना के आधार पर वाक्य के भेद- रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
- सरल वाक्य (साधारण वाक्य) (Simple Sentence )
- संयुक्त वाक्य (Compound Sentence )
- मिश्र या मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)
- सरल वाक्य- जिस वाक्य में एक मुख्य क्रिया अथवा विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं।
(क) हमने लाल किला देखा।
(ख) माली पौधों को खींच रहा है।
(ग) बच्चा माँ की गोद में सो गया।
(घ) प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लालकिले पर तिरंगा फहराएँगे।
इन वाक्यों में क्रमशः निम्नलिखित एक-एक क्रिया पद हैं-‘देखा’, ‘खींच रहा है’, ‘सो गया’, ‘फहराएँगे’। इसलिए सभी वाक्य के उदाहरण हैं।
- संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य स्वतंत्र रूप से समुच्चबोधक अव्यय या योजक के द्वारा जुड़े हों। ध्यान रहे कि संयुक्त वाक्य का प्रत्येक उपवाक्य स्वतंत्र होता है। जिसका अपना स्पष्ट अर्थ होता है और उसे समझन के लिए दूसरे उपवाक्य का सहारा नहीं लेना पड़ता। जैसे- सज्जन सबका भला चाहते हैं परंतु दुर्जन दूसरों को सदा दुख देते हैं। प्रस्तुत वाक्य दो उपवाक्यों से जुड़ा है जो निम्न प्रकार है-
(क) सज्जन सबका भला चाहते हैं।
(ख) दुर्जन दूसरों को सदा दुख देते हैं।
दोनों उपवाक्य स्वतंत्र रूप से पूर्ण अर्थ व्यक्त करते हैं। साथ ही दोनों उपवाक्य ‘परंतु’ योजक से जुड़े हुए हैं।
- मिश्र वाक्य- ऐसा वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य और दूसरा आश्रित उपवाक्य होता है, ‘मिश्र वाक्य’ कहलाता है।
जैसे- दादी जी न बताया कि वे कंप्यूटर पर काम कर रही थीं।
अध्यापिका ने पूछा कि कविता कौन सुनाएगा। इन वाक्यों में दादी जो ने बाताया, अध्यापिका ने पूछा प्रधान उपवाक्य हैं। वे कंप्यूटर पर काम कर रही थीं और कविता कौन सुनाएगा आश्रित उपवाक्य हैं। इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।
(ख) अर्थ के आधार पर- वाक्य एक भाषिक इकाई पढ़ने या सुनने से मन में जो भाव उत्पन्न होता है, उसे अर्थ कहते हैं। अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं-
- विधानार्थक वाक्य (Assertive Sentence)- जिस वाक्य से कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे विधानर्थक या विधान वाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) सूर्य पूर्व में उदय होता है।
(ख) कल ज़ोर की वर्षा हुई।
- निषेधार्थक वाक्य (Negative Sentence)- जिस वाक्य से किसी कार्य या बात के न होने का भाव प्रकट होता है, उसे निषेधार्थक या निषेध वाचक अथवा नकरात्मक वाक्य कहते हैं। इस प्रकार के वाक्य में ‘नहीं’, ‘न’ या ‘मत’ शब्द का प्रयोग होता है। जैसे-
(क) जीव हिंसा नहीं करनी चाहिए।
(ख) इस वर्ष मौसम में वर्षा नहीं हुई।
- प्रशनार्थक वाक्य (Interrogative Sentence)- जिस वाक्या में किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या कार्य के विषय में प्रश्न पूछा जाए, उसे प्रश्नार्थक या प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) क्या तुमने अपना पाठ याद कर लिया ?
(ख) निशा कहाँ जा रही है ?
