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Hindi Questions For DSSSB Exam : 28th Feb 2018 (Solutions)

Hindi Questions For DSSSB Exam : 28th Feb 2018 (Solutions)_30.1
निर्देश(1-5): नीचे दिए गए गद्यांश के आधार पर पांच प्रश्न दिए गए है. गद्यांश का अध्ययन कीजिये और प्रश्न का उत्तर दीजिये.
श्रेष्ठ विचार मानवमात्र की थाती है. धर्म, जाति, भाषा आदि विभेदों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. श्रेष्ठ सार्वकालिक और सार्वदेशिक होता है. श्रेष्ठ विचारों में सबके कल्याण की भावना होती है. सभी महापुरूषों के विचार मानव कल्याण के निमित्त ही होते हैं. वे एक-दूसरे के विरोधी नहीं, पूरक होते हैं. सभी श्रेष्ठ विचारधाराओं से सारतत्त्व ग्रहण कर मानव अपने जीवन को आनन्दमय और सुखमय बना सकता है. और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है. विवेकशील मनुष्य समन्वयकारी दृष्टिकोण अपनाकर सर्वजन्यहिताय की बात सोचता है. मानव आज मानवीय गुणों से दूर होता जा रहा है. वह विचारों की संकीर्णताओं में उलझ गया है. वह भूल रहा है कि मानव धर्म ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है. स्वार्थ के वशीभूत होकर मानव हर बात को अपने मनोनुकूल देखना चाहता है. अन्य लोगों को उससे क्या असुविधाएँ, कष्ट होते हैं, इसकी उस लेशमात्र चिंता नहीं होती. अपने धन के बल से असमर्थ इंसानों के श्रम को खरीदा जाता है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार करके मानव धर्म को ताक पर रखा जाता है. मानव धर्म तो कहता है कि अपराधियों के साथ भी दयाभुक्त और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए. इससे उनकी अपराध-प्रवृति रचनात्मक कार्यों की ओर उन्मुख होगी.
Q1. श्रेष्ठ विचार वे हैं जो
(a) परस्पर विरोधी होते हैं
(b) सर्वजनहिताय के भाव को अभिव्यक्ति देते हैं
(c) मानवमात्र के धर्म, जाति, भाषा आदि पर विचार करते हैं
(d) सभी धर्मों के सभी महापुरूषों द्वारा मान्य होते हैं
Q2. मानव प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है
(a) विवेकशीलता को अपनाकर
(b) मानवता विरोधी प्रवृत्तियों का विनाश करके
(c) अपने जीवन को आनन्दमय और सुखमय बनाकर
(d) सभी श्रेष्ठ विचारधाराओं का सारतत्व ग्रहण कर
Q3. आज का मानव मानवीय गुणों से दूर होता जा रहा है। इसका प्रमाण यह है कि वह
(a) लोकहित पर स्वहित को वरीयता दे रहा है
(b) धर्मानुसार आचरण भूलता जा रहा है 
(c) विचारों की संकीर्णताओं को महत्त्वपूर्ण मानता है
(d) अन्य लोगों के अहित का चिन्तन करता रहता है
Q4. ‘मानव धर्म’ से लेखक का तात्पर्य है
(a) ‘धन के बदले काम’ का विरोध करना
(b) आर्थिक दृष्टि से असमर्थ इंसानों से श्रम न कराना 
(c) समाज में लोगों को सुख-सुविधाएं प्रदान करना
(d) स्वहित को सर्वापरि न मानकर अन्य लोगों के कष्ट की भी परवाह करना
Q5. मानवधर्म में अपराधियों को भी
(a) समाज का प्रमुख अंग मानना चाहिए
(b) रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए 
(c) अपराध भावना का परिष्कार कर समाज के लिए उपयोगी बनाना चाहिए
(d) दया और सहहानुभूति जैसे मानवोचित गुणों के विकास का अवसर देना चाहिए
निर्देश(6-10): नीचे दिए गए गद्यांश के आधार पर पांच प्रश्न दिए गए है. गद्यांश का अध्ययन कीजिये और प्रश्न का उत्तर दीजिये.
