भाषा का विकास: चौम्सकी, वाइगोत्सकी, पियाजे
चौम्सकी के अनुसारः-
- चौम्सकी भाषा को जन्मजात मानते है अर्थात् बच्चे भाषा सीखने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं।
- भाषा भाषा अनेक विधाओं से सीखने की कला है।
- भाषा मस्तिष्क का विकास है।
- व्यवहारिक या अनौपचारिक व्याकारण (Functional Grammar) का विकास चैम्सकी ने किया है।
वाइगोत्सकी के अनुसारः-
- वाइगोत्सकी भाषा के सामाजिक अर्थात् सामाजिक अंतः क्रिया स्वरूप पर बल देते हैं।
- अंतः क्रियाएँ (अंतःवाक्) भाषा का विकास करती है।
- भाषा एवं चिन्तन एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं।
जीन पियाजे के अनुसार:-
- पियाजे बच्चे के शारीरिक विकास के साथ भाषा के विकास की बात कहते है।
- भाषा अनुकारण के माध्यम से सीखी जाती है।
- बी. एफ. स्किनर:- बच्चा अवलोकन के द्वारा सीखता है।
भाषा शिक्षण एवं शिक्षण विधियां
प्रत्यक्ष विधि (सम्भाषण, प्राकृतिक):–
- इसके द्वारा बिना मातृभाषा का प्रयोग किए हुए सीधे, एक नई भाषा की शिक्षा दी जाती हैं।
- इस पद्यति में भाषा की पढायी वार्तालाप द्वारा आरंभ होती है।
अनुवाद व्याकरण (परोक्ष विधि):–
- विद्यार्थीयों को व्याकरण के नियम पहले ही सिखया जाते हैं। यह मान लिया जाता है कि सीखने वाले को अपनी मातृभाषा पर अधिकार है और वह उसी की सहायतासे दूसरी भाषा सीख सकता है।
शब्द परिवर्तन विधि (आदेश विधि):–
- एक वाक्य के एक या अधिक शब्दों का परिवर्तन करके उन सब वाक्यों के अभ्यास द्वारा भाषा की आदतें बनाने के क्रम को शब्द परिवर्तन कहा जाता है।
द्विभाषिक विधिः-
- नई भाषा सीखते समय अध्ययन – अध्यापन पद्यति में दो भाषाओं को उपयोग किया जाता है मातृभाषा और सीखने की दूसरी भाषा।
- जब बालक अपनी मातृभाषा सीखता है उस वक्त कई प्रसंगों को समझ लेता है और दूसरी भाषा सीखते समय उसी भाषा में उन प्रसंगों का आयोजन करना पड़ता है।