- आज्ञार्थक वाक्य (Imperative Sentence)- जिस वाक्य से आज्ञा, अनुमति, उपदेश, अनुरोध, आदि भाव का बोध हो उस आज्ञार्थक या आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) माता-पिता की आज्ञा का पालन करे।
(ख) कृपया मुझे मंदिर का रास्ता बताइए।
- इच्छार्थक वाक्य (Illative sentence)- जिस वाक्य से वक्ता की इच्छा, आशा आशीर्वाद, शुभकामना आदि का भाव प्रकट हो, इच्छार्थक या इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) भगवान तुम्हारा भला करे।
(ख) नया वर्ष मंगलमय हो।
- संकेतार्थक वाक्य (Conditional Sentence)- जिस वाक्य में एक क्रिया का होना किसी दूसरी क्रिया के पूर्ण होने पर निर्भर हो उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य पास होते।
(ख) अगर गृहकार्य पूरा हो जाए तो खेलेंगे।
- संदेहार्थक वाक्य (Indefinite Sentence)- जिस वाक्य से कार्य सिद्धि की संभावना अथवा अनिश्चित स्थिति की सूचना हो, उसे संदेहार्थक या संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) शायद मानसी बीमार हो गई।
(ख) लगता है जोसेफ घर चला गया।
- विस्मयादिबोधक वाक्य (Exclamatory Sentence)- जिस वाक्य से हर्ष, शोक, आश्चर्य, भय, घृणा आदि मन का भाव प्रकट हो, उसे विस्मादिबोधक या विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
(क) वाह! कितना सुंदर दृश्य है।
(ख) हाय! बेचारा छत से गिर पड़ा।
वाक्य-परिवर्तन- वाक्य-परिवर्तन की प्रक्रिया द्वारा एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित किया जाता है किंतु इस प्रक्रिया में वाक्य के अर्थ परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
वाक्य-परिवर्तन के कुछ उदाहरण
- रचना के आधार पर वाक्य-परिवर्तन :
(क) साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में परिवर्तन-
(अ) राम से मिलकर श्याम बहुत खुश हुआ। (साधारण वाक्य)
राम श्याम से मिला और बहुत खुश हुआ। (संयुक्तवाक्य)
(ब) बीमार होने के कारण मनोज यहाँ नहीं आया (साधारण वाक्य)
मनोज बीमार था, इसलिए यहाँ नहीं आया। (संयुक्त वाक्य)
(ख) संयुक्त वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन-
(अ) सौरभ ने बहुत कहा पर गौरव नहीं आया। (संयुक्त वाक्य)
(ब) सौरभ के बहुत कहने पर भी गौरव नहीं आया। (संयुक्त वाक्य)
(ग) साधारण वाक्यों का मिश्रित वाक्य में परिवर्तन –
(अ) रात को देर तक जागने से मेरे सिर में दर्द हो गया। (साधारण वाक्य)
रात को देर तक जागा इसलिए मेरे सिर में दर्द हो गया। (मिश्रित वाक्य)
(घ) मिश्रित वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन-
(अ) जो सज्जन होते हैं, उनका सब आदर करते हैं। (मिश्रित वाक्य)
सज्जनों का सब आदर करते हैं। (साधारण वाक्य)
(ब) ज्यों ही चोरों ने पुलिस को देखा त्योंही वे भाग गए। (मिश्रित वाक्य)
पुलिस को देखते ही चोर भाग गए। (साधारण वाक्य)
(ङ) संयुक्त वाक्यों का मिश्रित वाक्यों में परिवर्तन-
(अ) अध्यापक कक्षा में आए और छात्र शांत हो गए। (संयुक्त वाक्य)
जब अध्यापक कक्षा में आए तो छात्र शांत हो गए। (मिश्रित वाक्य)
(ब) संचित निर्धन है परंतु स्वाभिमानी है। (संयुक्त वाक्य)
यद्यपि संचित निर्धन है तथापि स्वाभिमानी है। (मिश्रित वाक्य)
(च) मिश्रित वाक्यों का सुंयुक्त वाक्यों में परिवर्तन-
(अ) जब अरूण घर में आया तो तरूण चला गया था। (मिश्रित वाक्य)
अरूण घर आया परंतु तरूण चला गया। (संयुक्त वाक्य)
(ब) लोकेश विद्यालय नहीं गया क्योंकि वह बीमार था। (मिश्रित वाक्य)
लोकेश बीमार था इसलिए विद्यालय नहीं गया। (संयुक्त वाक्य)
- अर्थ के आधार पर वाक्य परिवर्तन :
(क) विधानर्थक वाक्य – छात्र पुस्तक पढ़ता है।
(ख) निषेधार्थक वाक्य – छात्र पुस्तक नहीं पढ़ता है।
(ग) प्रश्नार्थक वाक्य – क्या छात्र पुस्तक पढ़ता है ?
(घ) आज्ञार्थक वाक्य – छात्रो! पुस्तक पढ़ों
(ङ) इच्छार्थक वाक्य – छात्र पुस्तक पढ़ें।
(च) संकेतार्थक वाक्य – यदि छात्र पुस्तक पढ़ेगा तो पास होगा।
(छ) संदेहार्थक वाक्य – शायद छात्र पुस्तक पढ़ता है।
(ज) विस्मयादिबोधक वाक्य – वाह! छात्र पुस्तक पढ़ता है।
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