सत्यजीत राय की वर्ष 1956 में आई फिल्म ‘अपराजिता’ का कालखंड सन् 1920 के आसपास का है। 10 साल का अपू अपने पिता हरिहर रॉय को वाराणसी में गंगा के तट पर संस्कृत के श्लोकों का पाठ कर किसी तरह अपनी आय अर्जित करते देखता है। इस संघर्षपूर्ण जीवन के बीच जब हरिहर की मौत हो गई है तो अपू और उसकी माँ के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो जाता है। अपू की माँ उसे लेकर अपने गांव बंगाल के निश्चिंदीपुर चली जाती हैं ताकि अपू अपने बूढ़े काका के साथ काम कर सके, जो मंदिर में पुजारी हैं। अपू की माँ को इस बात पर पूरा भरोसा है कि संस्कृत के ज्ञान और जन्म, मृत्यु तथा अन्य अवसरों पर श्लोक कह लेने की क्षमता विकसित कर अपू एक अच्छा जीवन बिता सकेगा। बहरहाल, अपू कुछ समय तक पंडिताई का प्रशिक्षण लेने के बाद संस्कृत और पूजापाठ छोड़कर एक स्कूल में दाखिला ले लेता है और उसके बाद वह कोलकाता में एक पश्चिमी शैली के कॉलेज चला जाता है। उस वक्त भी उसे यह अंदाजा होता है कि रोजगार हासिल करने के लिए किस तरह की पढ़ाई करने की आवश्यकता है।
ऐसा लगता है कि समूचे शेष भारत ने अपू के उदाहरण का ही अनुसरण किया है और उसकी तरह ही उन्होंने पश्चिमी शैली की कॉलेज शिक्षा को प्राथमिकता दी है। खासतौर पर आज़ादी के बाद यह रूझान बढ़ा है। वर्ष 1990 के दशक से तो छात्रों में इसके लिए आपाधापी सी मच गई है। तमाम आशावादी सरकारें और करोबारी भी इस मांग को पूरा करने में सफल नहीं हो पाए हैं। अकेले पिछले दशक के दौरान ही देश में 20,000 नए कॉलेज खुले। इनमें शिक्षा का स्तर चाहे बहुत अच्छा नहीं रहा हो लेकिन ये वाणिज्य और कंप्यूटर साइंस जैसे पाठ्यक्रमों में छात्रों का आकर्षित कर पाने में कामयाब रहें।
लेकिन धीरे-धीरे इस मनोहारी माहौल पर भी संकट के बादल नजर आने लगे। विभिन्न देशों से आने वाली रिपोर्ट का भरोसा किया जाए तो पता चलता है कि कॉलेज उत्तीर्ण करने वाले स्नातकों के वेतन में स्थिरता देखने को मिल रही है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में वर्ष 2000 से 2008 के बीच स्नातक डिग्री धारी किसी व्यक्ति की औसत आय में 2,000 डॉलर से अधिक की गिरावट आई और यह सालाना 70,332 डॉलर रह गई। इसी तरह वर्ष 2008 से लेकर गत वर्ष तक एक बार फिर इसमें 3,500 डॉलर की कमी आई। भारत में इनकी स्थिति के बारे में पुख्ता आंकड़े हासिल कर पाना तो मुश्किल भरा है लेकिन तमाम रिपोंर्टों में दी गई जानकारी पर यकीन करें तो देश के कुल 4,000 से अधिक बिजनेस स्कूलों में से कुछ ने गत वर्ष अपना काम समेट लिया।
कुछ पर्यवेक्षक जहाँ मेहनताने में आए इस ठहराव का और कॉलेजों के बंद होने के लिए मंदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं क्ले शिर्की जैसे टीकाकारों का मानना है कि कॉलेज शिक्षा का स्वर्णयुग अब पीछे छूट चुका है। उनका कहना है कि यह स्वर्णयुग सन् 1960 से 1975 के बीच था। उस दौर में युवाओं ने कॉलेजों में जमकर दाखिले लिए, शिक्षकों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली और शिक्षकों पर से दबाव में भी नाटकीय कमी आई। इतना ही नहीं सरकारों द्वारा विश्वविद्यालयों को तथा अमेरिकी सरकार द्वारा शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए खर्च किए जाने वाले