मनुष्य शारीरिक कष्ट से ही पीछे हटने वाला प्राणी नहीं है. मानसिक क्लेश की संभावना से भी बहुत से कर्मों की ओर प्रवृत्त होने का साहस उसे नहीं होता. जिन बातों से समाज के बीच उपहास, निंदा, अपमान इत्यादि का भय रहता है उन्हें अच्छी और कल्याणकारी समझते हुए भी बहुत-से लोग उनसे दूर रहते हैं. प्रत्यक्ष हानि देखते हुए भी कुछ प्रथाओं का अनुसरण बडे़-बडे़ समझदार तक इसलिए करते चलते हैं कि उनके त्याग से वे बुरे कहे जाएंगे, लोगों में उनका वैसा आदर-सम्मान न रह जाएगा. उनके लिए मानग्लानि का कष्ट सब शारीरिक क्लेशों से बढ़कर होता है. जो लोग मान-अपमान का कुछ भी ध्यान न करके, निंदा-स्तुति की कुछ भी परवाह न करके किसी प्रचलित प्रथा के विरूद्ध पूर्ण तत्परता और प्रसन्नता के साथ कार्य करते जाते हैं वे एक ओर तो उत्साही और वीर कहलाते हैं, दूसरी ओर भारी बेहया.
Q6. साधारणतः मनुष्य पीछे हट जाता है
(a) शारीरिक कष्टों की संभावना से
(b) मानसिक क्लेशों की संभावना से
(c) शारीरिक अथवा मानसिक कलेशों की संभावना से
(d) इनमें से कोई नहीं
Q7. अनेक लोग कल्याणकारी बातों से भी इसलिए दूर रहते हैं क्योंकि
(a) उन्हें समाज की चिन्ता रहती है
(b) वे समाज के उपहास और निदा से बचना चाहते हैं
(c) उनमें समाज के विरोध का साहस नहीं होता
(d) इनमें से कोई नहीं
Q8. बडे़-बडे़ समझदार लोग भी अनेक हानिकारक प्रथाओं का इसलिए अनुसरण करते हैं क्योंकि
(a) वे आत्मसम्मान की कीमत पर समाज का विरोध नहीं कर पाते
(b) अन्य लोगों की तुलना में वे अपने सम्मान को कम महत्त्व देते हैं
(c) उनके लिए आत्मसम्मान समाज-हित से अधिक महत्त्वपूर्ण है
(d) वे समाज द्वारा दिए गए आदर-सम्मान से घबराते हैं
Q9. अनेक समझदार लोगों के लिए
(a) शारीरिक कष्ट मानसिक कष्ट से अधिक संतप्तकारक होता है
(b) मानसिक कष्ट शारीरिक कष्ट से अधिक संतृप्तकारक होता है
(c) मानसिक और शारीरिक कष्ट समान रूप से संतप्तकारक होते हैं
(d) अपना सम्मान घटने का कष्ट शारीरिक कष्ट से अधिक संतप्तकारक होता है
Q10. उत्साही वह है जो
(a) अपने मान-अपमान और निदा-स्तुति की परवाह नहीं करता
(b) अपनी आलोचना की परवाह न कर परंपरागत मान्यताओं के विरूद्ध चलता है
(c) स्वयं को बेहया कहलवाने के लिए भी तैयार हो
(d) सदैव प्रचलित प्रथा का विरोध कर आगे बढ़ता जाता है
SOLUTIONS
S1. Ans. (b)
S2. Ans. (d)
S3. Ans. (a)
S4. Ans. (d)
S5. Ans. (d)
S6. Ans. (b)
S7. Ans. (b)
S8. Ans. (a)
S9. Ans. (d)
S10. Ans. (a)