Directions (1-5): नीचे दिया गया प्रत्येक वाक्य चार भागों में बाँटा गया है और (a), (b), (c), और (d) क्रमांक दिए गए हैं। आपको यह देखना है कि वाक्य के किसी भाग में व्याकरण, भाषा, वर्तनी, शब्दों के गलत प्रयोग या इसी तरह की कोई त्रुटि तो नहीं है। त्रुटि अगर होगी तो वाक्य के किसी एक भाग में ही होगी। उस भाग का क्रमांक ही उत्तर है। अगर वाक्य त्रुटिरहित है तो उत्तर (e) दीजिए।
Q1. भारतीय किसान आजीवन-भर (a)/ पूरी मेहनत करता है (b)/ पर साहूकारों के चंगुल से (c)/ नहीं निकल पाता (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
Q2. साहित्यकार का दायित्व (a)/ बल्कि उनके कारणों का (b)/ विवेचन करते हुए श्रेयस मार्ग की ओर ले जाना है (c)/ वस्तुस्थिति का यथातथ्य चित्रण मात्र प्रस्तुत कर देना ही नहीं (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
Q3. जनसंख्या में (a)/ हम अपने जीवन को (b)/ सुखी और संतुष्ट नहीं बना सके (c)/ असाधारण वृद्धि के कारण (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
Q4. स्वार्थ के वशीभूत होकर (a)/ मानव हर बात को (b)/ अपने मनोनुकूल (c)/ देखना चाहता है (d)/ कोई त्रुटि नहीं। (e)
Q5. समाज-सुधारकों के (a)/ दहेज प्रथा ने (b)/ प्रयत्नों के बावजूद (c)/ अत्यन्त विकट रूप धारण कर लिया है (d)/ कोई त्रुटि नहीं (e)
Directions (6-10): नीचे दिए गए परिच्छेद में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए गए हैं तथा उन्हें प्रश्न संख्या में दर्शाया गया है। ये संख्याएँ परिच्छेद के नीचे मुद्रित हैं, प्रत्येक के सामने (a), (b), (c), (d) और (e) विकल्प दिए गए हैं। इन पाचों में से कोई एक इस रिक्त स्थान को पूरे परिच्छेद के सदंर्भ में उपयुक्त ढंग से पूरा कर देता है। आपको वह विकल्प ज्ञात करना है, और उसका क्रमांक ही उत्तर के रूप में दर्शाना है। दिए गए विकल्पों में से उपयुक्त विकल्प का चयन करना है।
यह सत्य है कि कौरव और पाण्डव दोनों पक्षों के वीर (6) के युद्ध को धर्मयुद्ध मानकर लड़ रहे थे, किन्तु धर्म पर दोनों में से कोई भी अडिग नहीं रह सका। “लक्ष्य प्राप्त हो चाहे न हो, किन्तु हम (7) पर पाँव नहीं रखेंगे।” इस निष्ठा की अवहेलना दोनों पक्षों से हुई और दोनों पक्षों के सामने साध्य प्रमुख और साधन गौण हो गया। अभिमन्यु की हत्या (8) से की गई तो, भीष्म, द्रोण, भूरिश्रवा, कर्ण और स्वयं दुर्योधन का वध भी पुण्य से नहीं हुआ। जिस युद्ध में भीष्म, द्रोण और श्रीकृष्ण वर्तमान हो, उस युद्ध में भी धर्म का पालन नहीं हो सका, इससे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि युद्ध कभी भी धर्म के पथ पर रहकर लड़ा नहीं जा सकता। (9) का आदि भी अधर्म है, मध्य भी अधर्म है और अन्त भी अधर्म है। जिसकी आँखों पर लोभ की पट्टी नहीं बंधी है, जो क्रोध, आवेश अथवा स्वार्थवश अपने (10) को भूल नहीं गया है, जिसकी आँख साधना की अनिवार्यता से हटकर साध्य पर ही केन्द्रित नहीं हो गई है, वह युद्ध जैसे मलिन कर्म में भी प्रवृत्त नही होगा। युद्ध में प्रवृत्त होना ही इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य अपने रागों का दास बन गया है। फिर जो रागों की दासता करता है, वह उनका नियंत्रण कैसे करेगा।
Q6.
(a) हस्तिनापुर
(b) दिल्ली
(c) हल्दीघाटी
(d) कुरूक्षेत्र
(e) इनमें से कोई नहीं
Q7.
(a) कुमार्ग
(b) सन्मार्ग
(c) अपमार्ग
(d) धर्ममार्ग
(e) इनमें से कोई नहीं
Q8.
(a) शाप
(b) श्राप
(c) बल
(d) पाप
(e) इनमें से कोई नहीं
Q9.
(a) अहिंसा
(b) हिंसा
(c) भय
(d) क्रूरता
(e) इनमें से कोई नहीं
Q10.
(a) ईमानदारी
(b) हैसियत
(c) इच्छा
(d) कर्तव्य
(e) इनमें से कोई नहीं
Solutions:
S1 Ans. (a)
S2 Ans. (d)
S3 Ans. (d)
S4 Ans. (c)
S5 Ans. (b)
S6 Ans. (d)
S7 Ans. (a)
S8 Ans. (d)
S9 Ans. (b)
S10 Ans. (d)