धन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। लेकिन सन् 1970 के बाद से अमेरिका में उच्च शिक्षा पर होने वाले खर्च के कर अनुपात में लगातार कमी आने लगी। वह कहते हैं कि बढ़ती लागत और घटती सब्सिडी ने औसत शिक्षा शुल्क में 1000 प्रतिशत से अधिक का इजाफा कर दिया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विद्वानेां क्लॉडिया गोल्डिन और लॉरेंज काट्ज़ ने अपनी पुस्तक ‘द रेस बिटवीन एजुकेशन ऐंड टेक्नॉलाजी’ में कहा है कि कॉलेज जाने वाले संभावित छात्र लगातार यह आकलन करते रहते हैं कि आखिरकार कॉलेज में पढ़ने से उनकी आय में हाई स्कूल की डिग्री की तुलना में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है। कॉलेज जाने का उनको यही फायदा नजर आता है। इस तरह का आकलन उससे बिल्कुल अलग नहीं है जो अपू ने सन् 1920 के दशक में भारत में किया था। उसने यह आकलन किया कि कोलकाता में कुछ साल खर्च कर एक डिग्री हासिल करने से उसे बाद के जीवन में बेहतर आय अर्जित करने में मदद मिलेगी जबकि संस्कृत पढ़कर पुजारी का जीवन बिताने से उसे कुछ खास हासिल होने वाला नहीं था।
प्रोफेसर गोल्डिन और काट्ज कहते हैं कि कॉलेज से हासिल होने वाला लाभ दरअसल मांग और आपूर्ति के नियम पर आधारित था। अगर कॉलेज स्नातकों की संख्या में 10 प्रतिशत का इजाफा हो जाए तो उनके वेतन के प्रीमियम में तकरीबन 6.1 प्रतिशत की कमी होती है। ऐसे में जब कॉलेज स्नातकों की संख्या में तेज गति से इजाफा होता नजर आता है तो इसका साफ मतलब है कि हमें कॉलेज प्रीमियम में कमी आती नजर आएगी। वहीं दूसरी ओर कॉलेज स्नातकों की संख्या में कमी आने से प्रीमियम में इजाफा होगा। अमेरिका में सन् 1980 से 2005 के बीच हम ऐसा देख चुके हैं। 1990 के बाद से इसमें जो तेज गिरावट हमें देखने को मिली है वह मुख्यतया इसलिए है क्योंकि कंप्यूटीकरण के बाद लिपिकीय और उत्पादन संबंधी कामों में श्रम का महत्त्व कम हुआ। इतना ही नहीं हाल के दिनों में सूचना प्रौद्योगिकी में आई तेज उछाल से मझोले और निचले दर्जे के अनेक रोजगार छिन गए हैं। प्रोफेसर द्वय इसे तकनीकी बदलाव और शिक्षा के बीच की होड़ करार देते हैं। इस सदी के शुरूआती आधे हिस्से में शिक्षा तेज गति से भागी लेकिन पिछले तीस सालों के दौरान तकनीक की तीव्र गति ने उसे पीछे छोड़ दिया।
कॉलेज में बच्चे जो कुछ सीखते हैं उसका व्यावसायिक मूल्य बाद में बदलता जाता है। संस्कृत श्लोक पढ़ने की क्षमता शायद हजारों वर्षों तक भारत में पंडित के रूप में आजीविका देती रही लेकिन जैसा कि सत्यजित राय की फिल्म अपराजिता में अपू महसूस करता है, समय बदलता है और और उसके साथ-साथ ज्ञान का बाजार मूल्य भी बदलता जाता है। शायद समस्या कॉलेज की नहीं है बल्कि वहाँ दी जाने वाली शिक्षा के लागत और मूल्य की है। अगर कॉलेज अपनी समस्याओं को नहीं समझते हैं तो अपू की तरह ही विद्यार्थी समझदारी भरा फैसला लेंगे और या तो वे कॉलेज छोड़ देंगे या फिर ऐसे कॉलेज और पाठ्यक्रम चुनेंगे जो उनका भविष्य संवारने में मददगार साबित हो सके।
Q1. अपू अपने पिता हरिहर रॉय को वाराणसी में गंगा के तट पर संस्कृत के श्लोकों का पाठ कर किसी तरह अपनी आय अर्जित करते देखता है। इस वाक्य में प्रयुक्त शब्द आय का प्रयोग नहीं करना है तो उसकी जगह पर किस शब्द का प्रयोग किया जाएगा?
