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Hindi Questions For All Teaching Exam :22nd January 2019(Solutions)

Hindi Questions For All Teaching Exam :22nd January 2019(Solutions)_30.1
हिंदी भाषा TET परीक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है इस भाग को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है .बस आपको जरुरत है तो बस एकाग्रता की. ये खंड न सिर्फ HTET Exam (परीक्षा) में एहम भूमिका निभाता है अपितु दूसरी परीक्षाओं जैसे UPTET, KVS,NVS DSSSB आदि में भी रहता है, तो इस खंड में आपकी पकड़, आपकी सफलता में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.TEACHERS ADDA आपके इस चुनौतीपूर्ण सफ़र में हर कदम पर आपके साथ है।
Q1. इनमें से तत्पुरुष समास किस शब्द में है?
(a) भयभीत
(b) भरपेट
(c) विद्याधन
(d) पंचवटी
Q2. ‘घनश्याम’ में समास है-
(a) तत्पुरुष
(b) कर्मधारय
(c) बहुब्रीहि
(d) अव्ययीभाव
Q3. जब दो शब्द समास बनकर तीसरे शब्द का विशेषण बन जाएं, तो उसे क्या कहते हैं?
(a) द्विगु
(b) द्वंद
(c) बहुब्रीहि
(d) कर्मधारय
Q4. ‘आजन्म’ में कौन-सा समास है?
(a) तत्पुरुष
(b) द्वंद्व
(c) अव्ययीभाव
(d) कर्मधारय
Q5. इनमें से कौन-सा बहुब्रीहि समास है?
(a) त्रिकाल
(b) यथासमय
(c) भरपेट
(d) नीलकंठ
Q6. रोगपीड़ित
(a) कर्मधारय
(b) द्वंद
(c) बहुब्रीहि
(d) तत्पुरुष
Q7. प्रतिमान
(a) कर्मधारय
(b) अव्ययीभाव
(c) बहुब्रीहि
(d) तत्पुरुष
Q8. वीर पुरुष
(a) बहुब्रीहि
(b) तत्पुरुष
(c) अव्ययीभाव
(d) द्वंद
Q9. दशानन
(a) द्विगु
(b) बहुब्रीहि
(c) कमधारय
(d) द्वंद
Q10. ‘निशाचर’ मं कोन-सा समास है?
(a) बहुब्रीहि
(b) तत्पुरुष
(c) अव्ययीभाव
(d) कर्मधारय
उत्तरतालिका
S1. उत्तर- (a)
व्याख्या- जहाँ पर अंतिम पद की प्रधानता होती है और सामान्यतया प्रथम पदर विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है, तत्पुरुषण समास कहलाता है। यहाँ पर ‘भयभीत’ (भय से भीत) शब्द में महला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य है।
S2. उत्तर- (c)
व्याख्या- बहुब्रीहि समास में कोई भी शब्द प्रधान नहीं होता। दोनों शब्द मिलकर एक नया अर्थ प्रकट करते हैं। ‘घनश्याम’ अर्थात् कृष्ण।
S3. उत्तर- (c)
जब दो शब्द समास बनकर तीसरे शब्द का विशेषण बन जाए तो वहाँ पर बहुब्रीहि समास होता है। जैसे-पीताम्बर-पीला है अम्बर जिसका अर्थात् कृष्ण। यहाँ पीताम्बर कृष्ण की विशेषता बताता है।
S4. उत्तर- (c)
व्याख्या-‘आजन्म’ में अव्ययीभाव समास होगा। अव्ययीभाव समास में पहला पद अव्यय और दूसरा पद संज्ञा होता है। समस्त पद में अव्यय के अर्थ की ही प्रधानता रहती है। पूरा शब्द क्रिया विशेषण के अर्थ में व्यवहृत होता है।
S5. उत्तर- (d)
व्याख्या- नीलकंठ (अर्थात्-श्वि) में बहुब्रीहि समास होगा। समास में आए पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पद की प्रधानता हो, वहाँ बहुब्रीहि समास होता है।
S6. उत्तर- (d)
व्याख्या- रोगपीड़ित = रोग से पीड़ित। यहाँ तत्पुरुष (करण या तृतीया तत्पुरुष) समास है। इस समास का द्वितीय पद प्रधान होता है। इसका प्रथम पद बहुधा संज्ञा अथवा विशेषण होता है। इसके विग्रह में कर्ता और सम्बोधन को छोड़ शेष विभक्तियाँ लगती हैं।
S7. उत्तर- (b)
व्याख्या- ‘प्रतिमान’ में अव्ययीभाव समास है। अव्ययीभाव का लक्षण है-जिसमें पूर्वपद की प्रधानता हो और सामासिक पद अव्यय हो जाए।
S8. उत्तर- (b)
व्याख्या-वीर पुरुष में तत्पुरुष समास है। इस समास में प्रथम पद बहुधा संज्ञा या विशेषण होता है। इसके विग्रह में कर्ता और सम्बोधन को छोड़कर शेष विभक्तियाँ लगती हैं।
S9. उत्तर– (b)
व्याख्या-दशानन अर्थात् दस मुख हैं जिसके बह-‘रावण’। इसमें बहुब्रीहि समास है। जिस समास में कोई पद प्रधान न हो, अपितु दोनों पद मिलकर किसी संज्ञा के विशेषण हों वहाँ बहुब्रीहि समास होता है। पंचमुखी, षडानन, चतुष्पद आदि में भी बहुब्रीहि समास है।
S10. उत्तर- (b)
व्याख्या-जिस समास का अंतिम पद प्रधान हो, तत्पुरुष समास होता है। कर्ता कारक और सम्बोधन को छोड़कर शेष सभी कारकों में विभक्तियाँ लगाकर इसका समास विग्रह होता है, जैसे-पतितपावन अर्थात् पतितों को पवित्र करने वाला। करुणापूर्ण, अर्थात् करुणा से पूर्ण। स्वर्गवासी अर्थात् स्वर्ग में वास करने वाला। इसी प्रकार रात्रि में विचरण करने का वाला अर्थात् ‘निशाचर’।

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