निर्देश(1-5): नीचे दिए गए अनुच्छेद पांच प्रश्न दिए गए है. दिए गए अनुच्छेद का सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये और प्रश्नों के उत्तर दीजिये.
मनुष्य के लिए अपना अतीत सदैव सम्मोहक रहता है. जब मनुष्य का मन अतीत की स्मृतियों में ज्यादा रम जाता है, तो वर्तमान से उसका संबंध टूट जाता है. मानव-विकास के लिए यह कोई शुभ स्थिति नहीं है इसलिए अतीत के सम्मोहन से निकलकर वर्तमान में लौटना आवश्यक है. मनुष्य जीवन में यश, वैभव, मान, संपत्ति को ही अपना लक्ष्य मानकर उनके पीछे भागता रहता है. उन्हें पाने की कोशिश में वह कभी संघर्ष करता है और कभी समझौते भी करता है, किन्तु एक स्थिति पर आकर उसे यह अनुभव होता है कि जिसके पीछे वह भाग रहा है, उसमें कोई सारतत्व नहीं है. जीवन के संघर्षों और कष्टों से घबराकर जब वह ईश्वर की शरण में जाता है तो वहाँ भी उसे शान्ति नहीं मिलती. सुख न तो भौतिक सुख-सुविधाओं में है और न ही ईश्वर की शरण में सुख तथा दुख का संबंध मनुष्य की अपनी चेतना से है. जैसे शुद्ध चाँदनी कुछ नहीं है, चाँदनी के साथ-साथ रात का भी अस्तित्व है, उसी प्रकार इस संसार में शुद्ध सुख जैसी कोई स्थिति नहीं है. जीवन के इस कटु यथार्थ को स्वीकार करके ही मनुष्य आगे बढ़ सकता है. यथार्थ से पलायन उचित नहीं है.
Q1. शुद्ध चाँदनी जैसा कुछ नहीं होता से अभिप्राय है—
(a) सुख में दुख का अंश भी रहता है
(b) जीवन में सुख ही सुख है
(c) जीवन में दु:ख ही दु:ख है
(d) हर मनुष्य में कोई न कोई दोष होता है
S1. Ans. (a)
Q2. पलायन शब्द से क्या तात्पर्य है?
(a) पालन-पोषण करना
(b) लज्जित होना
(c) दूर भागना
(d) लीन होना
S2. Ans. (c)
Q3. अतीत से सम्मोहित व्यक्ति की क्या स्थिति होती है?
(a) वर्तमान की चिंता से ग्रस्त रहता है
(b) वर्तमान से उसका सम्बन्ध टूट जाता है
(c) भविष्य की कल्पना में खो जाता है
(d) वर्तमान में लौटने का प्रयत्न करता है
S3. Ans. (b)
Q4. सुख तथा दु:ख का सम्बन्ध किससे है?
(a) अपनी चेतना से
(b) भौतिक सुविधाओं से
(c) ईश्वर से
(d) भाग्य से
S4. Ans. (a)
Q5. मनुष्य अपने लक्ष्य को पाने के लिए क्या करता है?
(a) समझौते करता है
(b) संघर्ष करता है
(c) कष्ट उठाता है
(d) उपर्युक्त तीनों
S5. Ans. (d)
निर्देश(6-10): नीचे दिए गए अनुच्छेद पांच प्रश्न दिए गए है. दिए गए अनुच्छेद का सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिये और प्रश्नों के उत्तर दीजिये.
मादक द्रव्य-सेवन को केवल एक सामाजिक विकृति या रोग मानना उचित नहीं है, क्योंकि जिस तरह की सामाजिक व्यवस्था में हम रह रहे हैं वह बुरी तरह विषमता से ग्रस्त है. समाज में सबको समान रूप से सुख-सुविधा, स्वतंत्रता, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का अधिकार प्राप्त नहीं है. परिणामत: सर्वत्र असंतोष ही असंतोष है. सामान्य लोगों के लिए जैविक स्तर पर जीवन बनाए रखना भी अत्यंत कठिन हो गया है. निम्न एवं मध्य वर्ग अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए जितना तनावग्रस्त आज है उतना कदाचित् ही पहले कभी हुआ हो. पूँजीपति वर्ग के लोग भी अन्यायपूर्वक अधिकाधिक पूँजी के संचय में लगे होने के कारण कई गलत कामों में फँसते हैं और तनाव का शिकार होते हैं. एक तरह से यह समाजव्यापी असुरक्षा, असंतोष और तनाव ही व्यक्ति को मादक द्रव्य की ओर ले जाता है. जब तक सामजिक व्यवस्था और मूल्य-दृष्टि में अनुकूल परिवर्तन नहीं होता, इस रोग का ऊपरी उपचार कारगर सिद्ध नहीं होगा. स्पष्ट है कि मादक-द्रव्यसेवन की प्रवृत्ति भयंकर सामाजिक रोग का एक लक्षण है, अपने आप में रोग नहीं.
Q6. मूल्य–दृष्टि का सम्बन्ध मुख्यतः—
(a) वैयक्तिक विचारधारा से है
(b) नापने-तोलने वाली बुद्धि से है
(c) सामाजिक नीतियों से है
(d) भावनाओं से है
S6. Ans. (c)
Q7. ऊपरी उपचार से अभिप्राय है—
(a) रोग के लक्षणों का उपचार
(b) शरीर का उपचार
(c) नकली उपचार
(d) रोग का उपचार
S7. Ans. (c)
Q8. मादक-द्रव्य-सेवन के लिए प्रेरक है—
(a) भोग की लालसा
(b) न्यायपूर्वक अर्जित पूँजी
(c) असुरक्षा, असंतोष और तनाव
(d) संक्रामक रोग
S8. Ans. (c)
Q9. सामाजिक विषमता का कारण है—
(a) समाज का रोगग्रस्त होना
(b) सुविधा, स्वतंत्रता, शिक्षा आदि में असमानता
(c) लोगों का आपस में लड़ना
(d) इनमे से कोई नहीं
S9. Ans. (b)
Q10. जैविक स्तर का अर्थ है—
(a) आत्मा का स्तर
(b) भौतिक स्तर
(c) चेतना का स्तर
(d) शारीरिक अस्तित्व का स्तर
S10. Ans. (b)