(a) इन्कम
(b) कमाई
(c) दिहाड़ी
(d) मजदूरी
Q2. गद्यांश में प्रयुक्त ‘बूढ़े काका’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है।
(a) अपू के चाचा
(b) अपू के मामा
(c) अपू के भाई
(d) अपू के नाना
Q3. दिये गये गद्यांश में पश्चिमी शैली का पर्यायवाची क्या होगा ?
(a) प्राचीन शैली
(b) कला शैली
(c) मध्यकालीन शैली
(d) पाश्चात्य शैली
Q4. अपू ने पश्चिमी शैली की पढ़ाई के लिए कहाँ पर दाखिला लिया ?
(a) बनारस
(b) इलाहाबाद
(c) बम्बई
(d) कोलकाता
Q5. पश्चिमी शिक्षा का रूझान भारत में कब से बढ़ने लगा ?
(a) आजादी से पहले
(b) आजादी के बाद
(c) 1990 के दशक में
(d) केवल (A) और (B)
Q6. शिक्षा पाठ्यक्रमों में कौन सी पढ़ाई छात्रों को आकर्षित करने में कामयाब रही ?
(a) वाणिज्य
(b) कम्प्यूटर साइंस
(c) वाणिज्य और कम्प्यूटर
(d) प्रबंधन
Q7. द न्यूनार्क टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में वर्ष 2000 से 2008 के बीच स्नातक डिग्री धारी किसी व्यक्ति की औसत आय में कितने डॉलर से अधिक की गिरावट आई ?
(a) 1,000 डॉलर
(b) 2,000 डॉलर
(c) 3,000 डॉलर
(d) 4,000 डॉलर
Q8. प्रोफेसर गोल्डिन और काट्ज कहते हैं कि कॉलेज से हासिल होने वाला लाभ माँग और आपूर्ति के नियम पर आधारित था। माँग और आपूर्ति को दूसरे शब्द में क्या कहा जाता है ?
(a) डिमांड एवं सप्लाई
(b) डिमांड
(c) सप्लाई
(d) लाभांश
Q9. उपरोक्त गंद्याश सत्यजीत राय की किस फिल्म पर आधारित है जिसमें अपू महसूस करता है, समय बदलता है और उसके साथ-साथ ज्ञान का बाजार मूल्य भी बदलता जाता है ?
(a) अपराजिता
(b) पाथेर पंचाली
(c) दो गज
(d) अपराजित
Q10. अपू की तरह ही विद्यार्थी समझदारी भरा फैसला लेंगे और या तो वे कॉलेज छोड़ देंगे या फिर ऐसे कॉलेज और पाठ्यक्रम चुनेंगे जो उनका भविष्य संवारने में मददगार साबित हो सके। यहाँ पर भविष्य संवारने में क्या मददगार साबित होंगे ?
(a) प्राचीन शिक्षा
(b) मध्यकालीन शिक्षा
(c) आधुनिक शिक्षा
(d) पाश्चात्य शिक्षा
Solutions
S1 Ans. (b)
S2 Ans. (a)
S3 Ans. (d)
S4 Ans. (d)
S5 Ans. (b)
S6 Ans. (c)
S7 Ans. (b)
S8 Ans. (a)
S9 Ans. (a)
S10 Ans. (d)